दिलीप कुमार वर्मा: अरविंद सवैया
लहरावत हे बड़ ऊपर मा ध्वज,भारत माँ कर हावय शान।
हम भारत के रहवासिन के,अटके रहिथे इह मा अब जान।
तन दे मन दे अउ जीवन दे,रखबो हम लाज ध्वजा कर मान।
हम भारत वासिन के ध्वज हा, बनगे सुनले हमरो पहिचान।
रचना -दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार छत्तीसगढ़ब
************************************
गजानंद पात्रे: दोहा
आव मनाबो मिल सबो,आज परब गणतंत्र।
आजादी हमला मिलिस ,गैर फिरंगी तंत्र।।
गाथा वीर जवान के ,गाबो मिल सब हिंद।
इँखर दिये बलिदान से,सोवत हन सुख नींद।।
संविधान के रचियता ,नमन भीम साहेब।
तोर बदौलत आज हे,कलम सबो के जेब।।
संविधान सबला बड़े, गीता ग्रंथ कुरान।
कंडिका अनुच्छेद हे , येकर हिरदे प्रान।।
रोटी कपड़ा तन ढके,सबला मिले मकान।
काम मिले हर हाथ ला,कहिगे भीम महान।।
नित विकास भारत गढ़े,जाति धर्म ले दूर।
सपना अब अम्बेडकर, होवत चकनाचूर।।
सत्ता के बहरूपिया,खेलत कइसन खेल।
संविधान के मान ला,देवत कहाँ धकेल।।
छंदकार- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 8889747888
***********************************
दिलीप कुमार वर्मा: गीत-चला तिरंगा फहराबो
चला तिरंगा फहरा देथन,आसमान मा शान से।
हम भारत वासी ला संगी,प्यारा लागय जान से।
येखर खातिर जान लुटादिन,भगत सिंग आजाद हा।
हिन्दू मुसलिम सिख्ख इसाई, जन जन के औलाद हा।
बड़ मुसकिल मा पाये हावन,आजादी ईमान से।
हम भारत वासी ला संगी,प्यारा लागय जान से।
सीमा के रखवारी खातिर,जाके डटे जवान हा।
जाड़ा गरमी अउ बरसा मा,फँसे सबो के जान हा।
करे कभू परवाह नही ओ,छाती ताने शान से।
हम भारत वासी ला संगी,प्यारा लागय जान से।
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार
*****************************
जितेंद्र वर्मा खैर झिटिया: अपन देस(शक्ति छंद)
पुजारी बनौं मैं अपन देस के।
अहं जात भाँखा सबे लेस के।
करौं बंदना नित करौं आरती।
बसे मोर मन मा सदा भारती।
पसर मा धरे फूल अउ हार मा।
दरस बर खड़े मैं हवौं द्वार मा।
बँधाये मया मीत डोरी रहे।
सबो खूँट बगरे अँजोरी रहे।
बसे बस मया हा जिया भीतरी।
रहौं तेल बनके दिया भीतरी।
इहाँ हे सबे झन अलग भेस के।
तभो हे घरो घर बिना बेंस के।
चुनर ला करौं रंग धानी सहीं।
सजाके बनावौं ग रानी सहीं।
किसानी करौं अउ सियानी करौं।
अपन देस ला मैं गियानी करौं।
वतन बर मरौं अउ वतन ला गढ़ौ।
करत मात सेवा सदा मैं बढ़ौ।
फिकर नइ करौं अपन क्लेस के।
वतन बर बनौं घोड़वा रेस के---।
जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
****************************
सुखदेव सिंह: चौपई छंद
गणतंत्र
का सोभा बरनँव सँहुराँव।
खुश हे शहर नगर अउ गाँव।
गली मोहल्ला पारा ठाँव।
धजा तिरंगा ला पहुँचाँव।
हे गणतंत्र दिवस त्यौहार।
मन गदगद हे झारा झार।
गुँजय तिरंगा के जय गान।
जय भारत जय हिन्दुस्तान।
सुग्घर संविधान के मंत्र।
जेखर ले चलथे सब तंत्र।
मानवता समता के यंत्र।
सबले बढ़िया हे गणतंत्र।
रोटी कपड़ा मान मकान।
शिक्षा रोजी पद पहिचान।
पूजा नियम धरम अउ दान।
सब बर अवसर एक समान।
शोषित वंचित जात समाज।
आरक्षण पावत हे आज।
कोठी मा अब हवय अनाज।
फुलत फरत हे लोक सुराज।
बोली भाषा भले अनेक।
पर सबके अंतस हे एक।
सद् विचार सबके हे नेक।
अब हे मनखे मनखे एक।
जनता होगे हे हुशियार।
रेंगय रस्ता ला चतवार।
देखय बिगड़े के आसार।
लेवय अपने हाथ सँवार।
ना लाठी तब्बल तलवार।
ना सैना ना सिपहसलार।
जनमत बर नइ हे तकरार।
जनता अब चुनथे सरकार।
बाबा भीमराव गुणवान।
तुँहर कलम के लिखे विधान।
हवय हमर बर जीव परान।
मन के सुख मुँह के मुस्कान।
रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
मु.गोरखपुर,कबीरधाम(छत्तीसगढ़)
*********************************
पोखनलाल जायसवाल - सार छंद : गणतंत्र दिवस
तीन रंग के हमर तिरंगा , फहर फहर फहरावय ।
आन बान अउ शान जान के , भारत भर ला भावय ।।
बीर भगत बिस्मिल मन हा , हावय बड़ बलिदानी ।
अशफाक संग शेखर कुदगे , दे दिन अपन जवानी ।।
बीर बहादुर नेता दिस , लहू माँग आजादी ।
खूब लड़िस बैरी मन से , पा छाती फौलादी ।।
बचय चिन्हारी बलिदानी के , हावय जिम्मेदारी ।
हवय कीमती आजादी हा मानन सब सँगवारी ।।
*पोखन लाल जायसवाल*
ग्राम - पठारीडीह , तहसील - पलारी
जिला - बलौदाबाजार छग
**********************************
चोवाराम वर्मा: तिरंगा झंडा के जय।(सार छंद)
----------------------------------------
अमर रहै गणतंत्र परब हा, आँच कभू झन आवय।
नील गगन मा फहर तिरंगा, लहर लहर लहरावय ।
दुनिया भर मा चमचम चमकय, देश हमर ध्रुव तारा।
दसों दिशा मा गूँजत राहय, पावन जय के नारा ।
शेखर बिसमिल बोस बहादुर, जेकर परम पुजारी ।
जे झंडा ला प्रान समझथन, भारत के नर नारी।
थाम तिरंगा लड़ गोरा लें, दे हाबयँ कुरबानी।
जेला देख शत्रु डर्राकें, रन मा मागैं पानी।
बापू वल्लभ नेहरू इंदिरा, गुन गाइन सँगवारी।
गावत राहय महिमा जेकर, कविवर अटल बिहारी ।
देव हिमालय मुँड़ी उठाके, जेकर महिमा गाथे ।
उही धजा के बंदन करके, "बादल" माथ नवाथे ।
चोवा राम "बादल"
लहरावत हे बड़ ऊपर मा ध्वज,भारत माँ कर हावय शान।
हम भारत के रहवासिन के,अटके रहिथे इह मा अब जान।
तन दे मन दे अउ जीवन दे,रखबो हम लाज ध्वजा कर मान।
हम भारत वासिन के ध्वज हा, बनगे सुनले हमरो पहिचान।
रचना -दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार छत्तीसगढ़ब
************************************
गजानंद पात्रे: दोहा
आव मनाबो मिल सबो,आज परब गणतंत्र।
आजादी हमला मिलिस ,गैर फिरंगी तंत्र।।
गाथा वीर जवान के ,गाबो मिल सब हिंद।
इँखर दिये बलिदान से,सोवत हन सुख नींद।।
संविधान के रचियता ,नमन भीम साहेब।
तोर बदौलत आज हे,कलम सबो के जेब।।
संविधान सबला बड़े, गीता ग्रंथ कुरान।
कंडिका अनुच्छेद हे , येकर हिरदे प्रान।।
रोटी कपड़ा तन ढके,सबला मिले मकान।
काम मिले हर हाथ ला,कहिगे भीम महान।।
नित विकास भारत गढ़े,जाति धर्म ले दूर।
सपना अब अम्बेडकर, होवत चकनाचूर।।
सत्ता के बहरूपिया,खेलत कइसन खेल।
संविधान के मान ला,देवत कहाँ धकेल।।
छंदकार- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 8889747888
***********************************
दिलीप कुमार वर्मा: गीत-चला तिरंगा फहराबो
चला तिरंगा फहरा देथन,आसमान मा शान से।
हम भारत वासी ला संगी,प्यारा लागय जान से।
येखर खातिर जान लुटादिन,भगत सिंग आजाद हा।
हिन्दू मुसलिम सिख्ख इसाई, जन जन के औलाद हा।
बड़ मुसकिल मा पाये हावन,आजादी ईमान से।
हम भारत वासी ला संगी,प्यारा लागय जान से।
सीमा के रखवारी खातिर,जाके डटे जवान हा।
जाड़ा गरमी अउ बरसा मा,फँसे सबो के जान हा।
करे कभू परवाह नही ओ,छाती ताने शान से।
हम भारत वासी ला संगी,प्यारा लागय जान से।
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार
*****************************
जितेंद्र वर्मा खैर झिटिया: अपन देस(शक्ति छंद)
पुजारी बनौं मैं अपन देस के।
अहं जात भाँखा सबे लेस के।
करौं बंदना नित करौं आरती।
बसे मोर मन मा सदा भारती।
पसर मा धरे फूल अउ हार मा।
दरस बर खड़े मैं हवौं द्वार मा।
बँधाये मया मीत डोरी रहे।
सबो खूँट बगरे अँजोरी रहे।
बसे बस मया हा जिया भीतरी।
रहौं तेल बनके दिया भीतरी।
इहाँ हे सबे झन अलग भेस के।
तभो हे घरो घर बिना बेंस के।
चुनर ला करौं रंग धानी सहीं।
सजाके बनावौं ग रानी सहीं।
किसानी करौं अउ सियानी करौं।
अपन देस ला मैं गियानी करौं।
वतन बर मरौं अउ वतन ला गढ़ौ।
करत मात सेवा सदा मैं बढ़ौ।
फिकर नइ करौं अपन क्लेस के।
वतन बर बनौं घोड़वा रेस के---।
जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
****************************
सुखदेव सिंह: चौपई छंद
गणतंत्र
का सोभा बरनँव सँहुराँव।
खुश हे शहर नगर अउ गाँव।
गली मोहल्ला पारा ठाँव।
धजा तिरंगा ला पहुँचाँव।
हे गणतंत्र दिवस त्यौहार।
मन गदगद हे झारा झार।
गुँजय तिरंगा के जय गान।
जय भारत जय हिन्दुस्तान।
सुग्घर संविधान के मंत्र।
जेखर ले चलथे सब तंत्र।
मानवता समता के यंत्र।
सबले बढ़िया हे गणतंत्र।
रोटी कपड़ा मान मकान।
शिक्षा रोजी पद पहिचान।
पूजा नियम धरम अउ दान।
सब बर अवसर एक समान।
शोषित वंचित जात समाज।
आरक्षण पावत हे आज।
कोठी मा अब हवय अनाज।
फुलत फरत हे लोक सुराज।
बोली भाषा भले अनेक।
पर सबके अंतस हे एक।
सद् विचार सबके हे नेक।
अब हे मनखे मनखे एक।
जनता होगे हे हुशियार।
रेंगय रस्ता ला चतवार।
देखय बिगड़े के आसार।
लेवय अपने हाथ सँवार।
ना लाठी तब्बल तलवार।
ना सैना ना सिपहसलार।
जनमत बर नइ हे तकरार।
जनता अब चुनथे सरकार।
बाबा भीमराव गुणवान।
तुँहर कलम के लिखे विधान।
हवय हमर बर जीव परान।
मन के सुख मुँह के मुस्कान।
रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
मु.गोरखपुर,कबीरधाम(छत्तीसगढ़)
*********************************
पोखनलाल जायसवाल - सार छंद : गणतंत्र दिवस
तीन रंग के हमर तिरंगा , फहर फहर फहरावय ।
आन बान अउ शान जान के , भारत भर ला भावय ।।
बीर भगत बिस्मिल मन हा , हावय बड़ बलिदानी ।
अशफाक संग शेखर कुदगे , दे दिन अपन जवानी ।।
बीर बहादुर नेता दिस , लहू माँग आजादी ।
खूब लड़िस बैरी मन से , पा छाती फौलादी ।।
बचय चिन्हारी बलिदानी के , हावय जिम्मेदारी ।
हवय कीमती आजादी हा मानन सब सँगवारी ।।
*पोखन लाल जायसवाल*
ग्राम - पठारीडीह , तहसील - पलारी
जिला - बलौदाबाजार छग
**********************************
चोवाराम वर्मा: तिरंगा झंडा के जय।(सार छंद)
----------------------------------------
अमर रहै गणतंत्र परब हा, आँच कभू झन आवय।
नील गगन मा फहर तिरंगा, लहर लहर लहरावय ।
दुनिया भर मा चमचम चमकय, देश हमर ध्रुव तारा।
दसों दिशा मा गूँजत राहय, पावन जय के नारा ।
शेखर बिसमिल बोस बहादुर, जेकर परम पुजारी ।
जे झंडा ला प्रान समझथन, भारत के नर नारी।
थाम तिरंगा लड़ गोरा लें, दे हाबयँ कुरबानी।
जेला देख शत्रु डर्राकें, रन मा मागैं पानी।
बापू वल्लभ नेहरू इंदिरा, गुन गाइन सँगवारी।
गावत राहय महिमा जेकर, कविवर अटल बिहारी ।
देव हिमालय मुँड़ी उठाके, जेकर महिमा गाथे ।
उही धजा के बंदन करके, "बादल" माथ नवाथे ।
चोवा राम "बादल"
गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर म सबो सृजनकर्ता भाई मन ला गाड़ा गाड़ा बधाई
ReplyDeleteएक से बढ़ के एक छंद गणतंत्र दिवस बर आप सब ला बधाई।
ReplyDeleteप्रणाम गुरुदेव।
आप सबो ला रचना शामिल होय खातिर बहुत-बहुत बधाई हे। सादर नमन।।
ReplyDeleteमोर रचना (कुंडलिया) कइसे छूट गे ते....
ReplyDeleteसबोझन के रचना बहुत बढ़िया लागीस
ReplyDeleteगाड़ा गाड़ा बधाई हो
प्रणाम गुरुदेव !
ReplyDeleteआपके एक बार अउ वंदनीय प्रयास ,सबो छंद रचनाकार मन ला बधाई
गणतंत्र दिवस विशेषांक मा सुग्घर सुग्घर छंद रचना आय हे।
ReplyDeleteछंद खजाना मा स्थान पाय बर जम्मो झन ला बधाई।प्रणम्य गुरुदेव ला सादर नमन
शानदार अंक,सादर बधाई एस्प सबला
ReplyDeleteजय गणतन्त्र बहुत सुन्दर गुरुदेव जी सादर नमन
ReplyDeleteआप सबो छंदकार मन ला बहुत बहुत बधाई।गुरुदेव ला सादर नमन।।
ReplyDeleteएक से बढ़ के एक छंद गणतंत्र दिवस बर आप सब ला बधाई।
ReplyDeleteप्रणाम गुरुदेव।
छंद खजाना के गणतंत्र दिवस विशषांक मा अनमोल रत्न सकलाय हे।गुरुदेव जी ला सादर प्रणाम।
ReplyDeleteअनमोल रचना। वाह्ह्ह वाह्ह्ह। बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteअनमोल रचना। वाह्ह्ह वाह्ह्ह। बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteअनमोल रचना। वाह्ह्ह वाह्ह्ह। बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteगणतंत्र ला समर्पित सब्बो रचनाकार मन ला जय जोहार, गाड़ा गाड़ा बधई ।
ReplyDelete