*अमृत के दोहे - (विषय - जल संरक्षण)*
पानी हे बड़ कीमती, बूंद बूंद अनमोल।
बिन पानी सब सून हे,बउरव एला तोल।१।
जमगरहा गहिरात हे,जल संकट हर साल।
फोकट खइता झन करव,बनही जी के काल।२।
जल हे ता कल हा रही,बात इही ला जान ।
बिन येकर जिनगी नहीं,रख लौ बांध गठान।३।
सोंच समझ के अब करव, पानी के उपयोग।
बँचा बँचा के राखिहौ ,तभे बांँचही लोग।४।
पानी ले हावय प्रकृति,अउ हे जम्मू दीव।
जतन रतन के राखहू,तभे बांचही जीव।५।
सबले पहली हे धरम,सबके प्यास बुझाव।
जग के कोनों जीव ले,झन करहू दुर्भाव।६।
पानी हे ता पेंड़ हे,हवय पेंड़ ले सांस।
बिन पानी सब जीव हा,केवल हाड़ा मांस ।७।
समझव एकर मोल ला,येहर बड़ अनमोल।
जल ले धरा अगास हे,हे विज्ञान भूगोल।८।
जल हे ता अन पान हे,जल ले खेती खार ।
बिन जल कुछु ना होत हे,जल हे ता संसार ।९।
जल हे ता जीवन हवय,कहिथे वेद पुराण।
बिन जल पल भर ना रहय,छूट जही जी प्राण ।१०।
जल हे ता जंगल हवय,जंगल ले बरसात।
जंगल ले मंगल रही,सिरतोन इही बात।११।
पानी के हर बूंद हा,हावय अमृत समान।
जे हर येला गे समझ,जग ला डारिस जान।१२।
जल हे ता तरिया नदी,जल ले कुंआं बोर।
इही गीत संगीत अउ,इही हवय ता शोर।१३।
पाँच तत्व ब्रह्मांड के,जेमे पानी एक।
आगी हवा अगास अउ,भुइयां जेमे टेक।१४।
वारि नीर जल तोय पय,उदक अंबु पर्याय।
मेघपुष्प जीवन अमृत ,पानी सलिल कहाय ।१५।
रचनाकार
अमृत दास साहू
ग्राम - कलकसा, डोंगरगढ़
जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)
मो.नं. 9399725588
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