बैरी लाहो झनले
हमर मितानी देखत बैरी , हमला झन समझव कमजोर ।
भारत माँ के बेटा अन हम , निछ देबो खर्री ला तोर ।
हितवा मनके संगी हन हम , बैरी मनबर सउहत काल ।
जादा लाहो झन लेबे तँय , वीर हवन हम माँ के लाल ।
आघू आघू ले तँय बैरी , फोकट मा रे झन फुफकार ।
जाग जही जब हमर देश हर , देही तोला तुरते मार ।।
डरके मारे काँपत काँपत , रोवत रहिथे तोर जवान ।
आन मान बर हम लड़ जाथन , सीमा मा सीना ला तान ।।
कतको तोला हन समझाये , समझ तोर नइ आवय बात ।
भूत असन हावस तँय हर रे , पड़ही कोर्रा जूता लात ।।
फेर कहूँ तँय आबे बैरी , नइ बाचय अब तोर परान ।
परन करे हँन हम सब मिलके , सदा करत रहिबो गुणगान ।।
रचनाकार मोहन कुमार निषाद
लमती भाटापारा छत्तीसगढ़
हमर मितानी देखत बैरी , हमला झन समझव कमजोर ।
भारत माँ के बेटा अन हम , निछ देबो खर्री ला तोर ।
हितवा मनके संगी हन हम , बैरी मनबर सउहत काल ।
जादा लाहो झन लेबे तँय , वीर हवन हम माँ के लाल ।
आघू आघू ले तँय बैरी , फोकट मा रे झन फुफकार ।
जाग जही जब हमर देश हर , देही तोला तुरते मार ।।
डरके मारे काँपत काँपत , रोवत रहिथे तोर जवान ।
आन मान बर हम लड़ जाथन , सीमा मा सीना ला तान ।।
कतको तोला हन समझाये , समझ तोर नइ आवय बात ।
भूत असन हावस तँय हर रे , पड़ही कोर्रा जूता लात ।।
फेर कहूँ तँय आबे बैरी , नइ बाचय अब तोर परान ।
परन करे हँन हम सब मिलके , सदा करत रहिबो गुणगान ।।
रचनाकार मोहन कुमार निषाद
लमती भाटापारा छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया आल्हा छंद
ReplyDeleteभाई मोहन
शानदार आल्हा मोहन भाई
ReplyDeleteदेशभक्ति भाव ले भरे बढ़िया आल्हा मोहन भाई
ReplyDeleteदेशभक्ति भाव ले भरे बढ़िया आल्हा मोहन भाई
ReplyDeleteमोहन आल्हा - हर सुग्हर हे, पर - गारी ला दे शालीन
ReplyDeleteअपन देश बर मर मिट जाबो,सज्जन हावन नइ अन दीन।
बहुत सुग्घर अउ लाजवाब आल्हा छंद हे भाई। बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteवाह वाह बहुत खूब भैया
ReplyDeleteशानदार आल्हा छंद मा रचना भाईजी।सादर बधाई
ReplyDeleteशानदार आल्हा छंद मा रचना भाईजी।सादर बधाई
ReplyDelete