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Tuesday, December 19, 2023

रील मा नही रीयल मा दिखव- सार छंद*

 *रील मा नही रीयल मा दिखव- सार छंद*


दिखना चाही रीयल मा ता, दिखें रील मा मनखें।

हाँसँय फाँसँय नाँचँय गावँय, खड़ें खील मा मनखें।।


जिनगी ला पिच्चर समझत हें, हिरो हिरोइन खुद ला।

धरा छोंड़ के उड़ें हवा मा, अपन गँवा सुध बुध ला।।

लोक लाज सत रीत नीत तज, हवैं ढील मा मनखें।

दिखना चाही रीयल मा ता, दिखें रील मा मनखें।।


दुनिया ला देखाये खातिर, बदल रूप रँग बानी।

कभू फिरें बनके बड़ दानी, कभू गुणी अउ ज्ञानी।।

मया प्रीत तज मोती खोजें, उतर झील मा मनखें।

दिखना चाही रीयल मा ता, दिखें रील मा मनखें।।


हवैं चरित्तर आज मनुष के, हाथी दाँत बरोबर।

मुख मा राम बगल मा छूरी, दाबे फिरें सबे हर।।

सपना देखें सरी जगत के, खुसर बील मा मनखें।

दिखना चाही रीयल मा ता, दिखें रील मा मनखें।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बालको,कोरबा(छग)

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