महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर-छंद के छ परिवार की प्रस्तुति
भोले भगवान (सरसी छन्द)
जब सागर-मंथन मा निकलिस, "गरल" करिस हे पान।
बिपदा ले दुनिया - ल बचाइस, जै भोले भगवान।।
बिख के आगी तपिस गरा - मा, जइसे के बैसाख।
मरघट-मा जा के शिव-भोला, देह चुपर लिस राख।।
गंगा जी ला जटा उतारिस, अँधमधाय के नाथ।
मन नइ माढ़िस तब चन्दा ला, अपन बसाइस माथ।।
तभो चैन नइ पाइस भोला, धधके गर के आग।
अपन नरी - मा हार बना के , पहिरिस बिखहर नाग।।
शीतलता खोजत - खोजत मा , जब पहुँचिस कैलास
पारबती के संग उहाँ शिव , अपन बनालिस वास।।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग
छत्तीसगढ़
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*शिव महिमा - सार छंद*
हर हर भोले..हर हर भोले....2
जय शिव शंकर कैलाशी के,
हाथ जोर गुन गावव।
जउने माँगव देथे बाबा,
मनवांछित फल पावव।।
जगमग जगमग करै शिवाला,
शिव राती मेला मा।
फूल पान नरियर सब धरके,
आथे इहि बेला मा।।
ओम नमः के सुग्घर वंदन,
आवव मिलजुल गावव।
जय शिव शंकर कैलाशी के..........
हर हर भोले..हर हर भोले....2
औघड़ दानी भोले बाबा,
भगतन के हितकारी।
बाघम्बर मृग छाला पहिरे,
गंगाधर त्रिपुरारी।।
बेल धतूरा गांजा फुड़हर,
भइया भोग लगावव।
जय शिव शंकर कैलाशी के...........
हर हर भोले..हर हर भोले....2
बिखहर नाँग देवता गर मा,
सुग्घर माला साजे।
भूत पिसाच सँग मा नाचै,
नंदी पीठ बिराजे।।
डम डम डम डम डमरू बाजै,
नाचव खुशी मनावव।
जय शिव शंकर कैलाशी के.........
हर हर भोले..हर हर भोले....2
छंद साधक - 5
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
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शिव महिमा-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
डमडमी डमक डमक। शूल बड़ चमक चमक।
शिव शिवाय गात हे। आस जग जगात हे।
चाँद चाकरी करे। सुरसरी जटा झरे।
अटपटा फँसे जटा। शुभ दिखे तभो छटा।
बड़ बरे बुगुर बुगुर। सिर बिराज सोम सुर।
भूत प्रेत कस दिखे। शिव जगत उमर लिखे।
कोप क्लेश हेरथे। भक्त भाग फेरथे।
स्वर्ग आय शिव चरण। नाम जाप कर वरण।
हिमशिखर निवास हे। भीम वास खास हे।
पाँव सुर असुर परे। भाव देख दुख हरे।
भूत भस्म हे बदन। मरघटी शिवा सदन।
बाघ छाल साँप फन। घुरघुराय देख तन।
नग्न नील कंठ तन। भेस भूत भय भुवन।
लोभ मोह भागथे। भक्त भाग जागथे।
शिव हरे क्लेश जर। शिव हरे अजर अमर।
बेल पान जल चढ़ा। भूत नाथ मन मढ़ा।
दूध दूब पान धर। शिव शिवा जुबान भर।
सोमवार नित सुमर। बाढ़ही खुशी उमर।
खंड खंड चर अचर। शिव बने सबेच बर।
तोर मोर ला भुला। दे अशीष मुँह उला।
नाग सुर असुर के। तीर तार दूर के।
कीट खग पतंग के। पस्त अउ मतंग के।
काल के कराल के। भूत बैयताल के।
नभ धरा पताल के। हल सबे सवाल के।
शिव जगत पिता हरे। लेय नाम ते तरे।
शिव समय गति हरे। सोच शुभ मति हरे।
शिव उजड़ बसंत ए। आदि इति अनंत ए।
शिव लघु विशाल ए। रवि तिमिर मशाल ए।
शिव धरा अनल हवा। शिव गरल सरल दवा।
मृत सजीव शिव सबे। शिव उड़ाय शिव दबे।
शिव समाय सब डहर। शिव उमंग सुख लहर।
शिव सती गणेश के। विष्णु विधि खगेश के।
नाम जप महेश के। लोभ मोह लेश के।
शान्ति सुख सदा रही। नाव भव बुलक जही।
शिव चरित अपार हे। ओमकार सार हे।
का कहै कथा कलम। जीभ मा घलो न दम।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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: मनहरण घनाक्षरी
*महाशिवरात्रि के शुभकामना*
लोटा मा गोरस धर ,गंगा जल भर भर,
जय उदघोष कर, शिव ला चढ़ाव जी।
बेल पान हरियर, भेंट करौ नरियर,
महादेव हर हर, भोले धाम जाव जी।
चँउर चढावव धोवा, चंदन बंदन चोवा ,
मिसरी मिठाई खोवा,भोग लगाव जी।
पूरा सब होवे काज,तोरन पताका साज,
महाशिव रात आज,परब मनाव जी।।
कौशल कुमार साहू
सुहेला ( फरहदा )
जिला -बलौदाबाजार भाटापारा
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किरीट सवैया- विजेन्द्र वर्मा
ज्ञान गुणी मनखे सुन लौ धन दान करौ अउ गंग नहावव।
मंगल काज करौ शिव नाम जपौ जिनगी सुख मा ग बितावव।
आज बने शिवरात्रि मनावव पूजव देव ल पुण्य कमावव।
होय अँजोर इहाँ सबके जिनगी अइसे वरदान ग पावव।
विजेन्द्र वर्मा
नगरगाँव
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आशा देशमुख: भगवान भोलेनाथ के चरण म भाव पुष्प
छंद
बोल बम बम बोल।अब तो हृदय खोल।।
मन मा प्रभु विराज।होय पबरित काज।।
करव प्रभु उपकार।जग तोर परिवार।।
तोर रचय विधान।तँय ग्रंथ अउ ज्ञान।।
तँय सृजन अउ काल।सौम्य अउ विकराल।।
देव मनुज कुबेर।का अंश अउ ढेर।।
शंभु परम पुनीत।तँय भजन अउ गीत।।
भोले अमर नाथ।चंदा बसय माथ।।
चुपरे तन भभूत।शिव सत्य अवधूत।।
तन मरघट रमाय।जोगी शिव कहाय।।
शिव करय विष पान।करथे जग बखान।।
बइठे नयन मूँद।टपके अमृत बून्द।
उमापति सुन बात।करव सुख बरसात।।
जुच्छा हवय हाथ।बिनती सुनव नाथ।।
जो जपय शिव नाम।ओकर बनय काम।।
होय जग भव पार।गंगा बहय धार।।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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रामकुमार चन्द्रवंसी: मदिरा सवैया
हे शिवनाथ सुनौ अरजी कर जोड़ खड़े हँव आस धरे।
अन्तस मोर उजास करौ जुग ले मन हे अँधियार भरे।
ये भवसागर के गहरापन देख हवै मन मोर डरे।
हे शिव मोर करौ कलियान सबो जन के तँय कष्ट हरे।।
राम कुमार चन्द्रवंशी
बेलरगोंदी (छुरिया)
राजनांदगाँव
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मीता अग्रवाल: सार छंद
शिवशंकर
जटाजूट मा गंगाधारी,कंठ विराजे विषधर।
रुदराक्ष माला मृगछाला,डमरू त्रिशूल धर कर।
भूतनाथ हा भस्मी चुपड़े,रमे हिमालय भोले।
अंग जेविनी गौरी संगी, नंदी हाले ड़ोले।
रूद्र रूप तज शांत रहे तव,काटय दुख के फंदा।
महाकाल के सेवक भैरव,आदि स्वरूपानंदा।
औघड़ दानी अन्तर्यामी,दया मया के नाता।
ओंकार उचारे ब्रम्ह नाद,प्रगटे तुरते दाता।
कैलाश निवासी महादेव,शिव शंभू हिम शंकर ।
भोला भंडारी त्रिपुरारी,देवय मनवांछित वर।
मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़
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सार छंद-मनोज वर्मा
बाबा भोलेनाथ नाम गा, तोरे अवघट दानी।
रहे बिराजे घट घट बाबा, नइ हे कुरिया छानी।।
बइठे रहिथस धुनी रमाए, भॉंग धतूरा खाये।
बघवा छाला पहिरे हावस, अंग भभूति लगाये।।
गला सॉंप के माला सोहे, गंगा मूड़ बिराजे।
कान बिछी के बाला झूले, चंदा सिर मा साजे।।
महुरा पी के तॅंय जग हित बर, बने हवस विषधारी।
सबके बिगड़े तॅंही बनाये, महिमा तोरे भारी।।
भॉंग आॅंकड़ा दूध धतूरा, बेल पान गंगा जल।
चंदन चाउर नरियर चढ़थे, सब देथे भारी फल।।
जय जय भोले जय शिव शंकर, जटा म गंगा धारी।
नारी के तॅंय मान बढ़ाये, धरके तन नर नारी।
करे महाशिवरात्री पूजा, वो बड़े भागमानी।
रहे बिराजे घट घट बाबा, नइ हे कुरिया छानी।।
बाबा भोलेनाथ नाम गा, तोरे अवघट दानी......
मनोज कुमार वर्मा
लवन बलौदा बाजार
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कुण्डलिया छंद - श्लेष चन्द्राकर
शिवजी के पूजा करव, सुख मिलथे भरपूर।
नीलकंठ भगवान हा, संकट करथे दूर।।
संकट करथे दूर, दु:ख ला सबके हरथे।
भक्तन के सिरतोन, रिता झोली ला भरथे।।
महादेव कस देव, कोन गा हावय दूजा।
बने लगा के ध्यान, करव शिवजी के पूजा।।
छंदकार - श्लेष चन्द्राकर,
पता - खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, महासमुंद (छत्तीसगढ़)
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: छंदकार-शोभामोहन श्रीवास्तव,
छंद-अमृतध्वनि
भूतनाथ स्तुति
कंकर कंकर मा बसे , भूतनाथ भगवान ।
शंकर शंकर जे कहे , तरे जगत ले जान ।।
तरे जगत ले, जान उही नर ,जपले हर हर ।
जटा गंगधर ,लपटाये गर, डोमी बिखहर।।
चंदा सिर पर,राख देंह भर,चुपरे शंकर।
हर सबके जर, शिवमय सुंदर,कंकर कंकर।।
डमडम डम कर नाचथे,डमरूधर कैलाश।
झनके ततका दूर के, होथे दुख के नाश।।
होथे दुख के, नाश भूत धर, परबत ऊपर।
बइठे शंकर,पदवी अम्मर, देवय किंकर।।
जोगनिया हर,लठर झुमर कर,नाचे मन भर।
चिहुर भयंकर,हरहर हरहर,डमडम डमकर ।
भोले शंकर के नरी ,सोहत मूँड़ी माल ।
कनिहा छाला बाघ के,दिखथे जइसे काल।।
दिखथे जइसे , काल रूप हर ,लगथे बड़ डर।
सरसर सरसर, साँप देंह पर, चलत भयंकर।।
नंदी ऊपर, बइठे हर हर,परबतिया धर ।
जग के सुख बर,गिंजरे जगधर,भोले शंकर।।
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दोहा छंद - श्लेष चन्द्राकर
अंतस मा शिव ला बसा, करव नीक नित काम।
आप सबो के जगत मा, खच्चित बढ़ही नाम।।
बइला बिच्छू साँप ला, रखथे साथ महेश।
प्रेम करव हर जीव ले, देथे ये संदेश।।
भगवन भोलेनाथ हा, हावय बड़ा दयालु।
भक्तन मन ऊपर सदा, करथे कृपा कृपालु।।
श्रद्धा के दू फूल ले, खुश होथे शिवनाथ।
प्रभुवर हा देवय नहीं, आडंबर के साथ।।
कैलाशी शंकर हरय, जन के तारणहार।
उखँर कृपा ले हे चलत, जग के कारोबार।।
छंदकार - श्लेष चन्द्राकर,
पता - खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, महासमुंद (छत्तीसगढ़)
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शिव बरात
(सरसी छंद)
परबत राज हिमाँचल के घर ,आवत हवय बरात।
औघड़ शिव भोले जी दूल्हा,हावय अबड़ लजात।।
नंदी बइला ल सम्हराके, बइठे भोलेनाथ।
भूत प्रेत मन हवैं बराती, सबो देवता साथ।।
जटा जूट कलसा कस सोहे, गंगा जल छलकाय।
जेमा कलगी चंदा लटके,गोरा मुँह चमकाय।।
शेषनाग के गर मा माला, बिच्छी चटके कान।
सरी देंह मा भसम ल चुपरे, मरघट्टी ले लान।।
तीन नेत्र हे दू ठन उघरे, माथा एक मुँदाय।
हाथ गोड़ मा कतको हावय, बिखहर मन लपटाय।।
ब्रह्मा जी ह बिनय सुनाइस,मौका बड़ शुभ जान।
चिटिक अपन लीला देखा दौ,हे भोले भगवान।।
हाथ जोर ब्रह्मा जी बोलिस,सुन लौ हमर पुकार।
डर्रागे हें सबो घराती,देखे रूप तुम्हार।।
मुस्काइस भोले भंडारी, लीला रचे अपार।
बिखहर बिच्छी फूल लहुटगें,होगे निक सिंगार।।
दोहा--
बर बलाव होइस तहाँ, भाँवर परगे सात।
खुशी-खुशी होइस बिदा, बितगे आधा रात।।
चोवा राम 'बादल'
हथबंद छत्तीसगढ़
गुरुदेव बड़ सुग्घर संकलन तैयार होये हवै, जम्मो साधक भाई बहिनी मन ला अउ महाशिवरात्रि रात्रि के बहुत बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteसुग्घर संकलन
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर संकलन।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसुग्घर
ReplyDeleteबड़ सुग्घर संकलन, हार्दिक बधाई अउ शुभकामना ❤️🌹❤️
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