वीर शिवाजी-त्रिभंगी छंद
माता बड़ धरमिन,जीजा बाई,पिता शाह जी,नाम हरे।
शिवनेरी मा तँय,जनम धरे अउ,बड़का बड़का,काम करे।
दादा ले सीखे,छद्म लड़ाई,राज पाठ सन,ज्ञान बने।
हितवा बर हितवा,बड़ बलशाली,क्षत्रिय कुल के,शान बने II
चीता जइसे गा,फुर्ती राहय,भाला बरछी,तेज चलै।
बड़ लड़े लड़ाई,छापा मारी,बइरी देखय,हाथ मलै।
घोड़ा वोकर गा,तेज बरोड़ा,दशो दिशा मा,मात करै।
अउ काट मुगल के,खून बहावय,योद्धा मन ला,घात करै II
भारत माता के,लाल रिहिन वो,मुरहा मन मा,प्राण फुँके।
बैरी बर करिया,डोमी बनके,जहर उगल के,खूब धुँके।
जय हो जय हो जय,वीर शिवाजी,सुघर उठाये,धरम धजा।
बड़ वीर मराठा,बघवा वोहर,बैरी ला दय,करम सजा II
विजेन्द्र कुमार वर्मा
नगरगाँव (धरसीवाँ)
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