छत्तीसगढ़ के गांधी - पंडित सुन्दरलाल शर्मा
आल्हा छन्द :-
गुरु गणपति के ध्यान लगाके, मात शारदा चरन मनाँव।
करव कृपा सबझन मिल आके, हाथ जोड़ के परथंव पाँव।।
पावन भुइँया ये भारत के, वीर पुरुष जहँ ठोंके ताल।
पावन छत्तीसगढ़ माटी मा, जन्मे पंडित सुंदरलाल।।
गरियाबंद जिला मा राजिम, तीर बसे हे चमसुर गाँव।
पिता हवय जयलाल तिवारी, माता देवमती हे नाँव।।
पौष कृष्ण अमावस महीना, संवत उन्नीस सौ अड़तीस।
सन अट्ठारह सौ इक्यासी, जनम लिए पाके आशीष।।
पिता बहुत अच्छा कविवर अउ, दूर-दूर तक जेकर नाम।
वो संगीत के सुघर ज्ञाता, ज्ञानी सज्जन नेकी काम।।
पढ़े मिडिल तक वो चमसुर मा, बालक सुंदर मने लगाय।
आगू के शिक्षा बर ओकर, गुरुजी घर मा आय पढ़ाय।।
अँगरेजी सँग बंगला उड़िया, सिखय मराठी भाषा नीक।
बड़ा सुघर वो चित्र बनावय, मूरति घलो बनावय ठीक।।
कविता अउ नाटक ले ओहा, लोगन मन ला सुघर जगाय।
देश गुलामी दूर करे बर, रण भुइँया मा कूदे आय।।
ब्याह बोधनी संग रचाये, आगू जिनगी संग बिताय।
पुत्र नीलमणि विद्याभूषण, छोटे से परिवार बनाय।
जात पात ला दूर करे बर, आंदोलन वो अबड़ चलाय।
मनखे ला अधिकार दिलाये, छुआछूत ला दूर भगाय।।
छोटेलाल नहर सत्याग्रह, आंदोलन करथे कण्डेल।
साथ दिये ओला पंडित जी, संकट बाधा सब ला झेल।।
गाँधी जी ला छत्तीसगढ़ मा, पंडित सुंदरलाल ह लाय।
माँग होय पूरा तब सबके, सबो किसान बड़ा सुख पाय।।
जनहित खातिर मा पंडित जी, कतको बार जेल भी जाय।
सबझन ला अधिकार दिलाये, सब मनखे ला फेर जगाय।
साहित घलो म नाम हवय बड़, छत्तीसगढ़ के नाम जगाय।
लिखे दानलीला वो सुग्घर, बड़ा नाम जेकर ले पाय।।
दिये उपाधि मान मा ओकर, छत्तीसगढ़ के गाँधी आज।
छत्तीसगढ़ साहित के अगुवा, मन मा करे सबो के राज।।
जगदीश "हीरा" साहू (व्याख्याता)
ग्राम- कड़ार, पोस्ट.- दतरेंगी, व्हाया- भाटापारा,
जिला - बलौदाबाजार-भाटापारा (छ.ग.)
Mob. 9009128538
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