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Saturday, April 26, 2025

चइत नवरात्रि -------------------

 चइत नवरात्रि

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चइत मास के पाख अँजोरी, जोत भगत जलाय।

आदि शक्ति दुरगा मइया ला, विनय अपन सुनाय।

एकम तिथि हावय बड़ पावन, शक्ति के अवतार।

आजे के दिन ब्रह्मा जी हा, रचे हे संसार।


सीतापति श्रीराम सम्हालिस, अयोध्या के राज।

रामराज के डंका बाजिस, उही दिन हे आज।

द्वापर युग मा धरमराज हा,धरम धजा उठाय।

राजा हो बइठिस गद्दी मा, कृष्ण के बल पाय।


नवा बछर हा शुरु होवत हे, मनाबो नवरात ।

पर्व गुड़ी पड़वा के हावय,आदि युग शुरुआत।

लीप दुवारी चँउक सजाबो, दिया रिगबिग बार।

दया मया धर अंबे आही, सुने हमर पुकार।


नवा साल के पहिली दिन हे, हवय भरे उमंग।

गावत हावय सारस मैना, कोइली के संग।

उलहोये हे पीपर पाना, लीम गद हरियाय।

नवा नवा सब कोती दिखथे,नवा खुशी सुहाय।


महमाई के पूजा करबो, पान फूल चढ़ाय।

सुमर सुमर के झूम झूम के, गीत जस के गाय।

 जोत जलाबो घी भर नाँदी,चलौ रहे उपास।

मातु भवानी किरपा करही, दु:ख होही नास।


चोवा राम 'बादल'

हथबंद,छत्तीसगढ़

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