जय श्री गणेश -जयकारी
हे गणनायक हे गणराज।मोर बना दव बिगड़े काज।।
हाथ जोर के करँव गुहार। भवसागर ले तहीं उबार।।
मंगलकारी पालनहार।तोरे जय हो जय-जय कार।।
जेन शरण मा आवय तोर।उँकर भाग हा होय अँजोर।।
ज्ञान बुद्धि बल जन के देव।तोरे ले जिंनगी के नेंव।।
हरहू मोरो मन के क्लेश।शिव गौरी के पुत्र गणेश।।
प्रथम पुज्य बड़का तँय देव।मोरो अरजी ला सुन लेव।।
अइसे मोला दव वरदान। दुनिया मा बाढ़य गा शान।।
सुखी रहय सब घर परिवार।इही अरज गा हवय हमार।।
भक्ति भाव ले करँव पुकार।कभू फसँव झन मँय मझधार।।
विजेन्द्र कुमार वर्मा
नगरगाँव (धरसीवाँ)
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