रथ यात्रा(गीत)-सरसी छंद
अरज दूज मा जगन्नाथ के,जय जय गूँजे नाम।
कृष्ण सुभद्रा देवी बइठे,बइठे हे बलराम।
चमचम चमचम रथ हा चमके,ढम ढम बाजय ढोल।
जुरे हवैं भगतन बड़ भारी,नाम जपैं जय बोल।
झूल झूल के रथ सब खीँचय,करै कृपा भगवान।
गजा - मूंग के हे परसादी,बँटत हवै पकवान।
तीनों भाई बहिनी लागय,सुख के सुघ्घर घाम।
अरज दूज मा जगन्नाथ के,जय जय गूँजे नाम।
दूज अँसड़हूँ पाख अँजोरी,तीनों होय सवार।
भगतन मन ला दर्शन देवै,बाँटय मया दुलार।
सुख अउ दुख के आरो लेके,सबके आस पुराय।
भगतन मनके दुःख हरे बर,अरज दूज मा आय।
नाचत गावत मगन सबे हें, रथ के डोरी थाम।
अरज दूज मा जगन्नाथ के,जय जय गूँजे नाम।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
जय जगन्नाथ
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