दोहा - "स्कूल चलव सब पढ़व सब बढ़व"
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सबो पढ़व आगू बढ़व, बनव सुजानिक लोग।
पल्ला छाँड़े भागही, अपढ़ अशिक्षा रोग।।
पढ़व लिखव सीखव सबो, आखर दीया बार।
अपढ़ अज्ञानी झन रहव, मेटावव अंँधियार।।
खोले स्कूल जगह जगह, संसोहिल सरकार।
आखर अलख जगाय बर, हो जावव तइयार।।
पढ़ लिख बनव सुजान जी, जागव करव विचार।
झाँसा काकरो आव झन, जानव खुद अधिकार।।
करिया आखर ए गड़ी, भैंस बराबर आय।
पढ़े लिखे बर जान लव, गाय सहीं उजराय।।
पढ़े लिखे के गुण गजब, पढ़े ते परछो पाय।
पढ़े लिखे गुनमान हा, नइ तो कभू ठगाय।।
पढ़ना लिखना सब करव, लइका रहे सियान।
पढ़े लिखे बर हर उमर, निक हे रखव धियान।।
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द्रोपती साहू "सरसिज"
महासमुंद छत्तीसगढ़
पिन 493445
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