अभियंता दिवस- 15 सितम्बर
अभियांत्रिकी,जनतांत्रिकी,गढ़थे सदा,इतिहास ला।
सुख से परे,सिरजन करे,सबके धरे,कुछ आस ला।
निर्माण जन,बलिहार मन,रखथे सँजो,विसवास ला।
खुद भूल के,श्रम तूल के,सहिथे सबो,जग त्रास ला।1।
बस लोह पथ,गज गामिनी,जल दामिनी,पुलिया बड़े।
बनगे सड़क,चल बेधड़क,अब आसमाँ,मनखे उड़े।
बनगे भवन,छुवथे गगन,अब देख लौ,दुनिया खड़े।
मिल साथ सब,कर बात अब,धर फोन ला,घर मा पड़े।2।
कब रात हे,कब हे सुबह,नइ तो समय,परिवार ला
घर के खुशी,पर के दुखी,तरसे सदा,इतवार ला।
पर देख लौ,अब सोंच लौ,समझौ अपन,अधिकार ला।
अफसर रहै,कुछ ना कहै,डरथे सदा,ठगदार ला।3।
छंदकार- इंजी.गजानन्द पात्रे *सत्यबोध*
अभियांत्रिकी,जनतांत्रिकी,गढ़थे सदा,इतिहास ला।
सुख से परे,सिरजन करे,सबके धरे,कुछ आस ला।
निर्माण जन,बलिहार मन,रखथे सँजो,विसवास ला।
खुद भूल के,श्रम तूल के,सहिथे सबो,जग त्रास ला।1।
बस लोह पथ,गज गामिनी,जल दामिनी,पुलिया बड़े।
बनगे सड़क,चल बेधड़क,अब आसमाँ,मनखे उड़े।
बनगे भवन,छुवथे गगन,अब देख लौ,दुनिया खड़े।
मिल साथ सब,कर बात अब,धर फोन ला,घर मा पड़े।2।
कब रात हे,कब हे सुबह,नइ तो समय,परिवार ला
घर के खुशी,पर के दुखी,तरसे सदा,इतवार ला।
पर देख लौ,अब सोंच लौ,समझौ अपन,अधिकार ला।
अफसर रहै,कुछ ना कहै,डरथे सदा,ठगदार ला।3।
छंदकार- इंजी.गजानन्द पात्रे *सत्यबोध*
बहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव,
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हरिगीतिका हे भाई
ReplyDeleteआज के विज्ञान के
बहुत बहुत धन्यवाद दीदी।
Deleteबहुत सुन्दर गुरुदेव
ReplyDeleteधन्यवाद लहरे भाई जी।।
Deleteबहुत ही बढ़िया सिरजाय हव भैया, वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह
ReplyDeleteधन्यवाद भैया जी!!
Deleteशानदार रचना सर
ReplyDeleteशानदार रचना सर
ReplyDeleteशानदार सृजन करे हव भैया जी,सादर बधाई ।
ReplyDeleteवाहहह वाहह सत्यबोध सर।बहुत बढ़िया लगिस आपके रचना पढ़के।शानदार हरिगीतिका छंद के सृजन हे।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बधाई हो पात्रे जी
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