Followers

Tuesday, July 23, 2019

छत्तीसगढ़ी दोहा श्रृंखला - 2

दोहा छन्द - विरेन्द्र कुमार साहू

गाँव गली हर ठौर अउ , खेत खार के मेड़।
पर्यावरण बचाय बर , चलो लगाबो पेड़॥

संत सहीं हे रूख हा , काज करय परमार्थ।
दान करय फर फूल ला , सोंचे नइ उन स्वार्थ॥

नेता बइठे खोल के , स्वारथ काज दुकान।
संसो हे झन बेंच दे , एमन हिन्दूस्तान॥

बेटी बहिनी जेन दिन , पाही सच्चा मान।
तउने दिन ले देश हा , बनही घात महान॥

पढ़बो लिखबो सब तभे , बनही बिगड़े काज।
शिक्षा के बढ़वार ले , आही गउकि सुराज॥

जउन जगह हाँसत दिखय , घर के बड़े सियान।
तउन जगह ला जान लौ , सुग्घर सरग समान।।

पालय सकल जहान अउ , राखय सबके ध्यान।
तेखर नाँव किसान हे , दुनिया के भगवान॥

कठिन परिश्रम संग मा , रखव बात अउ ध्यान।
मिलय नहीं बिन साधना , कला कुशलता ज्ञान।।

छंदकार - विरेन्द्र कुमार साहू , ग्राम - बोड़राबाँधा (राजिम) , जिला - गरियाबंद (छत्तीसगढ़)
************************************************

दोहा छन्द - शोभामोहन श्रीवास्तव

हीरा कस साँसा लुटा,कचरा मोल न लेंव।
राम रमे जिनगी पहा,रेंगौं छेंवे छेंव।।

ये भुँइया भगवान के,सब जग ओकर खार।            
मालिक नोहस जान ले,तँय अस चौंकीदार।।

घट घट में भगवान हे,सबमे ओला देख।
गरब भाव ला छोड़ दे,सब ला बने सरेख।।

अँटियाथस डोरी असन,कइसे मिलही चैन।      
बारा कोती मन फिरत,भटकत मिरगा नैन।।

तरी डहर पानी चले,आगी ऊपर जाय।
पवन चलय चारो डहर, तइसे मन हा धाय।।

महल अटारी में रहे,सब दिन जेन अघाय।    
ओ हर देखव भूख ला,अरथाये बर आय।।    
पंख लगा मनखे उड़त,चन्द्र लोक फिर आय।
अउ परोस के बात ला,खबर गजट करवाय।।

गरू लगे दाई ददा,नीक लगै लगवार।
मनखे उल्टा रेंगथे,नीत ल चूल्हा डार।।

छंदकार - शोभामोहन श्रीवास्तव
C/o श्री ससीम तिवारी "अंजलि टाऊन"
वार्ड क्रमांक-46, अमलीडीह, रायपुर छत्तीसगढ़
(पिन कोड़-492006)
************************************************

दोहा छंद - श्लेष चन्द्राकर

भ्रष्टाचारी मन इँहा, अपन भरत हे जेब।
लाँघन मरत गरीब हे, ओमन खाथे सेब।।

अन्न उगाके देश ला, करथे मालामाल।
हाबे उही किसान मन, इँहा आज बदहाल।।

मिहनत अउ लागत लगा, बोथे जब वो धान।
उचित दाम जब नइ मिलय, होथे दुखी किसान।।

बनी करत रहिजात हे, जिनगी भर बनिहार।
ओकर हालत मा कहाँ, होथे फेर सुधार।।

बनी करइयाँ मन इहाँ, अबड़ करत हे काम।
उनकर काम हिसाब ले, कहाँ मिलत हे दाम।।

लाने बर बनिहार मन, जग मा नवाँ बिहान।
बुता करत हें रात-दिन, बने लगाके ध्यान।।

दिन भर कनिहा तोड़ जब, करथे काम गरीब।
तब ओकर परिवार ला, होथे अन्न नसीब।।

सोचय नहीं गरीब बर, काबर गा इंसान।
अपन भलाई देखथे, कर उनकर हिनमान।।

छंदकार - श्लेष चन्द्राकर,
पता - खैरा बाड़ा, गड़रु पारा, महासमुन्द (छत्तीसगढ़)
************************************************

दोहा छन्द - चित्रा श्रीवास

सावन सुक्खा जात हे, सोचव मनखे आज।
कइसे पानी के बिना, होही खेती काज।।

जंगल खेत उजार के, पइसा खूब कमाय।
नवा नगर ला आज तो, कंक्रीट के बसाय।।

कारखाना कई खुले, करे हावस बिकास।
जहर हवा मा घोर के, खुद के करे बिनास।।

नदिया नरवा हा घलौ, दूषित होंगे आज।
जघा जघा कचरा परे, आइस मनखे राज।।

बिना पेड़ के आज तो, बादर कोन बलाय।
बिन रुखराई भूमि हा, मरुभूमि हो जाय।।

पीपर बर अउ नीम के, सदा मिलय जी छाँव।
तुलसी बिरवा कस रहे, सुग्घर मोरो गाँव।।

अब रुखराई ला लगा, बरखा जाही मान।
भुइँया जीभर भींजही, बरसय बादर जान।।

सावन पानी देत हे, खेत खार भर जाय।
सुग्घर जिनगी होत हे, अन्न धान ला पाय।।

छंदकार - चित्रा श्रीवास
एम.पी. नगर, कोरबा छत्तीसगढ़
************************************************

दोहा छंद -सरस्वती चौहान

नारी के सम्मान मा, जन जन के कल्याण।
नारी तन ले अवतरिन, राम कृष्ण भगवान।।

जुर मिल घर परिवार मा, सबजन सुख ला पाव।
महतारी अउ बाप ला, कोनों झन भूलाव।।

पीरा ना मन मा रहै, ना मन मा संताप।
अइसे बचपन हा हवै, पुण्य रहै ना पाप।।

धन दौलत अउ ज्ञान के, झन हो गरब गुमान।
गुरू ददा दाई सदा, सबले हवैं महान।।

सुख के दिन जल्दी कटै, दु:ख के दिन नइ जाय।
धीरज मन मा राख लव, सबो करम फल पाय।।

सेवा करव सियान के, मिल जाही भगवान।
झन दुख पावँय जी कभू, राखव सदा धियान।।

गाँव शहर सबले सुघर, चलय स्वच्छ अभियान।
कचरा कूटा फेकबो, तज के जी अभिमान।।

सुमता जेखर घर रहय, ओखर घर सुख आय।
हँसी खुशी सबजन रहँय, सबके मन हरसाय।।

छंदकार - सरस्वती चौहान
ग्राम-बरडांड, पोस्ट-नारायणपुर, तहसील-कुनकुरी
जिला-जशपुर नगर, छत्तीसगढ़
************************************************

दोहा छंद - चंदेश्वर दीवान

सुग्घर आँखी कोर ले , मन काजर अंजाय ।
फूल झरय तोरे हँसी , लट गजरा ममहाय ।।

छम-छम बाजे पाँव मा , पायल गोरी तोर ।
सुनके बइहाँ हो जथे , घायल हिरदय मोर ।।

सुग्घर चमकय चेहरा , हिरदै उमड़े प्यार ।
भँवरा होगे मोर मन , देख मया रस धार ।।

जादू अँखियन मा भरे , हावय मया निसान ।
जब-जब देखव तीर ले ,फूल खिले अरमान ।।

जब - जब देखँव तीर ले , रूप मोहिनी रंग ।
लागय नयना सरबती , मन मा भरय उमंग ।।

सजत हवे धर आइना , रूप दिखे कचनार ।
काजर आँजय नैन मा , सोलह तन सिंगार ।।

कनिहा मा बेनी झुले , चमकै टिकली माथ ।
सुग्घर मुँहरन हे सजन , खनकय चूरी हाथ ।।

पिवरी चुनरी ओढ़ के , नयना बाण चलाय ।
खनके चूरी हाथ मा , रूप नजर मन भाय ।।

छंदकार -
चंदेश्वर दीवान
ग्राम /पोस्ट - खट्टी, तहसील व जिला - महासमुंद (छत्तीसगढ़)
************************************************

दोहा छंद - संतोष कुमार साहू

आँखी ला ही मान तँय, तोर इहाँ संसार।
एकर सद उपयोग ही, जिनगी के हे सार।।

दुखिया मनखे देख के, मदद करे इंसान।
एकरआँखी हा बिकट, सुन्दर हावय जान।।

अपन दोष देखे नही, पर के खोजे दोष।
आँखी के ये दोष के, बड़ जब्बर हे कोष।।

जउन करे संतान मे, बेटी बेटा भेद।
आँखी ओकर मान ले, लगथे होही छेद।।

पर के बढ़ती देख के, जलन मरे जे लोग।
अपन इलाज कराय वो, आँखी के हे रोग।।

देख कभू अन्याय ला, राखे बंद जबान।
गांधारी धृतराष्ट्र कस, आँखी बाँधे जान।।

गिरत देख हाँसे कहूँ, बहुत गलत हे काम।
एकर आँखी ला समझ, कउड़ी के हे दाम।।

झूठ जेन ला नइ दिखे, लबरा आँखी मान।
पूरा एकर आँख हा, नकली हावय जान।।

छंदकार - संतोष कुमार साहू
ग्राम-रसेला (छुरा) जिला-गरियाबंद, छत्तीसगढ़
************************************************

दोहा छन्द - रामकली कारे

सबै देव के देवता ,शिव हे आदि अनन्त ।
जटा गंग अउ विष धरे ,जनम मरण के अन्त ।।

राखी आठे भोजली ,पोरा तीज तिहार ।
ज्योत जलय नवरात मा ,मइयाँ के दरबार ।।

गौरी गंगा गाय के ,सब के पूजा होय ।
नोनी बेटी अवतरे ,पाप सबो के धोय ।।

महतारी बन कोंख मा ,नव महिना सिरजाय ।
तोर मया के छाँव मा ,बिरवा बन हरियाय ।।

नारी के नव रूप हे ,निरमल गंगा धार ।
दया मया ममता करे ,देवय सबला तार ।।

दाई दीदी के मया ,दही मही के धार ।
दुख पीरा ला हर सबो ,दय आशीष हजार ।।

सुमता जे घर मा बसय ,सुख दुख रहिथे संग ।
दया मया ला बाँट के ,देवय सुघ्घर रंग ।।

बयाँ सुआ अउ कोयली ,बोलय गुरतुर बोल ।
मगन मयूरा नाचथे ,किंजर किंजर अउ डोल ।।

छंदकार  - रामकली कारे ( छत्तीसगढ़ )
************************************************


15 comments:

  1. बहुत सुन्दर संकलन गुरुदेव सादर प्रणाम ।।

    जम्मो छंद साधक ल हार्दिक बधाई हे।

    ReplyDelete
  2. सुग्घर दोहावली🙏🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर विधान सम्मत दोहों का संग्रह

    ReplyDelete
  4. बहुत बढ़िया ।छंदकार मन के सुग्घर दोहा संग्रह।

    ReplyDelete
  5. सिर्फ 8
    कोई बात नही सुरुवात हे।
    बहुत सुग्घर संकलन ।

    ReplyDelete
  6. गजब सुग्घर संकलन ।आप सबझन ला बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  7. गजब सुग्घर संकलन ।आप सबझन ला बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  8. सबो साधक भाई बहिनी मन ला बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  9. वाह वाह शानदार दोहा संकलन।

    ReplyDelete
  10. छन्द खजाना मा मोर मोर दोहा ल जगह दे खातिर आदरणीय गुरुदेव सादर हार्दिक आभार अउ नमन 🙏🙏

    ReplyDelete
  11. छन्द खजाना मा मोर दोहा ल जगह दे खातिर आदरणीय गुरुदेव सादर हार्दिक आभार अउ नमन 🙏🙏

    ReplyDelete
  12. अति सुन्दर दोहों के लिए आप सभी को हार्दिक बधाईयाँ

    ReplyDelete