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Tuesday, November 1, 2022

छत्तीसगढ़ राज स्थापना दिवस के अवसर मा छंदबद्ध भाव पुष्प

 

फोटो- धनेश साहू

छत्तीसगढ़ राज स्थापना दिवस के अवसर मा छंदबद्ध भाव पुष्प

*छत्तीसगढ़ महतारी(हरिगीतिका)*


छत्तीसगढ़ देखव हमर,भाखा हवै सुग्घर सखा।

मनखे रथे सिधवा इहाँ,तन मन घलो उज्जर सखा।।

परदेशिया आ के सबो,सुख पाय के रतिया जथे।

अन धन सबो भंडार ला,देखत मुँहूँ पनिया जथे।।


छाए इहाँ बन डोंगरी,हरियर दिखै सब खार जी।

चिखला मतावय खेत मा,बनिहार जोड़ीदार जी।।

सोना बरोबर धान अउ,सोया मटर गेहूँ चना।

सब पोठ कोठी हे भरे,आ देख लौ नइ हे मना।।


बमलेश्वरी    दन्तेश्वरी,   दाई  महामाया  इहाँ।

बइठे भवानी शीतला,शीतल करै काया इहाँ।।

गावय जँवारा जस इहाँ,करमा ददरिया अउ सुआ।

दाई ददा मुस्काय जी,पानी भरै मिल सब कुँआ।।


रचनाकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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*होगे नवा बिहान*

(हरिपद/सुमंदर छंद मा गीत)

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छत्तीसगढ़ के राज्य बने ले, होगे नवा बिहान।

धान कटोरा छलकत हावै, हें खुशहाल किसान।।


अपन हाथ मा बागडोर हे, खुदे गढ़त हन भाग।

लाड़ू सहीं बँधाये हावन, भिंजे सुमत के पाग।

जागे हावै गाँव-गाँव हा,जागे हे गौठान।

छत्तीसगढ़ के राज्य बने ले, होगे नवा बिहान।


हे विकास के झंडा फहरे,दिल्ली नइये दूर।

अस्पताल अउ सड़क बनत हें,बिजली हे भरपूर।

कमी पाठशाला के नइये, दे बर शिक्षा दान।

छत्तीसगढ़ के राज्य बने ले, होगे नवा बिहान।


सरी जगत मा उभरत हावैं, हमरो रीति-रिवाज।

लोक कला अउ लोक परब बर,होइस सुग्घर काज।

छत्तीसगढ़िया संस्कृति के, उज्जर हावै शान।

छत्तीसगढ़ के राज्य बने ले, होगे नवा बिहान।


एक नवम्बर दू हजार सन,हावै तिथि बड़ खास।

श्रीयुत अटल बिहारी जी हा, रचिस नवा इतिहास।

छत्तीसगढ़ ला राज्य बनाके,देइस वो सम्मान।

छत्तीसगढ़ के राज्य बने ले, होगे नवा बिहान।


कभू बिसारन झन तो संगी, पुरखा मन के त्याग।

धधकत राहै ऊँकर बारे,स्वाभिमान के आग।

देखौ इहाँ कहूँ झन झपटै, शोषण के चेचान।

छत्तीसगढ़ के राज्य बने ले, होगे नवा बिहान।


चोवा राम 'बादल'

हथबंद ,छत्तीसगढ़

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 *सरसी छंद*

जबले छत्तीसगढ़ बनिस हे, होइस नवा बिहान।

नाम बगरगे जग मा एकर, हवे देश के शान।। 


सुवा ददरिया करमा पंथी, सबो दहर हे शोर।

होगे बाइस बछर बने जी, होवत हवे सँजोर।।

चढ़त निसेनी हे विकास के, होवत अब पहचान।

नाम बगरगे जग मा एकर, हवे देश के शान।। 


छत्तीसगढ़ी जग मा बगरगे, होवत हावय पोठ।

सबो लजावँय गोठियाय बर, सबो करत अब गोठ।।

कलाकार अउ कलमकार मन, आज बढ़ावत मान।

नाम बगरगे जग मा एकर, हवे देश के शान।। 


*अनुज छत्तीसगढ़िया*

*पाली जिला कोरबा*

*छंद सत्र १४*

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छत्तीसगढ़ के महिमा

*चौपाई छंद*


मोर छत्तीसगढ़ महतारी | धान कटोरा तोर चिन्हारी || 

लोहा सोना उगले भुइयाँ | कोरा मा रतन भरे भारी ||


अपन छत्तीसगढ़िया मन के | अटल बिहारी धूरी बनके

||

एक नवा इतिहास रचिन हें | हमर राज्य के नाम रखिन हें ||

दू हजार एक नवंबर मा | मिलिस मान पबरित अवसर मा || 

आज राज्य हा दर्जा पाइस | दुनिया भर मा नाम कमाइस  ||

रिगबिग ये दिखै संगवारी | दीया बारौ अपन दुवारी ||

मोर छत्तीसगढ़ महतारी | धान कटोरा तोर चिन्हारी || 

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तोर कोख मा आनी बानी | राज करैं सब राजा रानी || 

ऋषि मुनि के पोठ जुबानी | धार बहै हे गीत कहानी || 

कौशल्या के राम कहानी | महानदी के अमरित पानी || 

हे जल जंगल अउ रुख राई || तोरे गहना मोरे दाई ||

माटी तोर कोख महतारी | महकय चंदन के फुलवारी || 

मोर छत्तीसगढ़ महतारी | धान कटोरा तोर चिन्हारी || 

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सब तेंदू चार खैर कत्था | भरै तोर जंगल मा जत्था ||

बहिथे नदिया झरना कल-कल | तोर मया हे निर्मल छल-छल ||

चिरई चहकय बड़े बिहनिया | आमा फर मा लदै डहनिया ||

पुरवइया मा डोले अचरा | चरण पखारै भाई भचरा ||

तोर नाम होवय बहु भारी | सबके दाई राज दुलारी ||

मोर छत्तीसगढ़ महतारी | धान कटोरा तोर चिन्हारी || 

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पद्मा साहू "पर्वणी"

खैरागढ़

जिला खैरागढ़ छुईखदान गंडई

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लावणी छंद- गीत (कइसन छत्तीसगढ़)


पाटी पागा पारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया।

अंतर्मन ला पबरित रख अउ, चाल चलन ला कर बढ़िया।


धरम करम धर जिनगी जीथें, सत के नित थामें झंडा।

खेत खार परिवार पार के, सेवा करथें बन पंडा।

मनुष मनुष ला एक मानथें, बुनें नहीं ताना बाना।

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, नोहे ये कोनो हाना।

छत्तीगढ़िया के परिभाषा, दानी जइसे औघड़िया।

पाटी पागा पारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया----


माटी ला महतारी कइथें, गारी कइथें चारी ला।

हाड़ टोड़ के सरग बनाथें, घर दुवार बन बारी ला।

देखावा ले दुरिहा रइथें, नइ जोरो धन बन जादा।

सिधवा मनखे बनके सबदिन, जीथें बस जिनगी सादा।

मेल मया मन माटी सँग मा, ले सेल्फी बस झन मड़िया।

पाटी पागा बपारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया----


कतको दुःख समाये रइथे, लाली लुगा किनारी मा।

महुर मेंहदी टिकली फुँदरी, लाल रचे कट आरी मा।

सुवा ददरिया करमा साल्हो, दवा दुःख पीरा के ए।

महल अटारी सब माटी ए, काया बस हीरा के ए।

सबदिन चमकन दे बस चमचम, जान बूझके झन करिया।

पाटी पागा पारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया-----


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)


*छत्तीसगढ़िया(414) ल मात्रा भार मिलाय के सेती छत्तिसगढ़िया(44) पढ़े के कृपा करहू*

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*छत्तीसगढ राज्य स्थापना दिवस* के हार्दिक बधाई 💐💐🙏

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सार छंद गीत 

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जिहाँ मया सुमता उछाव के, जोत जँवारा जागय। ।

छत्तीसगढ के पबरित भुइयाँ, सरग बरोबर लागय। ।


उड़य अबीर गुलाल रंग बड़, मीठ मधुर बोली के। 

हर रतिहा जइसे देवारी, हर दिन हा होली के। ।

करँय नाच गम्मत अउ पंथी,गदगद सबके अंतस। 

करमा सुआ ददरिया के सुर, ले निकलै सुमता रस। ।

मिहनत के जस गीत बजे ले, जम्मो आलस भागँय।

छत्तीसगढ------


इहाँ रहइया मनखे मन हा, सिधवा भले कहावँय। 

लेकिन बलअउ बुध मा ककरो,ले कमती नइ हावँय। ।

जुरमिल अपन राज ला सरलग, आघू ले जाए बर। 

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, बनके दिखलाए बर।।

सात बहिनिया मइया मन ले,जम्मो झन बर माँगंय।

छत्तीसगढ-----


दीपक निषाद--लाटा (बेमेतरा)

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