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Sunday, August 20, 2023

विषय-चंद्रयान -थ्री🚀🚀



चंद्र यान

चंदा मा खोजे बर निकले, जीवन के आसार। 
चंद्र यान हर पहुँचत हावय, मामा जी के द्वार। 

पता लगाही का का हावय, वो मामा के पास। 
कइसन राज छुपाये मामा, रखे हवय का खास। 

का धरती कस माटी हावय? पानी हे भंडार? 
हवा हवय का स्वांस लेन बर? जे जीवन के सार।

बरफ जमे का पर्वत हावय? होथे का बरसात? 
मौसम का धरती कस होथे? कइसन हे दिन रात? 

पथरा मा का तत्व भरे हे? भीतर का हे राज। 
चंद्र यान ये तीसर संगी, निश्चित करही काज।   

खींच- खींच फोटो भेजत हे, अपन जमावत रंग। 
चंद्र यान के देखत करतब, दुनिया हावय दंग। 

हमर देश हर अपने दम मा, मारत हवय छलांग। 
माटी मा वो हर मिल जाही, जेन अड़ाही टांग। 

आज नहीं ता काली जाबो, पा के रहिबो पार। 
चंदा मामा के अँगना मा, बसाबोन संसार। 
दिलीप कुमार वर्मा
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🚀🚀 चंद्रयान -थ्री🚀🚀

  🇮🇳🇮🇳  ( सरसी छंद )🇮🇳🇮🇳


चंद्रयान- थ्री के भारत हा, करत हबय अभियान।

इसरो के वैज्ञानिक मन हा,येकर धरे कमान ।।


लइकापन मा चंदा मामा, कहिके गावन गान।

उँहे पहुँचही अब भारत के, तीसर चंदायान।।


भेद खोलही नवा-नवा अब,सुग्घर चंद्र विमान।

दक्षिण कोती जाके लाही,पानी-खनिज निशान।।


अंतरिक्ष मा पकड़ बाढ़ही, छाही हिन्दुस्तान ।

यात्रा पूरा करही येहा,हमर देश के शान।।


नाँव हबय विक्रम लैंडर के, रोवर हे प्रज्ञान।

चित्र भेजके चंदा के ये, दिही मधुर मुस्कान।।


आस लगाहें जन भारत के, हरय उदीम महान।

बने सफलता पाही येहा, करही जग कल्यान।।


येकर पाछू वैज्ञानिक मन, देवत हें बड़ ध्यान।

श्रीहरिकोटा के धरती ले, कर डारिस प्रस्थान।।


रचना:- कमलेश वर्मा(व्याख्याता ) भिम्भौरी, बेमेतरा,छत्तीसगढ़, मो.9009110792

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 कुण्डलिया छंद- *चन्द्र यान- तीन*


शान बढ़ाही देश के, चन्द्र यान अब तीन।

देखत रह जाही सुनौ, अमेरिका अउ चीन।।

अमेरिका अउ चीन, सोवियत रूस जपानी।

पता लगाही यान, चन्द्रमा मा जिनगानी।।

होही देश सशक्त, नजर तब कोंन गड़ाही।

अंतरिक्ष बाजार, साख अउ मान बढ़ाही।।


लाही महिनत रंग अब, दुनिया रइही दंग।

चन्द्र यान मानवरहित, वैज्ञानिक बिन संग।।

वैज्ञानिक बिन संग, करत हे सब निगरानी।

चन्द्र यान ये तीन, ढूँढही चाँद म पानी।

नदी पठार पहाड़, हवय के नही बताही।

खींच-खींच तस्वीर, हमर इसरो बर लाही।।


इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 19/08/2023

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[8/19, 12:18 PM] विजेन्द्र: कुण्डलिया छंद

चन्द्र यान


चंदा मामा के इहाँ, भाँचा गेहे आज। 

खोजे बर तो गे हवय,  काय छुपे हे राज।। 

काय छुपे हे राज, पाय शीतलता कइसे। 

पता लगाही रोज, हवय का धरती जइसे। 

फोटो सुग्घर खींच, भेजही बने चुनिंदा। 

चन्द्र यान मा बैठ, घुमे बर जाही चंदा।। 

विजेंद्र वर्मा

नगरगाँव (धरसीवाँ)

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[8/19, 12:31 PM] कुलदीप सिन्हा:     कृपाण घनाक्षरी छंद - चन्द्रयान तीन

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चन्द्रयान तीन लान, करें शुरू दिन मान।

सफलता के निशान, सच येहा आय बात।।


चन्द्रयान तीन यार, जाही चाँद के गा पार।

दीही जिनगी संवार, करही अइसे काज।।


चन्द्रयान तीन आ गे, भारत के भाग जागे।

फिरो झन भागे भागे, अब रहो सब जाग।।


चन्द्रयान तीन छोड़े, कखरो न हाथ जोड़े।

भागे जस तेज घोड़े, बनके गा ये तूफान।।


चन्द्रयान तीन जारी, सारा जग हे आभारी।

छोड़त हे बारी बारी, लाही येहा कुछु खोज।।


चन्द्रयान तीन जाये, दुश्मन गिड़गिड़ाये।

समझ ना कुछ पाये, पाही घलो कहाँ जान।।


चन्द्रयान तीन चले, पड़ोसी ह हाथ मले।

लगा सके नइ गले, नोचत हे खम्भा आज।।


चन्द्रयान तीन अब, देखे हावन ग सब।

बड़ा मजा आये तब, खुले हावे सब द्वार।।


कुलदीप सिन्हा "दीप"

कुकरेल ( सलोनी ) धमतरी

19 / 08 / 2023

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[8/19, 3:53 PM] कमलेश प्रसाद 20 शरमाबाबू: 👏🌹लावणी-छंद 🌹👏

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चंद्रयान तँय आघू बढ़बे, हम सबके हावय सपना |

तिसरा बेटा हस भारत के, ख्याल रखे रहिबे अपना ||


तोरे ऊपर बिकट आस हे, नाम हमर रौशन करिबे |

नभ मण्डल के सबो सूचना, हमला तँय भेजत रहिबे ||


वैग्यानिक के मिहनत भारी, रहि-रहि के सिरजायें हें |

असफल होइन हार न मानिन, आज करम ओधायें हें ||


दुश्मन बइरी कतको हावय, बचके ऊखर ले रहिबे |

आसमान के हवा गरेरा, छाती अड़के तँय सहिबे ||


"शरमा बाबू " तितरा बेटा, बड़ फुरमानुक होही जी |

दुनिया मा झण्डा फहराके, सबके आस पुरोही जी ||


कमलेश प्रसाद शर्माबाबू

कटंगी-गंडई जिला केसीजी

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[8/19, 7:49 PM] कमलेश्वर वर्मा 9: 🚀🚀 चंद्रयान -थ्री🚀🚀

  🇮🇳🇮🇳  ( सरसी छंद )🇮🇳🇮🇳


चंद्रयान- थ्री के भारत हा, करत हबय अभियान।

मेहनती सब वैज्ञानिक मन, येकर धरे कमान ।।


लइकापन मा चंदा मामा, कहिके गावन गान।

उँहे पहुँचही अब भारत के, तीसर चंदायान।।


भेद खोलही नवा-नवा अब, इसरो चंद्र विमान।

दक्षिण कोती जाके लाही, पानी-खनिज निशान।।


अंतरिक्ष मा पकड़ बाढ़ही, छाही हिन्दुस्तान ।

यात्रा पूरा करही येहा,हमर देश के शान।।


नाँव हबय विक्रम लैंडर के, रोवर हे प्रज्ञान।

चित्र भेजके चंदा के ये, दिही मधुर मुस्कान।।


आस लगाहें जन भारत के, हरय उदीम महान।

बने सफलता पाही येहा, करही जग कल्यान।।


येकर पाछू वैज्ञानिक मन, देवत हें बड़ ध्यान।

श्रीहरिकोटा के धरती ले, कर डारिस प्रस्थान।।


कमलेश वर्मा, सत्र-09

भिम्भौरी, बेमेतरा

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[8/19, 9:06 PM] संतोष साहू 9: चन्दयान तीन

(कुण्डलिया छंद)


जाही चंदा मे हमर,चन्द्र यान क्रम तीन।

जा के होही ये सफल,पूरा हवय यकीन।।

पूरा हवय यकीन,खबर ला पूरा लाही।

कहाँ कहाँ का चीज,खोज के सबो बताही।।

अमर हमर हे देश,गीत ला सुग्घर गाही।

भारत हरे महान,गजब संदेशा जाही।।


छंदकार-संतोष कुमार साहू

जामगाँव(फिंगेश्वर)

जिला-गरियाबंद(छ.ग.)

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[8/19, 10:37 PM] नमेंद्र 9: *चंद्र यान*


चंद्र यान के सपना सुग्घर,चलव चाँद के पार।

यान एक अउ बाद दुई के,तीसर हे तैयार।।


लैडर विक्रम अपन संग धर,कर सोलह सृंगार।

यान उड़ाके चिरत गगन ला,चलत चाँद के पार।।


महक हमर भारत माटी के,चाँद तलक जब जाय।

विश्व गुरू के महिमा सुग्घर,सबो देश हर गाय।।


चंदा मामा दूर सुने हन,मामा आके तीर।

चंद्र यान हर संगे लाही,पुरी पकाये खीर।।


वैज्ञानिक भारत भुइयां के,बिकट धीर अउ वीर।

यान भेज दिस चाँद धरा में,खींच लखन के तीर।।


नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र

छंद साधक सत्र-09

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[8/20, 10:35 AM] दीपक निषाद, बनसांकरा: *मनहरण घनाक्षरी छंद (चंद्रयान तीन)*


1-- जावै चंदा ममा घर,नवा जानकारी बर,

चंद्रयान तीन हर,भारत के शान जी।

खर्चा कम चोखा काम,इसरो ल हे सलाम,

धन्य सबो वैज्ञानिक,प्रतिभा के खान जी।।

पहिली के अभियान,दिन हें अबड़ ज्ञान,

हार के न हार मानै,वीही ए सुजान जी।

आबादी सवा अरब,ले जादा म हे गरब,

विश्वास हे पूरा होही,चंद्र अभियान जी।।


2--तेईस अगस्त दिन,आही शुभ घड़ी छिन,

जब चंद्रयान तीन,चंदा म उतरही।

सबो घर आँगन म,छाहीं खुशी लोगन म,

धरती ले गगन म,तिरंगा फहरही।।

यान म लगे मशीन,कर नवा खोज बीन,

अंतरिक्ष विज्ञान के,भंडार ल भरही।

सस्ता चंद्र अभियान,देश के बढ़ाही मान,

विश्वगुरू भारत के,जग पाँव परही।।


दीपक निषाद--लाटा (भिंभौरी)-बेमेतरा

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[8/20, 10:39 AM] अश्वनी कोसरे 9: रूप घनाक्षरी

चंद्र यान 


चंदा मा भेजे हें यान, घेरि-बेरि पाय मान।

भारती के यशगान, होवत बने बखान।

अमेरिका खुश होगे, चाइना ह दुख भोगे।

रूस हर पीठ ठोके, गुन गात हे जपान।।


ममा संग होही भेंट, भाँचा के अलग नेंट।

विक्रम विकास लाही, जीनगी गिन प्रज्ञान ।

ऊँचा भाल भारती के, चंदा कक्षा आरती के।

सब ले विशाल सेट, भेजे हें विधि विधान।।


भाँचा गे ममा के गाँव, शाख म  लगे हे दाँव।

ऊर्जा ले भरे हे पेट, लाही वो नवा बिहान।

एक भाँचा राम नाव, कोशल ममा के गाँव।

खाय हें बासी बोइर, बानी मनखे के मान।।


छंदकार-अश्वनी रहँगिया

 कवर्धा कबीरधाम

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*चंद्र यान तीन*

*त्रिभंगी छंद*


भारत के ज्ञानी,गढ़े कहानी,चंद्र यान वो,खूब रचे।

नइ हे कुछु खतरा,मिशन तीसरा, दुनिया भर मा,घूम मचे।

का होत लचारी,दुश्मन भारी,बार बार धर,हाथ मले।

हे आस तंत्र के,हिंद यंत्र के,यान चांद के,पार चले।


लिलेश्वर देवांगन

छंद‌ साधक 10

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: लावणी छन्द गीत - चन्द्रयान - तीन (२२/०८/२०२३)


चन्द्रयान अब रेडी हो जा , मामा हमर बलावत हे ।

कोन जनी का राज बताही , मुच - मुच बड़ मुस्कावत हे ।।


हमर देश के वैज्ञानिक मन , खोजत हे जिनगानी गा ।

कोन जघा खाये बर भोजन , कोन जघा हे पानी गा ।।


आनी - बानी यंत्र बना के , जन - जन तक पहुॅंचावत हे ।

चन्द्रयान अब रेडी हो जा , मामा हमर बलावत हे ।।


चन्दा मामा हमर मयारू , रात - रात के आथे गा ।

उजियारा फइलाथे जग मा , मन हा खुश हो जाथे गा ।।


दूध - भात के किस्सा सुग्घर ,  हम ला रोज सुनावत हे ।

चन्द्रयान अब रेडी हो जा , मामा हमर बलावत हे ।।


नदिया - नरवा जंगल - झाड़ी , सुग्घर पर्वत होही गा ।

खेले बर बाॅंटी भॅंवरा बड़ , राॅंधे बर बटलोही गा ।।


हाथी घोड़ा बघवा भलुवा , बन मा मोर नचावत हे ।

चन्द्रयान अब रेडी हो जा , मामा हमर बलावत हे ।।


 ओम प्रकाश पात्रे "ओम "

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: चंद्रमणि छन्द - सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'


----------चंद्रयान-थ्री-------------


चंद्रयान-थ्री हा हमर, पहुँचत होही चाँद मा।

जिम्मेदारी हे बहुत, कुछ मुड़ मा कुछ खाँद मा।


लैंडर विकरम ए दरी, भटकय नहीं भरोस हे।

तुके-तके तकनीक सन, अध्यन-अनुभव ठोस हे।


छय-चकिया रोवर हवय, बुद्धि-नाँव प्रज्ञान हे।

नाँव मुताबिक काम के, ज्ञान-ध्यान अउ भान हे।


चन्दा मामा दूर के, अब हो जाही तीर के।

हमरो कर कुछ एलबम, हो जाही तस्वीर के।


कतका हे पानी पवन, कतका हे उर्वर धरा।

का-का हे धन सम्पदा, हमर ममा चंदा करा।


कतका शीतलता हवय, कतका-पन हे आँच हा। 

जाँच-परख मा हो जही, उज्जर सादा साँच हा।


उहों जरूरत पर न जय, जल बर मोटर-पम्प के।

जाने बर हे आचरण, भू्सखलन भूकम्प के।


सुने हवन हम चाँद के, बड़ जुड़ हवय स्वभाव हा।

जाति-धरम झन ले न जन, बढ़ही ताव तनाव हा।


कथा-कहानी का कही?, ममा-गाँव के राह के।

भाँचा भर ला थाह हे, उमड़त खुशी उछाह के। 


▪️सुखदेव सिंह "अहिलेश्वर"

गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़

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*चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग के हार्दिक बधाई।*

*भारत माता की जय। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान।*


*चंद्रयान भाँचा आगे*

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*चंदा मामा घर घूमे बर,चंद्रयान भाँचा आगे।*

*बने- बने हँव खबर पठोइच,सुन इसरो झूमन लागे।*


*गली-गली ला घूम-घूम के,ठिहा ममा के पालिच वो।*

*चूम डेहरी माथ नवाइच, गीत मया के गालिच वो।*

*चंद्रयान के सुग्घर आदत, चंदा ला अब्बड़ भागे।*

 *चंदा मामा घर घूमे बर,चंद्रयान भाँचा आगे।*


*पूछिस चंदा बता ग भाँचा, दीदी धरती कइसे हे।*

*घर दुवार अउ तबियत वोकर, का सब पहिली जइसे हे ।*

*मया मोर बर करथे वोहा, धन भाई ले दुरिहागे।*

*चंदा मामा घर घूमे बर,चंद्रयान भाँचा आगे।*


*चंद्रयान हा बोलिस मामा, सुखी हवै  धरती दाई।*

*रोटी-पीठा भेजे हावै, झोला भर मुर्रा लाई।*

*खाके पपची अउ सोंहारी, मामा के पेट अघागे।*

*चंदा मामा घर घूमे बर,चंद्रयान भाँचा आगे।*


*चंदा मामा बोलिस भाँचा, एती वोती झन जाबे।*

*गहिरा अबडे गड्ढा हावैं,भसरँग ले भोसा जाबे।*

*कथरी कमरा ओढ़े सुतबे, झन रहिबे जादा जागे।*

*चंदा मामा घर घूमे बर,चंद्रयान भाँचा आगे।*


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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         सुफल चन्द्रयान 


चन्द्रयान के सुफल गमन ले,

             सबला हे अभिमान।

भाग्यधनी मोर भारत भुँइया,

           करलौ  नमन विज्ञान।

भाल सजे भारत माता के,

             बाढे जग मा शान। 

इसरो संघ फले फूले जी, 

           रहे अमर पहिचान। 

गरब हवे जन जन ला देखव, 

             ठाढे सीना तान 

झोंक बधाई विद्वत गुनिजन, 

         जय हो हिन्दुस्तान। 

   

      "रौना" 

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 चंद्रयान - 3 के सफल लैंडिंग बर "छन्द के छ परिवार" डहर ले इसरो के जम्मो वैज्ञानिक, अभियान मा सहयोगी अउ हर एक भारतवासी ला गाड़ा-गाड़ा बधाई


धीरे-बाने भाँचा पहुँचिस, अपन ममा के कोरा मा।

नँगत ठेठरी खुरमी खाही, एसो तीजा-पोरा मा।।


अरुण कुमार निगम

संस्थापक, छन्द के छ

छत्तीसगढ़

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 चन्द्रयान के सफलता बर सबो छन्द परिवार ला बादर अकन बधाई। 


राखी धरके पहुंचिस हावय, भाँचा अपन ममा घर मा। 

भाई बहिनी के  नाता के, शोर उड़त दुनिया भर मा। । 


आशा देशमुख

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 मनहरण घनाक्षरी- *चन्द्र यान- 3*


चन्द्रयान-थ्री हे नाँव, रख चन्द्रमा मा पाँव

देश दुनिया मा अब, रचे इतिहास हे।

आज दिन बुधवार, तारीख तेइस यार

दो हजार तेइस के, साल ये तो खास हे।।

गाड़ा- गाड़ा हे बधाई, बरसो के हे कमाई।

वैज्ञानिक इसरो के, पूरा भये आस हे।।

अचंभित हे जपान, चीन रूस पाकिस्तान

हिंदुस्तान के जुबान, भरे तो हुलास हे।।


शोध करही सच के, पूर्वाग्रह से बच के

जग ला बताही अब, महान विज्ञान जी।

सूर्य सोम जे तरह, चन्द्रमा भी उपग्रह

जानू नहीं मामू नहीं, न ही भगवान जी।

हे पढ़े लिखे मनखे, अंधभक्ति स्वाद चखे

पाखंड रूढ़ि मा पड़े, बने हें नादान जी।

सावधान! सावधान!, सच बात करौ ध्यान

हे गर्वित देश करे, थ्री ये चन्द्र यान जी।।


इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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: चन्द्रयान ये तीन हर, पहुॅंचे चंदा द्वार।

दाई के संदेश धर, धर के मया दुलार।।

धर के मया दुलार, आज मामा के घर मा।

बइठे खुशी अपार, गढ़े हे भारत भर मा।।

दुनिया देखिन काम, बढ़े अउ हमर मान ये।

चंदा मा लहराय, तिरंगा चन्द्रयान ये।।



हरु-गरु अउ सुख दुख सुघर, संग कही व्यवहार।

काय सही का सच हवै, बात उॅंहा के सार।।

बात उहॉं के सार, प्रमाणित अब सब हर होही।

मिथक मेट विज्ञान, सदा सच थरहा बोही।।

कोरा काय समाय, नदी पानी कतका रुख।

रोज बताही हाल, सुघर हरु-गरु अउ सुख-दुख।। 



मनोज कुमार वर्मा

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