संविधान दिवस - (26 नवम्बर)
ना गीता ना बाईबिल,ना ही ग्रन्थ कुरान से।
देश मोर चलथे जी ,भीम संविधान से।
अनेकता में एकता ,दिखय भाव समता।
देश आगू बढ़थे जी, सही दिशा ज्ञान से।
पढ़ लिख आगू बढ़ौ, नवा इतिहास गढ़ौ।
संविधान सब पढ़ौ,जी लौ फिर शान से।
हाथ मा कलम हवै ,सुख के आलम हवै।
सच कहौं मिले हवै, भीम बलिदान से।।
चलै बने लोकतंत्र, दिये भीम महामंत्र।
रख मान प्रजातंत्र,लिखे संविधान ला।
हर हाथ काम पाये,सुख रोटी सबो खाये।
झन कोई लुलवाये, कपड़ा मकान ला।
दुख खुद ही सहिके,चुपचाप जी रहिके।
सबो मोर ये कहिके,सहे अपमान ला।
सत मैं बचन धरौं, नमन नमन करौं।
चरन बंदन करौं, विभूति महान ला।।
इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
ना गीता ना बाईबिल,ना ही ग्रन्थ कुरान से।
देश मोर चलथे जी ,भीम संविधान से।
अनेकता में एकता ,दिखय भाव समता।
देश आगू बढ़थे जी, सही दिशा ज्ञान से।
पढ़ लिख आगू बढ़ौ, नवा इतिहास गढ़ौ।
संविधान सब पढ़ौ,जी लौ फिर शान से।
हाथ मा कलम हवै ,सुख के आलम हवै।
सच कहौं मिले हवै, भीम बलिदान से।।
चलै बने लोकतंत्र, दिये भीम महामंत्र।
रख मान प्रजातंत्र,लिखे संविधान ला।
हर हाथ काम पाये,सुख रोटी सबो खाये।
झन कोई लुलवाये, कपड़ा मकान ला।
दुख खुद ही सहिके,चुपचाप जी रहिके।
सबो मोर ये कहिके,सहे अपमान ला।
सत मैं बचन धरौं, नमन नमन करौं।
चरन बंदन करौं, विभूति महान ला।।
इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
सादर बधाई गुरुजी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन पात्रे भाई
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
सुग्हर छंद लिखे हस गजानंद, बहुत बहुत बधाई हे तोला भाई .....
ReplyDeleteबहुत सुध्धर सृजन।बधाई..।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई सर
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई सर
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