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Friday, March 23, 2018

दोहा छन्द - श्री मनीराम साहू "मितान"

छकड़ा गाड़ी मा फँदे,भागय बइला बाट।
बूढ़ी दाई अउ बबा, जावत हाबय हाट।

आगू बइठे हे बबा,धरे काँसड़ा झीक।
घल्लर-घल्लर घंघड़ा,लागत हे बड़ नीक।

बूढ़ी दाई हा कहय,नइ दे बर हे डाँक।
गाड़ी हा उदकत हवय,धीर लगा के हाँक।

कहाँ बात मानय बबा,अगुवावत हे काट।
निकले पाछू वो रहिस,पहुँचय आगू हाट।

सबले पहिली हाट मा,कपड़ा पसरा जायँ।
पटकू पंछा संग मा,लुगरा घलो बिसायँ।

बूढ़ी दाई दोहनी,लय मरकी गंगार।
माँगय नानक ठेकली,राँधे बर हे दार।

चना-फुटेना ओखरा,मुर्रा घलो बिसायँ।
लावय गठरी बाँध के,सबो बाँट के खायँ।

रचनाकार - श्री मनीराम साहू "मितान"
ग्राम - कचलोन (सिमगा) छत्तीसगढ़

14 comments:

  1. बहुत बढ़िया दोहा भईया जी बधाई हो

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  2. बहुत बढ़िया दोहा भईया जी बधाई हो

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  3. बहुत बढ़िया दोहा साहू जी
    बहुत बहुत बधाई

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  4. एक प्रश्न मन मा हे गुरुजी समाधान करे के कृपा करहू
    (1) गंगार = का होथे ।
    (2) बिसायँ
    खायँ
    अइसे काबर लिखे हस
    येला तो - बिसाय, खाय
    अइसे लिख सकथन का ?

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    1. गंगार=माटी के छोटे कोटना। *बिसायँ* अइसे लिखे मा बहुवचन हो जथे काबर दूनो कि दूनो मिलके बिसावथें।

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  5. बहुत सुघ्घर दोहा छंद हे भाई

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  6. सुग्घर दोहा वली हे मनी भाई जी।हार्दिक बधाई।

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  7. वाह्ह वाह्ह बड़ सुग्घर मितान।

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  8. वाह वाह बड़ सुग्घर दोहावली साहू जी।
    बधाई।

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  9. आप सब ला बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  10. सुग्हर - दोहा हे मनी, बढिया करे विचार
    सबके मन पुलकित रहै,कर अइसन व्यवहार।

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  11. बहुत सुग्घर दोहावली सर।सादर बधाई

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  12. बहुत सुग्घर अउ लाजवाब दोहावली हे मितान जी। सादर बधाई।

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