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Thursday, October 1, 2020

अमृत ध्वनि छन्द-लिलेश्वर देवांगन

 अमृत ध्वनि छन्द-लिलेश्वर देवांगन


योग


ताजा ताजा ले हवा, सुबे सुबे कर योग |

लकठा नइ अावय कभू,जिनगी भर गा रोग ||

जिनगी भर गा,रोग बदन ला,छू नइ पाही |

बचही खर्चा, रोज दवा के, सुख तब आही |

रहिबे चंगा ,तभे कहाबे,तन के राजा |

जल्दी उठ के,सुबे हवा ले,ताजा ताजा |


प्रदुषन


गाड़ी मोटर के धुँआ, करथे जी नुकसान |

होथे रोगी श्वास के,लेथे सबके जान ||

लेथे  सबके,जान सुनव जी,सब नर नारी |

जगह जगह मा,फइले हाबय ,प्रदुषन भारी ||

रोज रोज के,काटत हाबय,जंगल झाड़ी |

गली सड़क मा,धुँआ उड़ाथे,मोटर गाड़ी ||


 फौजी


भारत   माँ के  गोद मा ,जनमे   वीर    महान |

फौजी बनके देश बर ,अपन गँवा दिस जान ||

अपन गँवा दिस,जान सुनव जी,अमर कहानी |

वीर   देख   के,   बैरी    होगे,   पानी   पानी ||

सीमा ले  जी ,  दुश्मन  भागे ,  रोवत  हारत | 

जोर लगाके,बोलत हाबय,जय जय भारत ||



लिलेश्वर देवांगन

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