---------बुनियाद के पथरा----------
रहय न साध सुवाद के, माटी पानी खाद के।
आदर के आसा रथे, पथरा ला बुनियाद के।
जे पुरखा बारूद खा, भूख मिटाइस पेट के।
लालच का करही भला? तोर नानकन भेट के।
लड़िस रातभर भोर बर, गाँव गली घर खोर बर।
मुँह जोहत आजो खड़े, पुरखा चिटिक अँजोर बर।
सपना देख मकान के, जेन समाइस नेव मा।
दुख होइस हे देख के, आदर पाइस छेव मा।
पाँख भुलै झन पाँव ला, पाँव अपन आधार ला।
उल्लाला सुखदेव के, कहय सकल संसार ला।
रचना - सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
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