रूपमाला छंद-श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
छेरछेरा
पूस के पुन्नी म आथे पावनी त्यौहार।
लोग श्रद्धा ले नहाथें जा नदी के धार।
अन्न के सब दान लेथें अन्न करथें दान।
छेरछेरा के परब हे राज के अभिमान।
छेरछेरा के कथा के सार हावय एक।
लूट अपरिद्धापना के राह नोहय नेक।
दान परमारथ हरय सत धर्म के पहिचान।
अन्न धन शिक्षा सबो बर हो इही मन ठान।
रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
मु.गोरखपुर,कबीरधाम(छत्तीसगढ़)
कुंडलिया छन्द -
दोहा - बोधनराम निषादराज
अन्न कूट के बार हे, छेरिक छेरा छेर।
आवौ दाई दान दव,कोठी धान ल हेर।।
सार छन्द - जितेंद्र वर्मा खैर झिटिया:
"छेरछेरा"
दान अन्न धन के कर लौ सब,सुनके छेरिक छेरा।
जतके देहू ततके बढ़ही,धन दउलत शुभ बेरा।
पूस पाख मा पुन्नी के दिन,बगरे नवा अँजोरी।
परब छेरछेरा हा आँटे,मया पिरित के डोरी।
धिनक धिनक धिन ढोलक बाजे,डंडा ताल सुनाये।
लइका लोग सियान सबो मिल,नाचे गाना गाये।
थपड़ी कुहकी झाँझ मँजीरा,सुन छूटय दुख घेरा।
दान अन्न धन के कर लौ सब,सुनके छेरिक छेरा।
दया मया सागर लहरावै,नाचे जीवन नैया।
गोंदा गमकत हे अँगना मा,मन भावै पुरवैया।
जोरा करके जाड़ ह जाये,माँघ नेवता पाये।
बर पीपर हा पात गिराये,आमा हा मँउराये।
सेमी गोभी भाजी निकले , झूले मुनगा केरा।
दान अन्न धन के कर लौ सब,सुनके छेरिक छेरा।
माँग जिया मा मया घोर अउ,दान देव बन दाता।
भरे अन्न धन मा कोठी ला,सब दिन धरती माता।
राँध कलेवा खाव बाँट के,रिता रहे झन थारी।
झारव इरसा द्वेष बैर ला,टारव मिल अँधियारी।
सइमों सइमों करे खोर हा,सइमों सइमों डेरा।
दान अन्न धन के कर लौ सब,सुनके छेरिक छेरा।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
आल्हा छंद- इंजी. गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"
आव सुनावँव तुँहला संगी,परब छेर छेरा के मान।
दया दान अउ प्रीत भरे हे,माई कोठी के जी धान।।
पूस महीना पाख अँजोरी,नवा सुरुज के नवा अँजोर।
धान कटोरी महतारी हा, देख रखे हे मया सजोर।।
गाँव शहर अउ गली गली मा,होगे देखव नवा बिहान।
चारो कोती गूँजत हावय ,हमर छेर छेरा के गान।।
मया दुवारी खुल्ला रखके,सब झन करिहौ सुघ्घर दान।
दया बिराजे मन मा सबके,हे प्रभु जग ला दे वरदान।।
रचना- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" बिलासपुर (छ. ग.)
छेरछेरा
पूस के पुन्नी म आथे पावनी त्यौहार।
लोग श्रद्धा ले नहाथें जा नदी के धार।
अन्न के सब दान लेथें अन्न करथें दान।
छेरछेरा के परब हे राज के अभिमान।
छेरछेरा के कथा के सार हावय एक।
लूट अपरिद्धापना के राह नोहय नेक।
दान परमारथ हरय सत धर्म के पहिचान।
अन्न धन शिक्षा सबो बर हो इही मन ठान।
रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
मु.गोरखपुर,कबीरधाम(छत्तीसगढ़)
कुंडलिया छन्द -
🌺🌷अमित के कुण्डलियाँ🌷🌺
01~*फेरा डारँय खोर के, जुरमिल सब्बो मीत।*
*संगी सब सकलाय के, गुरतुर गावँय गीत।*
*गुरतुर गावँय गीत, मया के बोलँय बोली।*
*झोला टुकनी हाँथ, चलय गदबिद सब टोली।*
*कहे अमित कविराज, दान पुन छेरिक छेरा।*
*चिहुर करँय जी पोठ, लगावँय घर-घर फेरा।*
02~*बेरा पुन्नी पूस के, नँदिया मा असनान।*
*मुठा पसर ठोम्हा अपन , करव उचित के दान।*
*करव उचित के दान, मरम ला एखर जानव।*
*मिलथे ये परलोक, बात ला सिरतों मानव।*
*कहय अमित कविराज, गुनव जी छेरिक छेरा।*
*छोड़व गरब गुमान, आज हे पबरित बेरा।*
छन्दकार - कन्हैया साहू "अमित"
भाटापारा~छत्तीसगढ़
01~*फेरा डारँय खोर के, जुरमिल सब्बो मीत।*
*संगी सब सकलाय के, गुरतुर गावँय गीत।*
*गुरतुर गावँय गीत, मया के बोलँय बोली।*
*झोला टुकनी हाँथ, चलय गदबिद सब टोली।*
*कहे अमित कविराज, दान पुन छेरिक छेरा।*
*चिहुर करँय जी पोठ, लगावँय घर-घर फेरा।*
02~*बेरा पुन्नी पूस के, नँदिया मा असनान।*
*मुठा पसर ठोम्हा अपन , करव उचित के दान।*
*करव उचित के दान, मरम ला एखर जानव।*
*मिलथे ये परलोक, बात ला सिरतों मानव।*
*कहय अमित कविराज, गुनव जी छेरिक छेरा।*
*छोड़व गरब गुमान, आज हे पबरित बेरा।*
छन्दकार - कन्हैया साहू "अमित"
भाटापारा~छत्तीसगढ़
दोहा - बोधनराम निषादराज
अन्न कूट के बार हे, छेरिक छेरा छेर।
आवौ दाई दान दव,कोठी धान ल हेर।।
सार छन्द - जितेंद्र वर्मा खैर झिटिया:
"छेरछेरा"
दान अन्न धन के कर लौ सब,सुनके छेरिक छेरा।
जतके देहू ततके बढ़ही,धन दउलत शुभ बेरा।
पूस पाख मा पुन्नी के दिन,बगरे नवा अँजोरी।
परब छेरछेरा हा आँटे,मया पिरित के डोरी।
धिनक धिनक धिन ढोलक बाजे,डंडा ताल सुनाये।
लइका लोग सियान सबो मिल,नाचे गाना गाये।
थपड़ी कुहकी झाँझ मँजीरा,सुन छूटय दुख घेरा।
दान अन्न धन के कर लौ सब,सुनके छेरिक छेरा।
दया मया सागर लहरावै,नाचे जीवन नैया।
गोंदा गमकत हे अँगना मा,मन भावै पुरवैया।
जोरा करके जाड़ ह जाये,माँघ नेवता पाये।
बर पीपर हा पात गिराये,आमा हा मँउराये।
सेमी गोभी भाजी निकले , झूले मुनगा केरा।
दान अन्न धन के कर लौ सब,सुनके छेरिक छेरा।
माँग जिया मा मया घोर अउ,दान देव बन दाता।
भरे अन्न धन मा कोठी ला,सब दिन धरती माता।
राँध कलेवा खाव बाँट के,रिता रहे झन थारी।
झारव इरसा द्वेष बैर ला,टारव मिल अँधियारी।
सइमों सइमों करे खोर हा,सइमों सइमों डेरा।
दान अन्न धन के कर लौ सब,सुनके छेरिक छेरा।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
आल्हा छंद- इंजी. गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"
आव सुनावँव तुँहला संगी,परब छेर छेरा के मान।
दया दान अउ प्रीत भरे हे,माई कोठी के जी धान।।
पूस महीना पाख अँजोरी,नवा सुरुज के नवा अँजोर।
धान कटोरी महतारी हा, देख रखे हे मया सजोर।।
गाँव शहर अउ गली गली मा,होगे देखव नवा बिहान।
चारो कोती गूँजत हावय ,हमर छेर छेरा के गान।।
मया दुवारी खुल्ला रखके,सब झन करिहौ सुघ्घर दान।
दया बिराजे मन मा सबके,हे प्रभु जग ला दे वरदान।।
रचना- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" बिलासपुर (छ. ग.)
सबो झन ला छेरछेरा पुन्नी के गाड़ा गाड़ा बधाई
ReplyDeleteछेरछेरा विशेषाँक म खैरझिटिया जी अउ सत्यबोध जी के लाजवाब रचना।हार्दिक बधाईयाँ.....
ReplyDeleteआय पुन्नी छेरछेरा दान-पुन कर डार जी।
ReplyDeleteमाइ कोठी मा रहय दिनरात अन भंडार जी।।
देख सिरजन छंद मा तो मन बड़ा हर्षात हे।
प्रार्थना भगवान से हे खुश रहय परिवार जी।।
बहुत बहुत बधाई भाई...
🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹
आप तीनों ला सुग्घर छंद सृजन बर बधाई।
ReplyDelete🌺🌷अमित के कुण्डलियाँ🌷🌺
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01~*फेरा डारँय खोर के, जुरमिल सब्बो मीत।*
*संगी सब सकलाय के, गुरतुर गावँय गीत।*
*गुरतुर गावँय गीत, मया के बोलँय बोली।*
*झोला टुकनी हाँथ, चलय गदबिद सब टोली।*
*कहे अमित कविराज, दान पुन छेरिक छेरा।*
*चिहुर करँय जी पोठ, लगावँय घर-घर फेरा।*
02~*बेरा पुन्नी पूस के, नँदिया मा असनान।*
*मुठा पसर ठोम्हा अपन , करव उचित के दान।*
*करव उचित के दान, मरम ला एखर जानव।*
*मिलथे ये परलोक, बात ला सिरतों मानव।*
*कहय अमित कविराज, गुनव जी छेरिक छेरा।*
*छोड़व गरब गुमान, आज हे पबरित बेरा।*
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✍ *कन्हैया साहू "अमित"*✍
©भाटापारा~छत्तीसगढ़®
सादर नमन गरुदेव,,अमित जी बढ़िया रचना
ReplyDeleteछेरछेरा तिहार के बधाई। जितेन्द्र सर अउ सत्य बोध जी के सुंदर रचना। बोधन जी कूर्मि दोहा सुुग्घर ।अमित जी के सुुग्घर रचना।
ReplyDeleteछेरछेरा तिहार के बधाई। जितेन्द्र सर अउ सत्य बोध जी के सुंदर रचना। बोधन जी कूर्मि दोहा सुुग्घर ।अमित जी के सुुग्घर रचना।
ReplyDeleteसादर नमन गुरुदेव!!
ReplyDeleteअति सुन्दर गुरुदेव जी
ReplyDeleteआप सबो गुरु ग्यानी धियानी मन ला सुग्घर सृजन खातिर सादर वंदन हे।
ReplyDeleteगुरुदेव ला कोटि कोटि नमन।
वाह्ह्ह वाह्ह्ह अति सुन्दर रचना ।आप सब झन ला बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह ,अति सुंदर रचना
ReplyDeleteसबोझन के रचना बहुत बढ़िया लागीस
ReplyDeleteसबोझन ल गाड़ा गाड़ा बधाई
छेरछेरा विशेषांक शामिल जम्मों रचना मन उत्कृष्ट हे। पढ़ के आनंद आगे।सबो रचनाकार मन ला हार्दिक बधाई।
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