आबे महामाई अँगना
आबे दाई अँगना मोरे, बोये हौं जोत जँवारा।
मगन हवे घर भरके मनखे,मगन हवे आरा पारा।
घर दुवार हा लिपा छभागे,बरगे बड़ रिगबिग जोती।
हूम धूप के धुँवा उड़ावै,लागे जइसे सुरहोती।
केरा खाँम गड़े घर आघू,लहरावय ध्वजा पताका।
हाँस हाँस लइका मन खेले,नाचय पारय बड़ हाँका।
तोरन ताव सजे सब कोती,खोंचाये आमा डारा।
आबे दाई अँगना मोरे,बोये हौं जोत जँवारा।
सइमो सइमो करे दुवारी,सबके हे आना जाना।
लाली कारी स्वेत पताका,माड़े हे लीम्बू बाना।
झाँझ मँजीरा माँदर बाजे,होवै जपतप जस सेवा।
पंडा नाचे सेउक नाचे,नाचे आके सब देवा।
सुवा परेवा गीत सुनावै,बाँटत हे कँउवा चारा।
आबे दाई अँगना मोरे,बोये हौं जोत जँवारा।
टिकली फुँदरी माला मुँदरी,चघे सबो ओरी पारी।
खीर पुड़ी पकवान चढ़ावैं,सबझन भरभर के थारी।
चैत महीना लागे पावन,मन ला भाये पुरवाही।
देबे दर्शन तैंहा माई,तन मन तब्भे हर्षाही।
गूँजत हावय चारो कोती,जय माता दी के नारा।
आबे दाई अँगना मोरे,बोये हौं जोत जँवारा।
रचनाकार - श्री जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
आबे दाई अँगना मोरे, बोये हौं जोत जँवारा।
मगन हवे घर भरके मनखे,मगन हवे आरा पारा।
घर दुवार हा लिपा छभागे,बरगे बड़ रिगबिग जोती।
हूम धूप के धुँवा उड़ावै,लागे जइसे सुरहोती।
केरा खाँम गड़े घर आघू,लहरावय ध्वजा पताका।
हाँस हाँस लइका मन खेले,नाचय पारय बड़ हाँका।
तोरन ताव सजे सब कोती,खोंचाये आमा डारा।
आबे दाई अँगना मोरे,बोये हौं जोत जँवारा।
सइमो सइमो करे दुवारी,सबके हे आना जाना।
लाली कारी स्वेत पताका,माड़े हे लीम्बू बाना।
झाँझ मँजीरा माँदर बाजे,होवै जपतप जस सेवा।
पंडा नाचे सेउक नाचे,नाचे आके सब देवा।
सुवा परेवा गीत सुनावै,बाँटत हे कँउवा चारा।
आबे दाई अँगना मोरे,बोये हौं जोत जँवारा।
टिकली फुँदरी माला मुँदरी,चघे सबो ओरी पारी।
खीर पुड़ी पकवान चढ़ावैं,सबझन भरभर के थारी।
चैत महीना लागे पावन,मन ला भाये पुरवाही।
देबे दर्शन तैंहा माई,तन मन तब्भे हर्षाही।
गूँजत हावय चारो कोती,जय माता दी के नारा।
आबे दाई अँगना मोरे,बोये हौं जोत जँवारा।
रचनाकार - श्री जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
बड़ सुग्घर वर्मा भाई।कुकुभ छंद मा सुग्घर माँ के गुड़ ल गाये हव।बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी
Deleteसुग्घर सृजन वर्मा जी
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी
Deleteसुग्घर सृजन वर्मा जी
ReplyDeleteसुग्हर छंद लिखे हस भाई, तोला बहुत बहुत आशीष।
ReplyDeleteपायलागी दीदी।।आपके आशीष के परताप आय।।
Deleteवाह बहुत बढ़िया भईया जी
ReplyDeleteवाह बहुत बढ़िया भईया जी
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी
Deleteबहुते बढ़िया सृजन भाई
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी
Deleteवाह्ह वाह्हह वाह्ह अति सुन्दर रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी
Deleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् शानदार रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् शानदार रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी
Deleteबहुत सुग्घर अउ लाजवाब भैया। बधाई अउ शुभकामना।
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