Followers

Tuesday, July 13, 2021

विष्णुप्रद छंद-ज्ञानु मानिकपुरी


 

विष्णुप्रद छंद-ज्ञानु मानिकपुरी


तोर शरण मा परे हवन हम, जगन्नाथ प्रभुजी।

एक भरोसा तोर हवय बस, रहौ साथ प्रभुजी।।


मनखे मनखे नइ रहिगे अब, अत्याचार बढ़े।

जीना मुश्किल ये दुनिया मा, हाहाकार बढ़े।।


जाँगर चोट्टा बनगे मनखे, तन ला रोग धरे।

परके सुख अउ धन दौलत ला, फोकट देख जरे।।


मीठा वचन कभू नइ बोलय, बेटा संग बहू।

दाई बाबू दुश्मन लगथे, पीयत रोज लहू।।


जाँत पाँत के दाँव खेल के, नेता मस्त हवै।

गय विकास चढ़ भेंट स्वार्थ के, जनता त्रस्त हवै।।


रोवत हे भुइँया महतारी, कुछ तो यतन करौ।

उजड़े जंगलझाड़ी रुखवा, अब तो जतन करौ।।


हाथ जोड़ के बिनती प्रभुजी, सुख हर द्वार रहै।

बैर कपट मिट जाये अब तो, जग मा प्यार बहै।।


ज्ञानुदास मानिकपुरी

No comments:

Post a Comment