नागपंचमी
दिन सुग्घर हे पंचमी, पावन सावन मास।
दूध संग लाई चढ़े, पूजा होथे खास।।
पूजा होथे खास, देवता नाग कहाथे।
रोग दोष ला काट, कष्ट सब दूर भगाथे।।
वैज्ञानिक हे शोध, सांप ला तुम मारव झिन।
संगी बने किसान, फायदा देथे सब दिन।।
कीरा मुसवा खाय ये, रक्षा करथे धान।
तेकर सेती पूजथे, जन-जन संग किसान।।
जन-जन संग किसान, नाग ला माने देवा।।
कारण अउ हे एक, करे सावन मा सेवा।।
जनम पाय बरसात, होय झन तब जी पीरा।
प्रकृति संतुलित राख, खाय ये मुसवा कीरा।।
भारी गुस्सा ला धरे, रखे रथे जी सांप।
देख सबो अउ जीव मन, जाथे तब तो कांप।।
जाथे तब तो कांप, देख के अहंकार ला।
फिर भी रहिथे शांत, धरे शिव संसकार ला।।
दवय बड़े ये सीख, रहै गुण नित हितकारी।
बनके हवै दयालु, नाग देवा तब भारी।।
मनोज कुमार वर्मा
💐💐💐💐💐💐💐💐
*नाग साँप*
आय साँप वाले ये भइया।
जुरे हवै भारी देखइया।।
रंग - रंग के साँप धरे हे।
ओखर झपली सबो भरे हे।।
बने नाच के बीन बजाथे।
नोट पाँच के रुपिया पाथे।।
लइका जम्मों घेरा करके।
खड़े देखथे कनिहा धरके।।
नाँग साँप हा फन ला काढ़े।
मार कुंडली देखव ठाढ़े।।
रचना:-
बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा, कबीरधाम
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
सरसी छंद गीत - *नाग पंचमी*
नाग पंचमी सावन महिना, देथे खुशी अपार।
बइगा गुनिया गांय नंगमत, नाचय दोहा पार।।
चले किसनहा होत बिहनिया, हूम धूप धर खेत।
नाग देव बर दूध मढ़ावय, सबो बछर कर चेत।।
माँगे शुभ बरदान नाग ले, भरय अन्न भंडार।
नाग पंचमी सावन महिना, देथे खुशी अपार।।
सकलायें सब गाँव गुड़ी मा, धरे उमंग उछाह।
बाजय माँदर झाँझ मँजीरा, लेवय बीन उमाह।।
अहिराज असढ़िया डोमी के, लगे हवय दरबार।
नाग पंचमी सावन महिना, देथे खुशी अपार।।
नागनाथ अउ साँपनाथ के, माते हावय जंग।
आरी पारी बदलत हावय, गिरगिट जइसे रंग।।
बपुरा बन ढोड़िहा फिरफिटी, सहिथे विष फुफकार।
नाग पंचमी सावन महिना, देथे खुशी अपार।।
इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 21/08/2023
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
बरवै छन्द गीत - नागपंचमी (२१/०८/२०२३)
नागपंचमी आथे , सावन मास ।
नागदेव के पूजा , करलव दास ।।
नागदेव शंकर के , विषधर आय ।
गर मा बइठे देखय , फन फइलाय ।।
दूध मढ़ादव पीथे , रख उपवास ।
नागदेव के पूजा , करलव दास ।।
खेत - खार के मुसवा , दूर भगाय ।
कीड़ा मन ला खा के , अन्न बचाय ।।
धन - दौलत हा आवय , हमरो पास ।
नागदेव के पूजा , करलव दास ।।
झन मारव सॅंगवारी , कोनों साॅंप ।
डरवाथे बाॅंचे बर , जाथव काॅंप ।।
दुख - पीरा के होही , पल मा नाश ।
नागदेव के पूजा , करलव दास ।।
ओम प्रकाश पात्रे "ओम "
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
साँप मनके पीरा(सार छंद)
मोर बिला मा भरगे पानी, मुश्किल मा जिनगानी।
सबे खूँट सीमेंट छाय हे, ना साँधा ना छानी।।
जाके कती लुकावँव मैंहा, कोनो ठउर बतादौ।
भटकँव नही कहूँ कोती मैं, घर ला मोर सुखादौ।।
रझरझ रझरझ गिरथे पानी, तरिया कुँवा भराथे।
मोर बिला भरका नइ बाँचे, पानी मा बुड़ जाथे।।
छत के घर मा सपटँव कइसे, दिख जाथँव आँखी मा।
उड़ा भगावँव कइसे दुरिहा, नइ हँव मैं पाँखी मा।।
पानी बादर के बेरा मा, नित पेरावँव घानी-------।
मोर बिला मा भरगे पानी, मुश्किल मा जिनगानी।।
कटत हवय नित जंगल झाड़ी, नइहे भोंड़ू भाँड़ी।
नइहे डिही डोंगरी परिया, देख जुड़ाथे नाड़ी।।
लउठी धरे खड़े हावव सब, कइसे जान बचावौं।
आथँव ठिहा ठिकाना खोजत, चाबे बर नइ आवौं।।
चाबे मा कतको मर जाथे, बिक्ख हवै बड़ मोरे।
देख डराथस मोला तैंहर, अउ मोला डर तोरे।।
महुँला देवव ठिहा ठिकाना, मनुष आज के ज्ञानी।
मोर बिला मा भरगे पानी, मुश्किल मा जिनगानी।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
वाह एक से बढ़कर एक छंद
ReplyDelete