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Wednesday, August 16, 2023

स्वतंत्रता दिवस विशेष काव्य रचना

 



स्वतंत्रता दिवस विशेष काव्य रचना


दुखी बड़े हॅंव आज तिरंगा, देख अपन निज हाल ला।

हरे इही हर का आजादी, पूछत रथॅंव सवाल ला।।


मोर मान हर हवै कहॉं अब, बॅंटगे हावॅंव रंग मा।

भाई-भाई बैरी बनगे, बइठत नइ हे संग मा।।

जाति धरम के खीचे डाॅंरी, सबो सजाये भाल ला।

दुखी बड़े हॅंव आज तिरंगा, देख अपन निज हाल ला।।


जीव-जंतु चिरई चुरगुन, सागर नदी पहाड़ ला।

शहर-गॉंव अउ डहर-पहर अब, रुख राई बन झाड़ ला।।

रहन-सहन पहनावा बॉंटें, रंग रूप अउ बाल ला।

दुखी बड़े हॅंव आज तिरंगा, देख अपन निज हाल ला।


ऊॅंच-नीच ला खुदे बढ़ाके, धरे हवै सब लोग जी।

बोली-भाषा राज-काज के, घोरत रोजे रोग जी।।

मनखे ले मनखे दुरियाके, गढ़़त रथे तब काल ला।

दुखी बड़े हॅंव आज तिरंगा, देख अपन निज हाल ला।।


भवन अखाड़ा संसद लागे, गूॅंजे फोकट शोर अब।

खादी पहिने चोला बदले, लगथे डाकू चोर सब।।

चोर-चोर हे सग्गे भाई, बाहिर चलथे चाल ला।

दुखी बड़े हॅंव आज तिरंगा, देख अपन निज हाल ला।।


बेटी-बहिनी बचे कहॉं हे, मान बता तॅंय  आज जी।

कइसे महोत्सव अमरित के, आवत नइ हे लाज जी।।

नाक ऊॅंच हे करे बजाये, राजनीति हर गाल ला।

दुखी बड़े हॅंव आज तिरंगा, देख अपन निज हाल ला।।


दंगा धरना अउ विरोध बर, झन धर मोला हाथ मा।

सैनिक के शोभा हॅंव मॅंय, सुग्घर फभथॅंव माथ मा।।

उहें सजे सच्चा सुख पाथॅंव, होवन दवव निहाल ला।

दुखी बड़े हॅंव आज तिरंगा, देख अपन निज हाल ला।

हरे इही हर का आजादी, पूछत हवै सवाल ला.....

मनोज कुमार वर्मा

बरदा लवन बलौदा बाजार

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जब जब आय परब आजादी, सुरता आथे बलिदानी।

येला पाये खातिर संगी, होंगे कतको कुर्बानी।।


हमर देश के  शान तिरंगा, लहर लहर ये लहराये।

भेदभाव ला छोड़ छाड़ के, हँसी खुसी सब फहराये।।


केसरिया सादा अउ हरियर, तीन रंग झंडा प्यारा।

सदा उड़य नित ये अगास मा, दुनियाँ ले सुग्घर न्यारा।।


ऊँच नीच अउ जाँत पाँत के, पाँटन हम सब मिल खाई।

एक संग सब मिलजुल रहिबो, छोड़न हम अपन ढिठाई।।


छोड़ लोभ लालच स्वारथ ला, सुग्घर अब रोज कमाबो।

प्रान देश हित बर अरपन कर, भुइयाँ के लाज बचाबो।।


छंदकार- ज्ञानुदास मानिकपुरी

ग्राम-चंदेनी(कवर्धा)

छत्तीसगढ़

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बार बार तोला वंदन हे मोर भारत के जवान,

अंग्रेज मन ल भगा के जग म बनगे वीर महान।

ईस्ट इंडिया कंपनी बनाके अंग्रेज बनगे पापी,

पाप के अंत करे बर भारत के वीर हवय काफी।

अंग्रेज मन हर सोचिन भईया भारतीय ल रस्सी बाँधी,

अत्याचार ल देख के निकलगे महात्मा गाँधी।

चन्द्रशेखर आजाद बिफड़गे खूब लड़ी लड़ाई,

ओकर साथ म आगे भईया भगतसिंह जी भाई।

देखते देखत भारत बिफड़गे धरिन तलवार डंडा,

तब जाके भारत म भईया फहराईन तिरंगा झंडा।

भारत तो आजाद होगे तभो ले बचगे चिल्हर,

अइसे चिल्हर पापी मन बनाए हवय अब तक सिल्लर।

तभो ले छाती ठोंक के भारत के खड़े जवान,

देश के हित सुरक्षा खातिर होगे वीर बलिदान।

छत्तीसगढ़ के अहम भूमिका वीर नारायण वीर कुर्बान,

अइसने लाखो अमर शहीद ल नंदन वंदन जय जवान।

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 सरसी छंद गीत *एक शहीद के अंत्येष्टि*


सुसक सुसक महतारी रोये, रोय ददा मुँह फार।

आज तिरंगा ओढ़ आय हे, भारत के रखवार।।

गाँव शहर सब कलपत हावय,रोवत तरिया पार।

नता सबो सुसकै सुरता मा,धर-धर आँसू ढ़ार।।

आज तिरंगा ओढ़ आय हे,.............


कोन पढ़े आँसू के भाखा, नैनन नीर बहाय।

नौं महिना जे रखे पेट मा,भाग अपन सहराय।।

छूट डरे तैं कर्ज दूध के,बढ़े तिरंगा शान।

मोर कोंख हा पावन होगे,पाके पूत महान।।

अमर रहे जा नाम जगत में,कुल के तारनहार।।

आज तिंरगा ओढ़ आय हे............................


हाथ गोड़ हा मोर टूटगे,टूटिस जबर पहाड़।

जेन खाँध मा जाना मोला, सुतगे हाबय ठाड़।।

लेग जते मालिक मोला तैं,मरे परे मैं हाड़।

कोन दिही आगी पानी अब,घर हा परे उजाड़।।

हाय ददा हा रोवत भारी,चारो खुँट अँधियार।।

आज तिरंगा ओढ़ आय हे,.........


बिलख बिलख बहिनी ब्याकुल हे,करम फूटगे मोर।

सुख दुख मा अय शोर करैया, संग छूटगे तोर।।

संकट मा जब देश फँसे तब,राखी धरम निभाय।

लाखों बहिनी के रक्षा बर,तैंहर प्राण गवाँय।।

धीरज कोन धरावय मन ला,दुख के घड़ी अपार।।

आज तिरंगा ओढ़ आय हे,............


कलप-कलप के तिरिया रोवय,उजर गये अहिवात।

आज सबो सुरता आवत हे,गुजरे दिन के बात।।

तोर नाम के चूड़ी बिंदी, पहिरँव जनम हजार।

हे शहीद के विधवा बनना, बार बार स्वीकार।।

जय हिंद जय भारत माता, कोरा अपन सम्हार।।

आज तिरंगा ओढ़ आय हे,...........................


सब रोवत हे वो हाँसत हे,मुख मा हे संतोष।

ना कोनो दुविधा हे मन मा,ना कोनो अफसोस।।

मरत मरत सौं ला मारे हँव,बाँचे क्षण अनमोल।

साँस आखिरी ललकारे हँव,भारत के जय बोल।।

रहे सलामत मोर देश हा,करत हवौं जोहार।।

मोर देश के माटी पैंया,लागव बारम्बार........... मोर देश के.........


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[अशोक कुमार जायसवाल: *मनहरण घनाक्षरी*

हमर तिरंगा आन, हमर तिरंगा शान, भारत के जन जन, के तिरंगा जान हे |

 मरबो येकर बर,  कटबो येकर बर , इही मा बसे हावय, हमर परान हे ||

येला जेन निटोरही,वो हा दुख बटोरही ,  लगा चेत सुन ले रे, बैरी जे नदान हे |

न झुके हे न टूटे हे,अड़दंग वो खड़े हे, सुरज जइसे मोर,तिरंगा महान हे || 

तीन रंग बने शान, अलग हे पहिचान, बीच मा अशोक चक्र, चौबीस निशान हे |

भगवा सफेद हरा,बसे देश दिल करा, शाँति त्याग हरियाली, दिखे अभिमान हे || 

झण्डा मिल फहराय, बादर मा लहराय, माथ नवा बोले सब, तिरंगा महान हे | 

आन बान ये हा मोर, जिनगी के शान मोर, रग रग मा समाय, मोर स्वाभिमान हे ||


अशोक कुमार जायसवाल

भाटापारा

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 *सरसी छंंद*

                *मया के चिन्हा*

मया बाँध के राखे रहिबे, तँय अँचरा के छोर।

चिन्हा छोड़ के जावत हँव मँय, करबे मोर अगोर।। 


मान देश के राखे के अब, हावय मोर उधार।

सीमा मा जावत हँव जोही, बनके मँय  रखवार।।

जल्दी आहूँ मँय हा जोही, राख भरोसा मोर।

चिन्हा छोड़ के जावत हँव मँय, करबे मोर अगोर।। 


मरँव नहीं सीमा मा जाके, हिरदे थोरिक थाम।

लिखे हवँव हिरदे मा संगी, तोर मया के नाम।।

कुछु नइ होवय रे आरुग हे, अगर मया हा तोर।

चिन्हा छोड़ के जावत हँव मँय, करबे मोर अगोर।। 


जइसे मँय डोंगा हावँव रे, मोर हवस पतवार।

दूनों झन के हिरदे मा रे, हावय मया अपार।।

नइ आहूँ जीयत वापस ता, चिन्हा राखबे मोर।

चिन्हा छोड़ के जावत हँव मँय, करबे मोर अगोर।।

*अनुज छत्तीसगढ़िया*

*पाली जिला कोरबा*

*सत्र 14*


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 सरसी छन्द गीत - लहर - लहर लहरावत हावय (१४/०८/२०२३)


लहर - लहर लहरावत हावय ,  हमर तिरंगा आज ।

केसरिया सादा अउ हरियर , तीन रंग मा साज़ ।।


केसरिया साहस ला भरथे , पैदा करथे वीर ।

दुश्मन बइरी थरथर काॅंपय , जब - जब छोड़य तीर ।।


भगत सिंह अउ शेखर मन हा , बनके गिरथे गाज ।

लहर - लहर लहरावत हावय ,  हमर तिरंगा आज ।।


सादा सच नित बोलव कइथे ,  छोड़व इरखा द्वेष ।

भाईचारा मिलके बाॅंटव , मिट जाही सब क्लेश ।।


हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई , हम सब ला हे नाज़ ।

लहर - लहर लहरावत हावय , हमर तिरंगा आज ।।


हरियर ले खुशहाली आथे , हरियर खेती - खार ।

मया - पिरित के बोली सुग्घर , होथे तीज - तिहार ।।


नदिया नरवा मनभावन हे , देख हिमालय ताज ।

लहर - लहर लहरावत हावय , हमर तिरंगा आज ।।



✍️ओम प्रकाश पात्रे "ओम "

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 छंद गीत- *धजा तिरंगा लिपटे आये*


धजा तिरंगा लिपटे आये, जब -जब वीर जवान।

झर-झर नीर बहावय नैना, दिये करेजा चान।।


माता के तब ममता सुसकय, पिता नसीब ठठाय।

घर के नारी कलपत रोवय, सुख सिंदूर मिटाय।।

भाई के हिरदे मा चलगे, बिधुना के तो बान।

धजा तिरंगा लिपटे आये, जब -जब वीर जवान।।


बेटा बेटी रोवत बोलय, जाग न पापा आज।

बहिनी बोलय कोंन निभाही, राखी के तो लाज।।

सँग साथी पारा मोहल्ला, होगे आज बिरान।

धजा तिरंगा लिपटे आये, जब -जब वीर जवान।।


गये रहे सीमा मा तँय तो, लड़हूँ कहिके जंग।

तोर बिना अब होली दीवाली, लागत हे बेरंग।।

देश सुरक्षा खातिर ललना, होगे तँय कुर्बान।

धजा तिरंगा लिपटे आये, तँय तो वीर जवान।।


गीतकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 15/08/2023


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भारत माँ के रक्षा खातिर, गँवा अपन जिनगानी।

जुग -जुग  बर अम्मर हो जाथेंं, सबो वीर बलिदानी।।


जंगल पर्वत बरसा गर्रा, झेल बिकट परशानी।

छूट अपन माटी के करजा, करथें सफल जवानी।।


हाड़ कँपावत जाड़ा हो या, गर्मी राजस्थानी।

जल थल नभ मा पहरा देथें, बेटा हिंदुस्तानी।।


इँकर वीरता ले हो जाथें, बैरी पानी पानी।

ठोंक अपन छाती ला रन मा ,देथें मुँह के खानी।।


आखिर दम तक गावत रइथें, जय भारत के बानी।

सदा तिरंगा ही तो बनथें, सैनिक कफन निशानी।।


सींच लहू ले ये भुइँया ला, लिखथें त्याग कहानी।

छोड़ अपन सब रिश्ता-नाता, बनथें जीवन दानी।।


हमर खुशी बर प्रान गँवा दिन,   उनकर करव बखानी।

गाड़ा -गाड़ा वंदन कर लव, सुरता कर कुर्बानी।।


रचना :- कमलेश वर्मा

सत्र -09, भिम्भौरी

बेमेतरा, छत्तीसगढ़

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 *नवा बिहान*

(वीर छंद मा गीत)


लहर-लहर लहराइस झंडा, होइस सुग्घर नवा बिहान।

पाये खातिर आजादी ला, लाखों पुरखा देइन जान।।


कोनो हा इकलौता बेटा, कोनो हा खोइस पतिदेव।

छोटे-छोटे लइका-छउवा, खपगें आजादी के नेव।

नवजवान परिवार चलइयाँ, हाँस-हाँस देइन बलिदान।

पाये खातिर आजादी ला, लाखों पुरखा देइन जान।।


झाँसी वाली रानी लक्ष्मी,चढ़ घोड़ा धरके तलवार।

रणचंडी हा गदर मचाइस, बुड़गे भले रकत के धार।

नाना साहब मंगल पांडे, जफर बहादुर शाह महान।

पाये खातिर आजादी ला, लाखों पुरखा देइन जान।।



बाल-पाल अउ लाल बहादुर,लौह पुरुष सरदार पटेल।

भगत सिंग सुखदेव राजगुरु,नेताजी के अद्भुत खेल।

दुर्गा भाभी अउ बटुकेश्वर,करिन फिरंगी ला हलकान।

पाये खातिर आजादी ला, लाखों पुरखा देइन जान।।


स्वतंत्रता के आंदोलन मा,बापू संग जवाहर लाल।

गोरा मन ला खेदारे बर, लोगन बनगें सँउहे काल।

भागिन गोरा प्रान बँचाके,बाँचिस महतारी के मान।

पाये खातिर आजादी ला, लाखों पुरखा देइन जान।।


कतको भारी दुख सहि लेबो,नइ होवन दन चिटिको फूट।

आन-बान अउ शान हमर गा, झन पावय अब कोनो लूट।

बलिदानी मन के महिमा के, 'बादल' हा करथे गुणगान।

पाये खातिर आजादी ला, लाखों पुरखा देइन जान।।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

 हथबंद, छत्तीसगढ़

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 *विषय - *स्वतंत्रता*

*विधा - ताटंक छंद* 

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कहत कहानी स्वतंत्रता के, उत्सव चलव मनावौ जी ।

तीन रंग के सुघर तिरंगा, लहर-लहर लहरावौ जी ।।


जन-गण-मन के सुग्घर गायन, आवव जुरमिल के गावौ ।

भारत के पहिचान तिरंगा, एकर छैंया मा आवौ ।

सबले ऊँचा रहय शान हा, देखत हिरदय हर्षावै ।

एकर ताकत के आगू मा, दुश्मन मन हा थर्रावै ।

आँच न आवय एमा थोरिक, प्रन ला इही उठावौ जी ।

तीन रंग के सुघर तिरंगा, लहर-लहर लहरावौ जी ।।


तीन रंग के पबरित काया, जन-जन के मन ला भावै ।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, छैंया मा सुख ला पावै ।

बलिदानी बेटा मन कहिथें, एकर अमर कहानी ला ।

भारत माँ के वीर लाल मन, सौंपिन अपन जवानी ला ।

उंकर कुर्बानी के किस्सा, सब ला चलव सुनावौ जी ।

तीन रंग के सुघर तिरंगा, लहर-लहर लहरावौ जी ।।


केसरिया बलिदान सिखावय, कहय वीर अब तो जागौ ।

सादा के संदेश शांति हे, छोड़ नहीं एला भागौ ।

हरियर हे खुशहाली सूचक, कहिथे भुइयाँ सिंगारौ ।

सत्य अहिंसा के पालन मा, तन-मन जीवन ला वारौ ।

चक्र कहय चलना हे जिनगी, आगू कदम बढ़ावौ जी ।

तीन रंग के सुघर तिरंगा, लहर-लहर लहरावौ जी ।।


         *इन्द्राणी साहू"साँची"*

         भाटापारा (छत्तीसगढ़)     

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 *सरसी छंद गीत (याद रहय बलिदान)* 


जेमन अपन लहू ला देके,करिन देश आजाद।

उँकर अमर बलिदानी गाथा,रखना हावय याद।।


करिन फिरंगी मन सब कोती,अड़बड़ अत्याचार।

भारत माता के सपूत मन,तब होइन तैयार।।

डोला दिन गोरी सिंघासन,कर जय हिंद निनाद।

उँकर अमर---


घर परिवार जवानी धंधा,करिन सबो के त्याग।

तभे सफल होइन आंदोलन,जनता मन गिन जाग।।

उर्वर कर दिन परती भुइँया,सींच करम के खाद।

उँकर-------


लाठी खाइन गोली खाइन,झेलिन बड़ अपमान।

हाँसत हाँसत फाँसी चढ़ गिन,करिन जबर बलिदान।।

भारत ला आबाद करे बर,खुद होगिन बरबाद।

उँकर----


दीपक निषाद--लाटा (भिंभौरी) बेमेतरा

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🌹सार-छंद 🌹

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(कमलेश प्रसाद शर्माबाबू) 


अब कुछ गड़बड़ करबे बेटा, पाकिस्तान म आबो |

कुटि-कुटि तोला काट-काट के, कउँवा कुकुर खवाबो ||


देखत-देखत आवत हावन, तोर खेल रे पापी |

झेलत-झेलत आवत हावन, अब नइ देवन माफी ||

घर भीतर तोरे ओइलके, कसके मजा बताबो |

कुटि-कुटि तोला काट-काट के, कउँवा कुकुर खवाबो ||


पैसठ ईकत्तर करगिल ला, लगथे आज भुलागे |

सर्जीकल ऐयर इस्ट्राइक, लाज बेच तँय खागे |

आर-पार के छेड़ लड़ाई, बोज-बोज घोण्डाबो ||

कुटि-कुटि तोला काट-काट के, कउँवा कुकुर खवाबो ||


जिन्ना के पाले आतंकी, अब तँय कहाँ लुकाबे |

पाँव मसलबो घेंच काट के, दुनिया ले मिट जाबे ||

हाड़ा-गोड़ा बाँचय नाही, तोला नँगत ठठाबो |

कुटि-कुटि तोला काट-काट के, कउँवा कुकुर खवाबो ||


भाईचारा ला तँय हमरे, समझ गये कमजोरी |

गलती करथस अउ बइमानी, करथस सीनाजोरी ||

तोर पाक मा हमर तिरंगा, जाके अब फहराबो |

कुटि-कुटि तोला काट-काट के, कउँवा कुकुर खवाबो ||


अब कुछ गड़बड़ करबे बेटा, पाकिस्तान म आबो |

शरमा बाबू काट-काट के, कउँवा कुकुर खवाबो ||

कमलेश प्रसाद शर्माबाबू 

 कटंगी-गंडई जिला केसीजी छत्तीसगढ़

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सार छंद


कइसे आइस हे आजादी, ए जानव सँगवारी।

कतको चढ़गें फाँसी सूली, बिलखैं बड़ महतारी।।


बेटी मन के मांग उजर गे, काटिन दुख मा जोनी ।

बेटा रन मा शहीद होगें, आइस बिपदा होनी।


जनधन अउ घर द्वार उजर गे, छिनगे महल अटारी।

वीर बहादुर सैनानी मन, खिरगँय पारी पारी।।


कठिन जुद्ध जिनगी मा होईस,  देदिन हें कुर्बानी।

 सरदारभगत गाँधी सुभाष, झाँसी के बलिदानी ।।


कुल दीपक नइ बाँचिन कोनो,सरहद होगे बाँटा।

रात गुजरगे करिया धधकत, मेड़ो रुँधगे काँटा।।


छंदकार-अश्वनी कोसरे

रहँगिया 

कबीरधाम

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सरसी छंद गीत- *शान बढ़य भारत भुइँया के*


तीन रंग मा सजे तिरंगा, देवत हे संदेश।

शान बढ़य भारत भुइँया के, सुग्घर हो परिवेश।।


तान खड़े हें सीना सेना, सरहद मा दिन रात।

सरदी गरमी धूप ठंड हो, या चाहे बरसात।।

देश सुरक्षा खातिर सहिथें, वीर सिपाही क्लेश।

शान बढ़य भारत भुइँया के, सुग्घर हो परिवेश।।1


रीति नीति संस्कार सिखावय, गीता ग्रन्थ कुरान।

अनेकता मा बसे एकता, भारत के पहिचान।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई, रखँय नहीं मन द्वेष।

शान बढ़य भारत भुइँया के, सुग्घर हो परिवेश।।2


ये भुइँया के भाग जगावय, माटी पूत किसान।

गार पसीना अन्न उगावय, करथे कर्म महान।।

जग के पालनहार ल देवव, आशीर्वाद अशेष।

शान बढ़य भारत भुइँया के, सुग्घर हो परिवेश।।3


इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 14/08/2023



2 comments:

  1. जय हिंद।सुग्घर संकलन।

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  2. जय हिंद, जय भारत। धरोहर संकलन

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