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Friday, November 26, 2021

संविधान दिवस विशेष छंदबद्ध कवितायें- प्रस्तुति (छंद के छ परिवार)


 संविधान दिवस विशेष छंदबद्ध कवितायें- प्रस्तुति  (छंद के छ परिवार)

: मनहरण घनाक्षरी- विजेन्द्र वर्मा


संविधान


पढ़ के जी संविधान, नीति औ नियम जान,

ऊँच-नीच खाई पाट,सुमता ला लाव जी।

सब ला हे अधिकार, कोनों ला तो झन मार,

भेदभाव के इहाँ तो,भुर्री ला जलाव जी।।

होय सबके उद्धार,अंतस मा हो सत्कार,

देश के विधान सब,बड़ महकाव जी।

नारी के सम्मान बढ़े,नवा-नवा रद्दा गढ़े,

कहत रिहिन हावै,बाबा भीम राव जी।।


विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)

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: सरसी छन्द गीत-द्वारिका प्रसाद लहरे"मौज"


ये भारत भुँइयाँ के संगी,संविधान हे सार।

संविधान ले मिले सबो ला,मानवता अधिकार।


सबो  ग्रंथ ले  पावन ऐमा ,भरे ज्ञान के खान।

झन बदलव तुम संविधान ला,राखव ऐखर मान।

सुघ्घर जिनगी ला जीये के,ऐही हे आधार।

ये भारत भुँइयाँ के संगी,संविधान हे सार।


संविधान ला पढ़के सबके,बने जागही भाग।

गावव मिलके नर-नारी मन,भीम राव के राग।।

संविधान के निरमाता ला,वंदन बारंबार।

ये भारत भुँइयाँ के संगी,संविधान हे सार।।


दलित मसीहा लिखे हवय जी,भारत के संविधान।

ए जग मा हे अलगे देखव,भारत के पहिचान।।

जानौ समझौ अपनावौ जी,अब तो झारा-झार।

ये भारत भुँइयाँ के संगी,संविधान हे सार।।


द्वारिका प्रसाद लहरे"मौज"

कवर्धा छत्तीसगढ़


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मनोज वर्मा: अमृतध्वनि छंद



संविधान निर्माण शुभ, पबरित दिन हे आज।

मनखे के अधिकार बर, भीम करिन हे काज।।

भीम करिन हे, काज गढ़े नव, रसता सब बर।

ऊॅंच नीच ला, मेटत समता, लानिन घर घर।

आवाज दलित, शोशित के बन, दे हवस मान।

नमन करॅंव मॅंय, बाबा साहब, शुभ संविधान।।


मनोज कुमार वर्मा

बरदा लवन बलौदा बाजार

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 दोहा छंद - बोधन राम निषादराज

(भीमराव अंबेडकर)


जय बोलव जय भीम के,भारत माँ के लाल।

सुग्घर रचे विधान ला, पुरखा  करे कमाल।।


छुआ छूत के भेद ला,तँय हा दिए मिटाय।

जय बाबा अंबेडकर,जग मा नाम कमाय।।


संविधान  के  कल्पना, करे  तहीं  साकार।

ऊँच नीच के भेद अउ,दलित करे उद्धार।।


बाबा  तोरे   ज्ञान मा, कोनों  नहीं  समान।

भटके  भूले  ला तहीं, बना  दिए  इंसान।।


बाबा जय हो भीम के, पइँया लागँव तोर।

सुमता के दीया जला,जग मा करे अँजोर।


छंदकार - बोधन राम निषादराज

सहसपुर लोहारा, जिला - कबीरधाम (छ.ग.)


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 कौशल साहू: अमृत ध्वनि छंद


दलित मसीहा भीम


दलित मसीहा भीम ला, सौ-सौ बार प्रणाम।

नव भारत निर्माण बर, पबरित जेकर काम।।

पबरित जेकर, काम देश मा,घर घर समता।

संविधान मा,गढ़े हबय जी,सब बर रसता।।

सब ला शिक्षा, दाना पानी, छँइहा ठीहा।

ऊँच नीच अउ, पाटे खाई,दलित मसीहा।।


छंदकार :-कौशल कुमार साहू

सुहेला (फरहदा)

जिला:- बलौदाबाजार-भाटापारा

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केंवरा यदु राजिम: कुंडलिया छंद 


जय हो बाबा भीम जी,पाँव परत हौं तोर।

संविधान निर्माण कर, सबला करे सजोर।

सबला करे सजोर,नवा तँय रसता गढ़ के।

ऊँच नीच के भेद,मिटाये आगू बढ़ के।

नाम अमर हे तोर,बोल  हे काशी काबा।

चरण मनावँव तोर,होय जय तोरे बाबा।।


केवरा यदु "मीरा "

राजिम

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*सरसी छंद- संविधान अभिमान हमर हे*


संविधान अभिमान हमर हे, संविधान पहिचान।

संविधान अधिकार हमर हे, संविधान वरदान।।


तोड़ गुलामी के बेड़ी ला, थिरकिस हे तब पाँव।

राह विकास सुखी उन्नति के , मिलिस सबो ला छाँव।।

समरसता समभाव दिये हे, बाबा भीम महान।

संविधान अभिमान हमर हे, संविधान पहिचान।।1


जात-पात अउ ऊँच-नीच के, तोड़िस जग ले फाँस।

दीन दलित पिछड़े बहुजन जन, लेत तभे सुख साँस।।

पढ़ लिख अफ़सर बाबू बनगे, बनगे हें विद्वान।

संविधान अभिमान हमर हे, संविधान पहिचान।।2


पंचानबे अनुच्छेद हवे, पच्चीस हवे भाग।

बारह अनुसूचियाँ कहे नित, हक बर मानुष जाग।।

अमर रहे संविधान दिवस नित, ऊँचा राहय शान।

संविधान अभिमान हमर हे, संविधान पहिचान।।3


करिंन सुरक्षा संविधान के, इही हमर कर्तव्य।

पा मौलिक अधिकार सबो हम, बने हवन जी सभ्य।।

शीश झुका गजानंद पात्रे, करत हवे गुनगान।

संविधान अभिमान अमर हे, संविधान पहिचान।।4


✍🏻इंजी. गजानंद पात्रे 'सत्यबोध'

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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जगदीश जी: कुंडलियाँ


*भीमराव अंबेडकर*


भारत आगू हे बढ़त, कहना ओकर मान।

भीमराव अंबेडकर, लिखे सुघर संविधान।

कहना ओकर मान, मान पावत हे सब जन।

बढ़गे सबके शान, मान पावय जन गण मन।

तहीं मिटाये भेद, देश के बाधा टारत।

बढ़गे हावय आज , विश्व मा आगू भारत।।


जगदीश "हीरा" साहू

कड़ार (भाटापारा)

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 बरवै छंद.......

बिषय....संविधान


संविधान लिखके वो, दिस आकार।

नियम बना के सबबर,लाइस सार।


भेद भाव मेटिन जी, दिन अधिकार।

ऊँच नीच जानव झन, पाव दुलार।


बनें विधाता तँय हा, कर निर्मान।

रचे नवा इतिहास ल, हे अभिमान।


पथरा कस सहिके सब, आघू आय।

रद्दा नवा बनाके, मंजिल पाय।


उद्धार दलित के कर, बनें सहाय।

मिहनत के बल मा तँय,नाम दिलाय।


भीम राव कहिथे जी, तोरे नाम।

बनके बाबा साहब ,दव पैगाम।


बनें सहारा शोषित ,देहे ज्ञान।

आघू बाढ़य कहिके, जन पहिचान।


जन जन ला संदेसा,बाँटे ध्यान।

शिक्षा पावय मनखे,करे बखान।


खेती बारी धन बर, बड़ अभियान।

कानून बनें कतका, जाग किसान।


धरे समस्या ला तँय,पकडे़ कान।

नियम बना के सबबर, बने महान।


*धनेश्वरी सोनी गुल*

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: पद्मा साहू *पर्वणी* 

दिनांक 26/11/2021

 *_सरसी छंद ___संविधान_*

 

भीमराव अंबेडकर बाबा, वास्तुकार प्रधान।

मान दिलाइस हमर देश ला, संविधान पहिचान ।।


मार्गशीर्ष तिथि शुक्ल सप्तमी, संविधान स्वीकार।

बिक्रम संवत दू हजार छह, नियम बनिस आधार ।।


लोकतंत्र गणराज्य बनाइस, प्रभुता वादी राज।

जात-पात के भेद मिटाइस, करिस धरम के काज।।


राष्ट्र एकता अखंडता बर, भीमराव जी आस।

अउ स्वतंत्रता न्याय प्रतिष्ठा, सामाजिक विश्वास।।


जग समता के पाठ पढ़ाइस, अलख जगाइस ज्ञान ।

न्याय दिलाइस दलित वर्ग ला, रख के समता ध्यान।।


पद्मा साहू *पर्वणी*

खैरागढ़ जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़

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: *संविधान दिवस*

*सार छंंद*


भारत के संविधान बड़का, सबो देश ले हावय।

पावन हे भारतवासी बर, अधिकार सबो पावय।। 


सब ला दे हवय बरोबर हक, चाहे वो नर-नारी।

जात-धरम के रक्षा करथे, नइ कखरो बर भारी।।

स्वास्थ्य काम अउ शिक्षा देथे, गंगा पावन हावय।

पावन हे भारतवासी बर, अधिकार सबो पावय।। 


भीम राव कानून बनादिस, अधिकार सबो मिलगे।

ऊँच नीच ला पाटिस एहा, सब के जिनगी खिलगे।।

भीम राव ले बढ़िया हावन, भगवान इही हावय।

पावन हे भारतवासी बर, अधिकार सबो पावय।।


*अनुज छत्तीसगढ़िया*

 *पाली जिला कोरबा*

     *सत्र 14*

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*संविधान*

(सार छंद)


*हमर देश मा कलकल बहिथे,संविधान के धारा।*

*स्वतंत्रता अउ समानता हे,जेकर दुई किनारा।।*


*भेदभाव हा धर्म-पंथ के,चिटको नइये जेमा।*

*लोकतंत्र के फुलवारी हा, ममहाथे जी एमा।।*


*जनता ले जनता बर शासन,जनता भाग्य विधाता।*

*अपन भाग्य के सिरतो मा तो, जनता हे निर्माता।।*


*डाक्टर भीमराव  के खाँटी,चिंतन के चंदन हे।*

*भारत माँ के शब्द-शब्द मा, जय-जय अउ वंदन हे।।*


*सब बर हावय एक बरोबर,ये कानून हमर तो।*

*आय खजाना एहा सुख के, हिरदे भीतर भर तो।।*


*हे पुकार बापू के जेमा, लौह पुरुष के वाणी।*

*हिंद निवासी कोटि-कोटि बर, ये गंगा कलियाणी।।*


*संविधान के पालन बर तो, 'बादल' माथ नवाथे।*

*जेकर घन  शीतल छँइहा मा , जन-जन बइठ थिराथे।।*



चोवा राम वर्मा 'बादल'

छंद के छ परिवार,छत्तीसगढ़

साधक-- सत्र 2

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*विषय--- संविधान (दोहा छंद)*



संविधान सिरजन करिस,  बाबा भीम महान ।

अइसन विधिवत ग्रंथ ला, सबले बड़का जान ।।१


भेद-भाव ला टार के, दे मौलिक अधिकार ।

दलित पूत सिरजे हवय, संविधान  के  सार ।।२


बनगे हावय न्याय हा, शोषित जन के मान ।

जात- पात ला तँय हरे,  दिए सबो ला ज्ञान ।।३


दलित मसीहा तँय हवस, जन-जन कर्णाधार ।

संविधान तँय हा गढ़े,  करे  हमर  उद्धार ।।४


हम भारतवासी सबो, सदा करन सत्कार ।।

बाबा अरजी तुम सुनव, वंदन  बारंबार ।।५



    *मुकेश उइके "मयारू"*

    *साधक--सत्र 16*

    *चेपा(बकसाही)पाली जिला-कोरबा*

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] बाल्मीकि साहू 17: दोहा छंद


भारत भुइँया मा सदा, होवय जनता राज।

जुरिया पुरखामन करिन, संविधान के काज।।


नोनी बाबू सब करव, संविधान के मान।

ये ला तुम सब जानहू, हमर देश के जान।।


सब झन के मन मा रहय, बरोबरी के भाव।

संविधान मरहम लगे, मिटय विषमता घाव।।


जात पात के डोर ला, दीदी भइया तोड़।

संविधान ला जान के, सब ल हाथ तँय जोड़।।


संविधान बनगे हवय, जस माला के डोर।

जनता मन ह गुँथाय तस, मोती ओरी ओर।


बाल्मीकि साहू🙏

छंद के छ परिवार

साधक-सत्र 17

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 💐💐संविधान के बाट बता जा 💐💐 


भीमराव अम्बेडकर, लिखे हिन्द संविधान ।

शिल्पकार भारत सुदिन, कानूनी विद्वान ।। 


तोर बाट ला मनुख भुलागे ।

अब तो निच्चट कलउ उखरागे ।।

सबके मन मा भेद भरे हे ।

अंते-तंते मंत्र धरे हे ।। 


बिगन बूझे जाने चिचियाथे ।

आने ताने गाना गाथे ।।

फँसत हवै बैरी के फाँसा ।

समझ न पावत ओकर झाँसा ।। 


मनखे गढ़ के नावा नारा ।

भुला गये हे तोर तियारा ।।

भेद भाव के खोदत खाई।

सपना करके राई-छाई।। 


तोर नाम ला करके आगे ।

कोनो स्वारथ साधन लागे ।।

एक बेर अउ बाबा आजा ।

संविधान के बाट बता जा ।। 


शोभामोहन श्रीवास्तव

साधिका सत्र ८

रायपुर छत्तीसगढ़

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: *संविधान दिवस*


आल्हा छंद


भीमराव संविधान बनाके, करिन देश बर बड़ उपकार।

रक्षा बर कानून चलत हे,यही देश के हे आधार।1


ऊँच नीच के खाई पाटे, दे हावँय समता अधिकार।

सब झन बर कानून एक हे,राजा हो या सेवादार।2


पारित होइस हवय सभा मा,ये संविधान ह सन उनचास।

तारीख रहिस छब्बीस नवम्बर,ये दिन बनगे अब्बड़ खास।3


किसम किसम के अनुसूची हे,अबड़ अकन हवय अनुच्छेद।

जाति धरम भाखा कोनो हो,पर मनखे मन मा नइहे भेद।4


ये विधान ला सबझन मानँय,भारत भुइयाँ करय विकास।

सब ला सम अधिकार मिले हे,चारो कोती हवय उजास।5।


बहुत बड़े संविधान हवय जी,होय विश्व मा अब्बड़ मान।

हमर एकता समता प्रभुता,नित होवत हे जन मन गान ।6


सागर से पर्वत तक जानव,  भुइयाँ से जानव आकाश।

अइसे अइसे नियम बने हे,जइसे सुई ल करे तलाश।।7


भीमराव के परसादे मा फूले शिक्षा अउ व्यापार।

बनगे हे कानून व्यवस्था,नर नारी बर सम अधिकार।8


जगत ऋणी हे तोरे बाबा,भीमराव जी पूज्य महान।

जब तक ये दुनिया हा रहही,बाबा के होही यशगान।9



आशा देशमुख

एनटीपीसी कोरबा

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संविधान-रूप घनाक्षरी-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


                   1

मीत मया ममता के,सत सुख समता के।

दीन हीन रमता के,संविधान हे आधार।।


जिनगी ला गढ़े बर,आघू कोती बढ़े बर।

घूमे फिरे पढ़े बर, देय हवे अधिकार।।


उड़े बर पाँख हरे,अँधरा के आँख हरे।

ओखरोच आस हरे,थक गेहे जौन हार।।


सिढ़ही चढाये ऊँच,दुख डर जाये घुँच।

हाँसे जिया मुचमुच,होय सुख के संचार।।1


                    2

गिरे थके अपटे ला,डर डर सपटे ला।

तोर मोर के बँटे ला,थामे हवै संविधान।।


सुख समता के कोठी,पबरित एहा पोथी।

इती उती चारो कोती,जामे हवै संविधान।।


मुखिया के मुख कस,ममता के सुख कस।

छायादार रुख कस,लामे हवै संविधान।।


खुशनुमा हाल रखे,ऊँच नाम भाल रखे।

सबके खियाल रखे,नामे हवै संविधान।।


जीतेन्द्र कुमार वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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3 comments:

  1. बहुत सुग्घर छंद संग्रह संविधान दिवस मा ।बहुत बहुत बधाई

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  2. डॉ.भीमराव अंबेडकर जइसन संविधान के निर्माता ला शत् शत् नमन

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  3. छत्तीसगढ़ी साहित्य मा विषय के विविधता,एला सम्पन्न बनाही। जम्मो छन्दकार के सुग्घर छन्द-रचना

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