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Tuesday, May 7, 2019

चौपाई छन्द - जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

हिजगा-पारी(दोहा-चौपाई)

*हिजगा पारी के कथा,कहत हवँव मैं आज।*
*कहत कहत मोला घलो,आवत हे बड़ लाज।*

एक ददा के दू हे टूरा,दोनों झन बड़ धरहा छूरा।
पटे नही दोनों के तारी,करें एक दूसर के चारी।।

एक मंगलू एक छगन हे,अपन अपन मा दुनों मगन हे
एके हे घर बखरी बारी,करे काम बस हिजगा पारी।।

फ्रीज रेडियो मोटर गाड़ी,लेवय दोनों हिजगा पारी।
जइसन करनी करे एक झन,तइसन होवै दूसर के मन।

उँखर समझ आये ना चक्कर,दोनों मा काँटा के टक्कर।
करे गरब धन हाड़ मास मा,होय फभित्ता आस पास मा।

बर बिहाव का मरनी हरनी,एके रहै दुनों के करनी।
ओढ़े देखावा के चोला,लेवय तम बम बारुद गोला।

देखावा मा पइसा फेके, लड़े भिड़े बर रोजे टेके।
मान गौन सँग धन अउ दउलत,हिजगा पारी मा हे पउलत।

मन मा रखके हिजगा पारी,देय एक दूसर ला गारी।
ददा धरे सिर दुखी मनाये, कोन दुनों झन ला समझाये।

तड़फै कभू ददा पसिया बर,कभू खाय रँगरँग टठिया भर।
कभू झुलावै दुनों हिंडोला,कभू गिरावय दुख के गोला।

हरहर कटकट रोजे ताये,देख ददा दुख प्राण गँवाये।
तभो दुनों ना हिजगा छोड़े,कुवाँ एक दूसर बर कोड़े।

*परलोकी दाई ददा,रिस्ता नत्ता तोड़।*
*हिजगा पारी मा तिरै, भाई भाई गोड़।*

धन अउ धान सबे झट उरके,दुनों एक दूसर ले कुड़के।
लड़े भिड़े जादा अउ खुल के,बोरों दोनों नाँव ल कुल के।

लइका मन मा अवगुण आये,देख दुनों झन दुखी मनाये।
खुदे बार डारिस हे घर ला,का बद्दी दे पाही पर ला।

लइका मन हा बनगे लावा,अब का चिंता अउ पछतावा।
करे काम ला मातु पिता के,जोरे लकड़ी उँखर चिता के।

हिजगा पारी काय काम के,घर बन बारे द्वेष थाम के।
सुख ले जिनगी जीना चाही,मया पिरित सत पीना चाही।

हिजगा पारी के बीमारी,अच्छा नोहे जी सँगवारी।
छोडों झगड़ा झंझट चारी,दया मया धर बध लौ यारी।

छगन मंगलू झन होवव जी,इरसा द्वेष म झन खोवव जी।
चारी  चुगली  द्वेष  लबारी,छोड़व भैया हिजगा पारी।

*हिजगा पारी ला धरे,जेन जेन मेछराय।*
*तेखर नइया एक दिन,बीच धार बुड़ जाय।*

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795

3 comments:

  1. बहुत सुघ्घर सृजन हे भाई

    बहुत बहुत बधाई
    आज अक्ती में छंद खजाना मिले हे

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  2. This comment has been removed by the author.

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