मुक्ताहरा सवैया-प्रस्तुति "छंद के छ" परिवार
*मुक्ताहरा सवैया छंद*
*विषय-बसंत*
121 121 121 121 121 121 121 121
बही सुन रे बन मा अब छाय हवे मदमस्त बसंत बहार।
तिहार मनावत जंगल के बन जीव सबो खुश होत अपार।
सुनावत हावय रे अब कोयल गीत मया टिकरा बन खार
बने उलहोवत हावय कोंवर-कोंवर रे सरई अउ चार।
*अनुज छत्तीसगढ़िया*
*पाली जिला कोरबा*
💐💐💐💐💐💐💐💐
मुक्ताहरा सवैया
धनी धरती जग मातु हरे उपकार करे भर पेट खवाय।
अमीर गरीब सबो बर माँ हर अन्न भरे सथरा बन जाय।
पहाड़ नदी अउ जंगल सागर अंग सजे गहना कस आय।
सबे सुख दान करे धरती हर पालय पोषय दुःख भगाय।
कबीर चले सत ज्ञान सुमारग शील दया धर नेक विचार।
गुरू सत पारख संत रहे कथनी करनी सब छाँट निमार।
कुरीति अनीति फँसे जग के बँधना पग छोर बता सत सार।
असत्य सरी अँधियार नही अउ सत्य सरीख नही उजियार।
शशि साहू
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
बिषय.....साग
121*8
*पताल दिखै झुमका झुमका झुनगा मुनगा फरगे भरमार*।
*लगै मखना बड़का रखिया सब गोल मटोल फरै हर डार*।
*घिया मनभावन लागय रोग हरै सबके दुधिया रस दार*।
*दिखै बड़ सुघ्घर बाग बगान फरै सब नार चघैय अपार*।
*धनेश्वरी सोनी गुल*✍️
बिलासपुर
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*मुक्ताहारा सवैया*
कहाँ दिखथे टुकनी चरिहा डलिया दुहना अउ काँवर आज।
नँदावत बेलन नाँगर बक्खर ट्रेक्टर के अब हावय राज।।
कहाँ मिलथे अब दूध दही कइसे निपटै सब हूमन काज।
सुने म सबो लगथे सपना अउ गोठ करे अब लागत लाज।।
भागवत प्रसाद चन्द्राकर
डमरू बलौदाबाजार
💐💐💐💐💐💐💐💐
मुक्ताहारा सवैया- ।।चुनाव।।
हवै अब फेर ग आय चुनाव चलौ मिलके करबो मतदान।
कभू नइ आवन लालच मा सच झूठ घलो करबो पहिचान।
सबो मिलके चुनबो मुखिया ल इही सबके अब हे अभियान।
रही जनता खुशहाल सदा बन ही तब तो गणतंत्र महान।।
- गुमान प्रसाद साहू ,समोदा (महानदी) ,रायपुर छत्तीसगढ़
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*मुक्ताहारा सवैया*
बरात चले शिव संग सबो झन भूत पिशाच परेत मशान |
धरे कतको झन रूप अनेक चले सब गावत अल्कर गान ||
मुड़ी बिन हावय देह घलो कतको झन देख सुपा जस कान |
उमंग मतंग सबो झन जावय दानव देव सिरी भगवान ||
अशोक कुमार जायसवाल
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
(1) बरसा के अगोरा
असाढ़ गए अब सावन आय तभो बरसा ह कहाँ अब होय ।
किसान सबो मन मूड़ धरे बइठे अब देखत हे बड़ रोय।।
बियास करे बर नीर नहीं भइया कलपै अब आस सँजोय।
परे दुख मा अब साँझ बिहान इहाँ बिनती ल किसान बिनोय।।
(2) बरसा के अगोरा
सुनौ भगवान करौ किरपा अब देर नहीं धनहा अइलाय।
गरीब किसान सबो मनखे मन हार थके अब आस लगाय।।
इहाँ घनघोर घिरे बदरा बिजुरी लउके अउ लाज न आय।
बता भगवान तहीं अब तो मनखे मन आज करे अब काय।।
रचना:-
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
: कबाड़ (मुक्ताहरा सवैया)
कबाड़ भरे घर भीतर हाबय फेर ग रोज बिछावत देख।
समान जरूरत के नइये तब ले ग सबो ल मँगावत देख।
परे कचरा कस हे पनही अउ चप्पल फेर बिसावत देख।
सियान कहे पइसा ल बँचावव फोकट के उड़वावत देख।
चोवा राम 'बादल'
💐💐💐💐💐💐💐
मुक्तहारा सवैया--- *किस्मत*
उपाय करै कतको मनखे नइ किस्मत के लिखना बदलाय।
भले कतको तँय टार लिखे विधि के लिखना नइ मान टराय।।
कहे नित बेद पुरान बिहा मरना अउ जन्म समे तय आय।
जपै प्रभु नाम सुजान सदा रख मारग ला चतुवार बनाय।।
करै कमिया रतिहा दिन काम तभो नइ पेट कभू भर खाय।
खवा सबला भर पेट खुदे नइ जेवन पेट कभू भर खाय।।
नदी जस धार गिरे तन के तब खेत म बड़े मुसकाय।
किसान करे जग पालन ये भुइयाँ बड़ तो अउ देव कहाय।।
मिलै सुख सुम्मत के रसता बनथे बिगड़े सब जानव काम।
हवै जन के हित हा बड़ पूजन देव कृपा करथे प्रभु राम।।
जपै हरि नाम बसावय जे मन पावय वो शुभ पावन धाम।
बनावय मंदिर जी घर मात पिता भजके बिहना अउ शाम।।
मनोज कुमार वर्मा
💐💐💐💐💐💐💐💐
मुक्ताहरा सवैया
बिना रुपिया पइसा जिनगी हर बीतत जावत हे तँगहाल।
बिहाव करौ कइसे मँय होवत हे बिटिया अठरा अब साल।
दहेज बिसावव लाव कहाँ मँहगाइ बढ़े ग गलै नइ दाल।
करौ कइसे मन सोचत आज दहेज बने बिटिया बर काल।
ज्ञानु
💐💐💐💐💐💐💐
*मन के दुख*
कहौं कइसे मन के दुख ला कइसे मन मोर धरै नहिँ धीर।
गुने दिन-रात उही मन आत उही मन जात तजै नहिँ पीर ।।
मही समझावँव बाँधव धीर जुबान बुरा जन के तय चीर।
कभू झन भेदन दे दुनिया भर के दुख के कँटवारन तीर।।
डॉ पद्मा साहू "पर्वणी"
खैरागढ़
जिला खैरागढ़ छुईखदान गंडई
💐💐💐💐💐💐💐💐
हुए ललना अँजनी घर आय रहे जस सूरज तेज समान ।
लिए जग मा अवतार धरे तब बानर रूप इहाँ हनुमान ।।
चले जब राम सिया दरबार बने रखवार मिले पहिचान ।
हरे सबके दुख संकट ताप जपो बजरंग बली बलवान ।।
-वसन्ती वर्मा
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
: मुक्ताहरा सवैया- बचावव पेड़
बचावव पेड़ लगावव पेड़ इही जिनगी सुख के रखवार।
गिरावय नीर मिटावय पीर दिये फल छाँव सुने मनुहार।।
दुआ दवई बनके करथे उपचार पड़े जब लोग बिमार।
करै बिनती कर जोर गजानन पेड़ बचावव मोर पुकार।।
इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
: मुक्ताहारा सवैया
------------------------
बने पहुना रितुराज बसंत ह आय त कोन खुशी न मनायँ।
खिले परसा मउहा अमुवा सरसो बिरवा फुलवा बरसायँ।।
करैं चिरई चिंव चाँव मनोहर कोयलिया मन फाग सुनायँ।
लगे जस मौसम भाँग पिए तब मानुष संग सबो बउरायँ।।
दीपक निषाद--छंद साधक सत्र-10
💐💐💐💐💐💐💐💐
बिना रुपिया पइसा जिनगी हर बीतत जावत हे तँगहाल।
बिहाव करौं कइसे मँय होवत हे बिटिया अठरा अब साल।
दहेज बिसावँव लाँव कहाँ मँहगाइ बढ़े ग गलै नइ दाल।
करौ कइसे मन सोचत आज दहेज बने बिटिया बर काल।
ज्ञानु
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
"तभे फभथे"
सियान बिना घर हे बिरथा बिन देव फभे नइ मंदिर जान।
अकारथ लागत स्कूल जिहाँ न रहै न पढ़ै न बनै बिदवान।।
बिहाय चले ससुराल उही घर मंदिर धाम बरोबर मान।
जरे हिरदे ह जुड़ाय लगे जब हे मिलथे मिठहा ग जबान।।
जथे उलहाय मिले चुरुवा जल पेड़ म फूल लगे फल जाय।
मया मिलथे तरसे हिरदै अइलाय परे रुखवा हरियाय।।
गरेर चले दुख के सुख पान झरे जिनगी रइथे मुरझाय।
बसंत बहार बहूर जही उलहावत पान सहीं सुख लाय।।
मितान बदे पुरखा मन हे त निभावत जावत मान बचाय।
नता ल बचावत मानत हे पहुना मन के पहुनाइ रचाय।।
समोख सियान हरौं कहिके हिरदै म बने बिगड़े ल पचाय।
चलौ चलबो सुन गोठ सियान जिही चिरबोर न शोर मचाय।।
बियाय बने लइका उकरो जिनगी सुख सोहर ले भर जाय।
कमावत जाँगर टोर कभू झन ओकर गोड़ म फाँस चुभाय।।
धियान रखौ बुढ़वा पन माँ अउ बाप उही लइका पन पाय।
तभे फभथे ग जभे मनखे जनमे हन सोच सुजान जनाय।।
द्रोपती साहू "सरसिज"
महासमुन्द छत्तीसगढ़
पिन-493445
Email; dropdisahu75@gmail.com
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
मुक्ताहरा सवैया
श्रीराम
समाय हबै मन-मंदिर मा नित मोर सियावर जी प्रभु राम।
अँजोर करै जिनगी ल सदा सब लेवव जी अति पावन नाम।
बड़ा मनभावन प्रेम समुन्दर राम हबै जग मा गुण-धाम।
दयालु कृपालु उदार क्षमानिधि हे रघुनायक मोर प्रणाम।
कमलेश वर्मा
सत्र -09
💐💐💐💐💐💐💐
*सवैया 18
*मुक्ताहरा सवैया*
*ठग*
दुकान लगावय गाँव गली ठग चंदन बंदन माथ लगाय।
ठगावत हे मनखे मन हा सब फोकट मा धन धान लुटाय ।
धरे पतरा ठग बाँचत हे मनखे मन के मति ला भरमाय।
इँहा नइहे सुख जीयत ले सुख ठौर सबो परलोक बताय। *
*सीख*
कमाय हवे पुरखा मन हा तुँहरे बर तो अतका धन मान।
गरीब लचार जिहाँ दिखथे कर लौ भइया उँहचे कुछु दान।
जबान कभू कड़ुवा झन बोलव गुत्तुर बोल हवे सुख खान।
कहे सत मारग जेन चले उँखरे बर साहित हे भगवान।
*घर भेदी*
इहाँ बइरी बइठे घर मा अपने घर बार लगावय आग।
सिखावन मानत दूसर के पर के बुध मा सुन गावय राग।
सगा बस हे पइसा इँखरे नइ जानय कोन नता अउ लाग।
दुखी परिवार समाज रहे सब एमन कोढ़ लगे कस दाग ।
*जलसंकट*
बढ़े जल संकट हे गहरावय येखर खोजय कोन निदान।
नदी नरवा तरिया सब सूखय जीव जनावर हे हलकान।
कहूँ कर छाँव घलो नइहे छइहाँ सब खोजय होय थकान।
सबो करनी मनखे करथे अब काय करे कइसे भगवान।
*हनुमान जयंती*
लला अवतार धरे अँजनी घर भक्त शिरोमणि हे हनुमान।
दिखे मुखमंडल तेज प्रताप सबो मिल देव करे गुणगान।
बसे मन मा बस राम सिया बल बुद्धि किये नइ जाय बखान।
सबो दुख दारिद दूर करे बस संकट मोचन के कर ध्यान।
*मशीन*
विकास करे दुनियाँ नित देखव आज मशीन घरो घर छाय।
मशीन करे सब काम बुता मनखे मन के बइठे अलसाय।
हवै वरदान कहे जतका सुनले वतका अभिशाप कहाय।
मिले तन ला सुख अब्बड़ जी तब ले तन मा बड़ रोग हमाय ।
आशा देशमुख
बहुतेच सुग्घर मुक्ताहरा सवैया संग्रह
ReplyDeleteधरोहर संकलन
ReplyDelete