(1)
आल्हा छंद - श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
हमर राज के माटी मा जी,बाबा लेइस हे अवतार।
सत के सादा झंडा धरके,रीत नीत ला दिये सुधार।
जात पात अउ छुआ छूत बर, खुदे बनिस बाबा हथियार।
जग के खातिर अपने सुख ला,बाबा घासी दिये बिसार।
रूढ़िवाद ला मेटे खातिर,बबा करिस बढ़ चढ़ के काम।
हमर राज के कण कण मा जी,बसे हवे घासी के नाम।
बानी मा नित मिश्री घोरे,धरम करम के अलख जगाय।
मनखे मनखे एक बता के,सुम्मत के रद्दा देखाय।
संत हंस कस उज्जर चोला,गूढ़ ग्यान के गुरुवर खान।
अँवरा धँवरा पेड़ तरी मा,बाँटे सबला सत के ज्ञान।
जंगल झाड़ी ठिहा ठिकाना,बघवा भलवा घलो मितान।
धरे कमण्डल मा गंगा ला,बाबा लेवय जब कुछु ठान।
झूठ बसे झन मुँह मा कखरो,झन खावव जी मदिरा माँस।
बाबा घासी जग ला बोले,करम करव निक जी नित हाँस।
दुखिया मनके बनव सहारा,मया बढ़ा लौ बध लौ मीत।
मनखे मनखे काबर लड़ना,गावव सब झन मिलके गीत।
सत के ध्वजा सदा लहरावय,सदा रहे घासी के नाँव।जेखर बानी अमरित घोरे,ओखर मैं महिमा ला गाँव।
रचनाकार - श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
(2)
जयकारी छंद-श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
''सतगुरु बाबा घासीदास''
सतगुरु के संदेश महान।तहूँ समझ ले मन नादान।
लोकतंत्र के हे पहिचान।मनखे मनखे एक समान।
पर नारी माता सम जान।जग जुग जिनगी के सभिमान।
नशापान ला महुरा जान,दूर रहे बर मन मा ठान।
हम जानत हन हावय बोध।सती प्रथा के करिस विरोध।
गुरु घासी के साँच नियाव।विधवा मन के पुनर्बिहाव।
गुरु घासी लेइस संज्ञान।बेगारी हे लूट समान।नाँगर मुठिया धरे कमाय।ते खेती के मालिक आय।
देख ताक के पाँव पसार।चादर ले झन नाकय पार।
उज्जर सतनामी संस्कार।धुवा घलो के सम अधिकार।
नोनी बाबू एक्के भाव।बिना भेद के खूब पढ़ाव।
ठलहा रह ना गाल बजाव।महिनत करके रोटी खाव।
सतगुरु बाबा घासीदास।आज जयन्ती उँखरे खास।
धरे सत्य जिनगी नहकाव।हँसी खुशी से पर्व मनाव।
रचनाकार-महंत सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा छत्तीसगढ़
(3)
बरवै छंद - बोधनराम निषादराज
"गुरु घासीदास"
बंदँव गुरुवर बाबा, घासीदास।
सुन लेहू जी मोरो, हे अरदास।।
मँय अज्ञानी देदे, मोला ज्ञान।
ददा मोर तँय दाई,अउ भगवान।।
तोर चरन मा जम्मों,सुख ला पाँव।
बाबा मँय तो तोरे, गुन ला गाँव।।
माता अमरौतिन हा,पावय भाग।
बाबा मँहगू के हे, किस्मत जाग।
पावन माह दिसम्बर, देखव आय।
अब गिरौदपुर वासी,धज लहराय।।
सत् रद्दा देखाइस, बाबा आज।
आवव संगी चलबो,करबो काज।।
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रचना:-
बोधन राम निषाद राज
व्याख्याता,वाणिज्य
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम(छ.ग.)
(4)
दोहा छन्द - श्रीमती आशा आजाद
जय जय सतनाम गुरु
जय जय कर सतनाम गुरु,पइया लागौ तोर।
समता पाठ सिखाय तँय,जिनगी करय अँजोर।।1
जन्में रहे गिरौद मा,धरे सदा तँय ध्यान।
बनगे बैरागी पुरुष,बाँटे तँय हा ज्ञान।।2
सुग्घर समता भाव ला,जग मा तय बगराय।
गुरु बाबा के मान ले,सत गुरु नाव कहाय।।3
मनखे-मनखे एक हे,बाबा ज्ञान सिखाय।
जात-पात सब छोड़ के,मनखे ला अपनाय।।4
समरसता संदेश ला,हिरदे ले अपनाव।
कपट भाव ला त्याग दव,जग मा सुमता लाव।।5
जय बाबा गुरुपंथ के,नाचौ पंथी आज।
सादा झण्डा थाम लव,छेड़ौ जम्मो साज।।6
घासीदास कहाय गा,जग ला करय अँजोर।
सत के रद्दा तँय धरें,चरण पखारौ तोर।।7
रचनाकार-श्रीमती आशा आजाद
पता-मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़
(5)
मनहरण घनाक्षरी - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
संत शिरोमणि गुरु घासीदास जयंती के समस्त मानव जगत ला गाड़ा गाड़ा बधाई
संत गुरु घासीदास 42 अमृतवाणियाँ-
सतनाम घट घट, बसे हवै मन पट
भरौ ज्ञान पनघट, कहे घासीदास हे
सबो संत मोरे आव,महिनत रोटी खाव
जिनगी सुफल पाव, करम विश्वास हे
ओतकेच तोर पीरा,जतकेच मोर पीरा
लोभ मोह क्रोध कीरा,करे तन नाश हे
सेवा कर दीन दुखी,दाई ददा रख सुखी
धर ज्ञान गुरुमुखी ,घट देव वास हे।।
ऊँचा पीढ़ा बैरी बर,मया बंधना ला धर
अन्याय विरोध बर,रहौ सीना तान के
निंदा अउ चारि हरे,घर के उजार करे
रहौ दया मया धरे,कहना सुजान के
झगरा ना जड़ होय,ओखी के तो खोखी होय
सच ला ना आँच आय, मान ले तैं जान के
धन ला उड़ाव झन,खरचा बढ़ाव झन
काँटा ला गढ़ाव झन,पाँव अनजान के।।
पानी पीयव छान के,बनावौ गुरु जान के
पहुना संत मान के,आसन लगाव जी
मोला देख तोला देख,बेरा ग कुबेरा देख
कर सबो के सरेख, मिल बाँट खाव जी
सगा के हे सगा बैरी,सगा होथे चना खैरी
अटके हे देख नरी,सगा का बताँव जी
मोर हर संत बर, तोर हीरा मोर बर
हे कीरा के बरोबर,मैं तो समझाँव जी।।
दाई हा तो दाई आय,मया कोरा बरसाय
दूध झन निकराय,मुरही जी गाय के
गाय भैंस नाँगर मा,इखर गा जाँगर मा
ना रख बोझा गर मा ,नोहय फँदाय के
नारी के सम्मान बर,विधवा बिहाव बर
रीत नवा चालू कर, चूरी पहिराय के
पितर मनई लगे,मरे दाई ददा ठगे
जीयत मा दूर भगे,मोह बइहाय के।।
सोवै तेन सब खोवै ,जागै तेन सब पावै
सब्र फल मीठा होवै,चख चख खाव जी
रोस भरम त्याग के,सोये नींद जाग के
ये धरती के भाग ला,खूब सिरजाव जी
कारन ला जाने बिना,झन न्याय ला जी सुना
ज्ञान रसदा ना कभू , उरभट पाव जी
मन ला हे हार जीत,बाँटौ जग मया प्रीत
फिर सब मिल गीत,सुमता के गाव जी।।
दान देवइया पापी,दान लेवइया पापी
भक्ति भर मन झाँपी,मूर्ति पूजा छोड़ दे
जइसे खाबे अन्न ला,वइसे पाबे मन ला
सजा झन ये तन ला,मोह घड़ा फोड़ दे
ये मस्जिद मन्दिर , चर्च अउ संतद्वार
बना झन गा बेकार, मन सेवा मोड़ दे
गरीब बर निवाला, तरिया धरमशाला
बना कुआँ पाठशाला ,हित ईंट जोड़ दे।।
आँख होय जब चूक,अँगरा कस जस लूख
फोकट के सुख करे,जिनगी ला राख हे
पर के भरोसा झन,खा तीन परोसा झन
मास मद बसौ झन,नाश के सलाख हे
एक धूवा मारे तेनो , बराबर खुद गिनो
जान के मरई जानौ,पाप के तो शाख़ हे
गुरु घासीदास कहे ,कहौ झन मोला बड़े
सत सूर्य चाँद खड़े, उजियारी पाख हे।।
रचना - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" बिलासपुर 8889747888
(6)
दोहा छन्द - बोधन राम निषादराज
सादा तोर बिचार हे, बाबा घासीदास।
ऊँच नीच सब एक हे,सत् मारग के आस।।1।।
मँहगू के घर अवतरे, ओखर भाग जगाय।
बालक घासीदास हा,गिरौदपुर ला भाय।।2।।
गुरु तँय मोला ज्ञान दे, आए हँव मँय द्वार।
तोर शरन मा राखले, करव मोर उद्धार।।3।।
जइत खाम सतनाम के, हावय तोरे धाम।
सत् के अलख जगाय बर,धरे ध्यान प्रभु नाम।।4।।
अलख जगा सतनाम के, सत् रद्दा मा जाय।
मानव सेवा कर चले,घासीदास कहाय।।5।।
पंथ चले सतनाम के, सत् के ज्ञान बहाय।
जन-जन मा तँय प्रेम के,सुघ्घर पाठ पढ़ाय।।6।।
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छंदकार:-
बोधन राम निषाद राज
व्याख्याता वाणिज्य
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम(छ.ग.)
(7)
कुण्डलिया छंद - चोवाराम वर्मा "बादल"
"जय सतनाम"
महिमा अगम अपार हे, सत्यनाम हे सार ।
सत भाखा गुरु के हवय, बूड़व सत के धार।
बूड़़व सत के धार , मइल मन के जी धोलव।
सादा रखे विचार, बचन मा सत रँग घोलव।
मनखे मनखे एक, एक हे सबके गरिमा।
देथे सत संदेश, अबड़ हे सत के महिमा।
रचना -चोवा राम "बादल "
हथबंद (छ.ग.)
(8)
🌹🌹गुरु घासीदास जयंती के आप सब ला बधाई अउ शुभकामना 🌹🌹🙏🙏
कुण्डलिया छंद - कौशल कुमार साहू
गुरु घासी ला तैं सुमर, जिनगी के आधार।
जोंत बार सतनाम के, मिट जाही अँधियार।।
मिट जाही अँधियार, सँगी ये मन मा धरलव।
लइका सबो सियान, आरती पूजा करलव।।
कौशल कहना मान, गया झन जावव काशी।
करही बेड़ा पार, हमर सबके गुरु घासी।।
✍कौशल कुमार साहू
सुहेला (फरहदा ) भाटापारा
(9)
बरवै छंद - आशा देशमुख
"गुरू महिमा"
अमरौतिन के कोरा ,खेले लाल।
महँगू के जिनगी ला ,करे निहाल।1।
सत हा जइसे चोला ,धरके आय।
ये जग मा गुरु घासी ,नाम कहाय।2।
सत्य नाम धारी गुरु ,घासीदास।
आज जनम दिन आये ,हे उल्लास।3।
मनखे मनखे हावय ,एक समान।
ये सन्देश दिए हे, गुरु गुनखान।4।
देव लोक कस पावन ,पुरी गिरौद।
सत्य समाधि लगावय ,धरती गोद।5।
जैतखाम के महिमा ,काय बताँव।
येला जानव भैया ,सत के ठाँव।6।
निर्मल रखव आचरण ,नम व्यवहार।
जीवन हो सादा अउ ,उच्च विचार।7।
बिन दीया बिन बाती ,जोत जलाय।
गुरु अंतस अँंधियारी ,दूर भगाय।8।
अंतस करथे उज्जर ,गुरु के नाम।
पावन पबरित सुघ्घर ,गुरु के धाम।9।
रचना - आशा देशमुख, कोरबा छत्तीसगढ़
(10)
बाबा गुरु घासीदास जयंती के आप सब ला बहुत बहुत बधाई 🌹🙏🌹
सार छंद - ज्ञानुदास मानिकपुरी
बाबा घासीदास जगत ला,सत के राह दिखाये।
जाँति पाँति औ ऊँच नीच के,बाढ़े रोग मिटाये।
भरम भूत औ मूर्ती पूजा,फोकत हवय बताये।
मातपिता भगवान बरोबर,सार तत्व ल लखाये।
जप तप सेवा भावभजन ला,मन मंदिर म बसाले।
करम धरम हा सार जगत मा,जिनगी अपन बनाले।
गुरु के बानी अमरित बानी,हिरदै अपन रमाले।
भाईचारा दया मया ला,पग पग तँय अपनाले।
बैर कपट ला दुरिहा फेँकव,लोभ मोह सँगवारी।
चलव सुघर चतवारत रसता,घपटे जग अँधियारी।
परनिंदा औ परनारी हे,राह नरक के जग मा ।
गुरुवर के अनमोल बचन हा,बहय सदा रग रग मा।
रचना - ज्ञानुदास मानिकपुरी
चंदेनी (कबीरधाम)
सादर आभार प्रणाम गुरुदेव
ReplyDeleteवाहःहः सबो साधक भाई बहिनी मन ला बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसादर नमन गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।सभी रचनाकार मन ला नमन।गुरुदेव जी ल सादर पायलगी।
ReplyDeleteआज के दिन गुरुघासीदास बाबा के रचना छंद खजाना मा आना हमर बर सौभाग्य के बात हे,अनंत नमन गुरुदेव आपमन ला
ReplyDeleteसादर आभार नमन गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत सौभाग्य के बात है
हमर रचना ला छंद खजाना में स्थान मिलिस हे।
बहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव। सादर प्रणाम
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव। सादर प्रणाम
ReplyDeleteवाह वाह!सबो साधक भाई बहिनी मन ला , आशा आजाद अउ जीतेंद्र जी ला गाड़ा गाड़ा बधाई... राधानंदन 'श्रवण'
ReplyDeleteगुरु बाबा घासीदास ला छंद के छ परिवार के तरफ ले जयंती विशेष मा समर्पित पावन शब्दांजलि अभिभूत करत हे। सादर नमन गुरुदेव।
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