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Friday, March 8, 2024

महाशिवरात्रि परब विशेष

महाशिवरात्रि परब विशेष
 

त्रिभंगी छंद

महादेव 


हे महादेव शिव,शंकर भोले,घट-घट वासी,देव तहीं।

सुशरण अविनाशी,नीलकंठ तँय,देव दनुज के,नेंव तहीं। 

हे मन बलिहारी,महाकाल तँय,सबके दुख के,काट तहीं। 

वय गुणग्राही अणु,आदि अनंता,भूप उमापति,भाट तहीं।। 


हे तांडव रनता,मुक्तिमाल प्रभु,अंग लपेटे,खाल पटा। 

विश्वेश्वर गिरिवर,डमरू धारी,तोर मूड़ भर,जाल जटा।

हे देवेश्वर प्रभु,जय हो जय हो,अजर-अटल तँय,कल्प महा। 

औघड़ अवदूता,सर्वेश्वर तँय,तोर कृपा ले,दुष्ट ढहा। 



हे धुनी रमइया,ज्ञान गम्य निधि,चन्द्र भाल मा,गजब फभे। 

मिलथे वरदानी,करंताल के,हर हर के कर,जाप तभे। 

हे भुजंग भूषण,हिरण्यरेता,हवि गिरिश्वर,महाबला। 

अज सोम सदाशिव,तोर कृपा ले,कतको संकट,जाय टला।। 


हे व्योमकेश मृड,खण्डपरशु हवि,त्रयीमूर्ति प्रभु,नाथ तहीं। 

शाश्वत सात्विक तँय,पशुपति देवा,देथस सब ला,साथ तहीं। 

हे अनंत तारक,परमेश्वर भव,मृत्युंजय के,जाप तहीं। 

जग शंभु जगत गुरु,हे शशि शेखर,दुष्टन मन बर,श्राप तहीं।। 


हे शर्व दिगंबर,महासेन तँय,दया-मया के,छाँव तहीं। 

कवची मृगपाणी,ललाटाक्ष अउ,पाशविमोचन,नाँव तहीं। 

हे त्रिलोकेश तँय,भक्तवत्सला,उग्र शिवा प्रिय,रूप धरे। 

सुरसूदन गृहपति,सहस्रपाद तँय,अंतस के दुख,ताप हरे।। 


हे वीरभद्र प्रभु,सुभग अनीश्वर,उँकर कष्ट तँय,खुदे सहे

जे दक्षाध्वरहर, सहस्रसाक्ष हरि,परमात्मा के,नाम कहे। 

हे भीम कृपा निधि,दक्ष महेश्वर,शेषनाग गर,धार करे। 

गिरिप्रिय गिरिधन्वा,पुराराति नित,जीव जगत के,ध्यान धरे।।


हे विरूपाक्ष सम,हे कामारी,सबके सुनले,इहाँ व्यथा। 

तँय नाथ अंबिका,स्वामी बनके,सुघर सुनाये,राम कथा। 

हे गंगाधर गिरि,गोचराय पटु,भूत प्रेत सन,रहय घला। 

भोले खटवांगी,जग के हितवा,बड़ निरमोही,आय भला।। 


हे श्मशान वासी,तँय समदर्शी,साथ रिहिस हे,पारबती। 

तँय पुष्कर लोचन,गौरीभर्ता,ईश पिनाकी,मदन मती। 

हे विमल निरंजन,हे दुख भंजन,सबके तारन,हार हरौ। 

अउ विश्वरूप रवि,विषवाहन धव,अचल विरोचन,सार हरौ।। 


हे नन्दीश्वर शुचि,सुखी सोमरत,गति ज्योतिर्मय,माथ हरौ। 

जय सुरेश भूशय,एक बंधु ध्वनि,महाकोश ध्वनि,नाथ

 हरौ। 

हे महेश भूपति,भूतपाल विभु,महाचाप खग,शान्त हरौ। 

वरगुण सहयोगी,नित्य सुलोचन,महाकोप अउ,कान्त हरौ।। 

विजेंद्र कुमार वर्मा

नगरगाँव (धरसीवाँ)

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*सार छंद*

परब महाशिवरात्रि आज हे,जुरमिल सबे मनाबो।

महादेव के करबो पूजा,भजन आरती गाबो।।


दूध दही जल घींव शहद ले,भोले ला नउहाबो।

बेल पान अउ फुड़हर धतुरा,सुग्घर अकन चढ़ाबो।


फागुन महिना के तेरस अउ,पाख रथे अँधियारी।

इही रात मा बनथे भोला,पारबती सँगवारी।।


भूत संग मा धर परेत ला,शिव हा लाय बराती।

हरे इही मन गोतियार अउ,येकर इही घराती।।


बनय नाग हा हार गला के,नंदी तोर सवारी।

गंगा तोर बिराजे लट मा,तँय हा डमरू धारी।।


सागर मंथन के विष ला तँय,अपन नरी मा धारे।

नीलकंठ तँय बनके शंभू,जग ला दुख ले तारे।।


सरी जगत के तँय हा भोले,आवस भाग्य विधाता।

आये हावन तोर दरस बर दरसन देदे दाता।


अमृत दास साहू

कलकसा डोंगरगढ

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 ( ताटंक छंद )

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फागुन महिना के अंधियारी,

तिथि तेरस जब आथे जी।

दिवस उही ला हमर देश मा,

शिव के परब मनाथे जी।।1।।


करके पूजा शिव भोला के,

जन्म सुफल कर जाथे जी।

लगथे मेला शिव मंदिर मा,

सब दर्शन बर जाथे जी।।2।।


फूल पान नरियर ल चढ़ाथे,

प्रसाद सब झन पाथे जी।

लेन देन जी कर मेला मा,

मन मा खुशी मनाथे जी।।3।।


इहाँ खिलौना ले लइका बर,

सब्जी घलो बिसाथे जी।

देख खिलौना लइका मन हा,

खुश अब्बड़ हो जाथे जी।।4।।


संझा बेरा होथे ताहन,

घर वापस सब आथे जी।

"दीप" ह जतना जानत हावे,

सब ला उही बताथे जी।।5।।


कुलदीप सिन्हा "दीप"

कुकरेल ( सलोनी ) धमतरी

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इजारदार: कनक मंजरी छंद

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जय शिव शंकर हे डमरू धर नाम रटे सब पाप कटे,

जय जगदीश हरे जय हो जय हो जय हो सब नाम रटे।।


बम बम बोल करे जयकार सबो नर नार कहे जय हो,

जपत शिवाय शिवाय शिवाय सबो सुख सागर अक्षय हो।।


सुमिरन नाम करे जब भी शिव काल महा विकराल टले,

कहत शिवा जय हो जय हो जय हो गति काल कुकाल टले।।


अलख अनंत अखंड निरंजन जाप करें मन तो हरषे,

हर हर बोल महा शिव शंकर पॉंव पखार कृपा बरसे।।


विषधर पान करे शशिशेखर का मॅंय रूप बखान करौं,

घट घट वास करे डमरूधर का मॅंय हा गुण गान करौं।।


बिषहर सांप गले लपटे सब अंग भभूत लगाय हवे,

डम डम नाद करे डमरू सबके मन सुग्घर भाय हवे।।


मरघट वास करे शिव जी सॅंग भूत पिसाच चुड़ैल रहे,

गण अड़भंग रहे सॅंग मा मुॅंड माल डले शिव सैल रहे।।


कल कल गंग बहे अतिपावन जूट जटा रस धार बहे,

धनुष पिनाक त्रिशूल धरे सब रूद्र त्रिनेत्र महान कहे।।


तरपउॅंरी सुख धाम हवे सब हे शिव जी सुख नाम करौ,

डगमग डोलत हे नइया मझधार फॅंसे जग पार धरौ।।


दुर्गा शंकर जायसवाल

सारंगढ़ 9617457142

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*हे शिव शम्भू**(बरवै छंद)*


कण कण बसथे शंकर, भोलेनाथ।

मोर हिरदे बिराजो,गौरा साथ।।

औघड़ दानी शम्भू, देवव दान।।

भक्ति मुक्ति दुनों मिले, पाववँ मान।

ऊँ नमः शिवाय इही, चलथे जाप।

धीरे धीरे मन के,मिटथे पाप।।

गिरिजापति हा करही, भव ले पार।

स्वामी तोला सिमिरौं,बारंबार ।।



चित्रा श्रीवास

बिलासपुर छत्तीसगढ़

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[3/8, 4:14 PM] पद्मा साहू, खैरागढ़ 14: कुकुभ छंद

                    शिव 


महाकाल उज्जैन नगर के, घट-घट  तैं  रमथस  भोला ।

तहीं काल के काल हरस सब, महाकाल कहिथें तोला।।

राख भस्म ला मरघट्टी के, ओंगे शिव तैं चोला मा ।

बनके भूत परेत के संगी, मस्त भंगिया  गोला  मा ।।


चिता जलय  जी मरघट्टी के, दहकत आगी  अंगारा ।

तोर  बसेरा  बनगे  भोला, ये  भूत  घाट  के  पारा ।।

राम तोर ये महिमा जानिस, अंत समय के  सच्चाई ।

महाकाल के शक्ति  बने  हे, योग  ज्ञान  के  गहराई ।।


श्री राम तोर करथें पूजा, अउ तैं जपथस शिव वोला ।

राम रमे  हे  मन  मा  तोरे, बड़  महिमा  तुंहर  भोला ।।

महाकाल के डम-डम डम-डम, डमरू हा बाजय प्यारा ।

मंदिर-मंदिर मा गूंजय  सब, बम  भोले  के  जयकारा ।।


     डॉ. पद्मा साहू "पर्वणी"

           खैरागढ़

जिला खैरागढ़ छुईखदान गंडई

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[3/8, 7:00 PM] अश्वनी कोसरे : वीर छंद- अश्वनी कोसरे


 *महाशिवरात्रि* 


महादेव कैलास निवासी, तुहँरे महिमा अपरम्पार|

ब्रम्हा बर ब्रम्हास्त्र बनाये, शक्ति के अतुलित भंडार||


जग सृष्टि मा तुहँर दया ले, सबो जीव के हे कल्याण|

अस्त्र शस्त्र के सिरजन कर्ता, चक्र सुदरशन हे निर्माण||


अवघड़ दानी भोले बाबा, का-का महिमा करँव बखान|

तीनो लोक चौदह भुवन मा , सब करथे जी तुहँरे ध्यान||


सत्य नाम के रोपे बिरवा, पीके जहर करे उपकार||

गंगा धारण करे जटा मा, जग जाहिर तुहँरे उपहार||


हनुमान के रुप धरेव तब, जग जानिस तुहँरे अँवतार|

शिव शंभू भोले भंडारी, दीनन के करथव उधियार ||


पूजा हवन करँत हे तुहँरे, सजे धजे निकले बारात|

डमरू ढोल बजत हे घर -घर, मंडप नीक लगत हे घात ||


सब बर कृपा बरसही बाबा, शिवराती मा हे जसगान|

हाथ जोर सब नमन करत हें, देहव मन माफिक बरदान||



छंदकार- अश्वनी कोसरे रहँगिया कवर्धा कबीरधाम

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औघड़ दानी (मोद सवैया)


देवन मा महदेव बड़े सिव संभु हवै जी औघड़ दानी ।

अंग भभूत रमाय रथे सिर मा बहिथे गंगा जुड़ पानी ।

दानव मानव भूत पिसाच सबो झन पूजे संग भवानी।

होय प्रसन्न चढ़े धतुरा पतिया फुलवा भोला गुन खानी।


चोवा राम 'बादल'

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[3/8, 9:44 PM] Om Prakash Patre: दुर्मिल सवैया छन्द - महाशिवरात्रि (०८/०३/२०२४)


भगवान सदाशिव शंकर के , अरजी बिनती बड़ होवत हे ।

किरपा सुख के छइहाॅं मिलही , कहिके सब दूध रितोवत हे ।

व्रत ला करके कतको मनखे , मइला मन ला नित धोवत हे ।

जग पालनहार हरे शिव जी , दिन - रात जगे नइ सोवत हे ।



💐ॐ नमः शिवाय 🙏

✍️ओम प्रकाश पात्रे 'ओम '🙏

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