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Thursday, June 24, 2021

संत कबीर साहेब जयंती विशेष


 

संत कबीर साहेब जयंती विशेष


सत संगत कर ले सदा,कहिथे संत कबीर।

मन रइही चंगा बने,होवय नहीं अधीर।।(१)


गुरू बड़े भगवान ले,मन मा सोच बिचार।

गुरू ज्ञान ले हो जबे,भव सागर तैं पार।।(२)


दया-मया मन मा बसा,छोड़ मोह अभिमान।

छिनभर के काया हवै,येला तँय पहिचान।।(३)


दाई, बाबू, देवता,पखरा के का काम।

कर पूजा करजोर के,सँउहें तीरथ धाम।।(४)


छुआ-छूत का मानथस,मनखे एक समान।

लहू सबो के एक हे,गढ़े एक भगवान।।(५)


कभू लबारी मार झन,सदा सत्य ला बोल।

सत्य ज्ञान के बात ला,सबके आघू खोल।।(६)


नशा-पान झन कर कभू,होथे जी जंजाल।

ले जाथे शमशान मा,झटकुन आथे काल।।(७)


सबो मंत्र के बीज हे,एक नाम सतनाम।

अंतस मा सत जाप कर,छिन मा बनही काम।।(८)


आडंबर पाखण्ड ले,अंतस हा कंगाल।

सत ला जे मन जानथे,वो मन मालामाल।।(९)


घट-घट मा सतनाम ला,मौज बसाले आज।

गुरू कबीरा सीख धर,जग मा करबे राज।।(१०)


द्वारिका प्रसाद लहरे"मौज"

कवर्धा छत्तीसगढ़

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- हरिगीतिका छंद*

2212  2212,  2212  2212


सुनलौ कबीरा जी कहै,पाखंड तो व्यभिचार हे।

मनखे दिखावा के इहाँ, चारों मुड़ा संसार हे।।

निर्गुण निराकारी सखा,पूजा विरोधी जान लौ।

मन के दुवारी खोल के,श्री राम ला पहिचान लौ।।


समता रखौ सब धर्म मा,अनपढ़ कबीरा जी कहै।

नइ जात अउ नइ पात जी,मिलके सबो संगे रहै।।

हिन्दू मुसलमा मिल चलौ,संदेश ओखर सार जी।

सबके बहावत हे कहै,तन मा लहू के धार जी।।


सुनलौ कबीरा का कहै,करनी करौ सद् जान के।

रद्दा दिखाये ज्ञान के,निर्गुण सगुण भगवान के।।

महिमा बतावै ये गजब,शिव विष्णु अज गुरु नाम के।

मन मा जपौ गुरु के चरन, दर्शन मिलै सुख धाम के।।


छंदकार:-

बोधन राम निषादराज

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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सुखदेव सिंह अहिलेश्वर


बीत जही बिपदा घड़ी, मन मा धर ले धीर।

सॅंग मा हे आठो पहर, सतगुरु दास कबीर।।


मूढ़ मती के माथ मा, आ जाही सद्ज्ञान।

सुनही संत कबीर ला, जे दिन देके ध्यान।।


झूठ ढोंग पाखण्ड के, घपटे घुप ॲंधियार।

वाणी शबद कबीर के, कर देही उजियार।।


जाति-धरम के नॉंव मा, खींचे कहूॅं लकीर।

जान रिसागे तोर ले, सतगुरु दास कबीर।।


प्रेम भक्ति अइसे करी, जइसे करिस कबीर।

देख सुफल जोनी जनम, सहुॅंरावय तकदीर।।


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

गोरखपुर कबीरधाम छ.ग.

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हरिगीतिका छंद


दर्पण कबीरा हा धरे,जग देख ले मुँह ला बने।

आँखी तरी तलवार हे ,अउ हाथ मा काजर सने।

उज्जर जगत के ओढ़ना ,कीरा परे हे चाल मा।

पाखंड कहिथे त्याग कर ,खुद के नजर हे माल मा।1


आवव कबीरा ला सुनव,बानी धरे बड़ भेद हे।

मनखे रखे हंडा घड़ा,अब्बड़ तरी मा छेद हे।

डर मा जगत जीयत हवे,सूजी लगावत कोन हे।

छाये बजरहा राज अब ,भीतर लुकाये सोन हे।2


अइसन कबीरा हा कहे ,निंदक घलो बड़ काम के।

पानी बिना साबुन बिना ,उज्जर करे मन चाम के।

ये बैठ काशी घाट में ,निर्गुण निराकारी रहे।

धोये कतिक के मैल तँय,गंगा बिचारी का कहे।3


आशा देशमुख

एनटीपीसी कोरबा

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ज्ञानु मानुकपुरी

सद्गुरु सत्य कबीर, महिमा अड़बड़ तोर हे।

जन जन के तो पीर, जियत मरत ले तँय हरे।।


दुनिया भर बगराय, सत्यनाम संदेश ला।

सत के पाठ पढ़ाय, सार नाम सब नाम मा।।


झूठ कपट अभिमान, जिनगी बर अभिशाप हे।

मनखे अब पहिचान, सत्य धरम ईमान ला।।


कल अँधियारी रात, चटक चँदैनी आज ता।

इही सार हे बात, दया मया बाँटत रहव।।


नशा नाश के जाल, मुश्किल होथे निकलना।

सिरतों होय कँगाल, फँसे जेन हा जाल मा।।


रहव सदा सब साथ, तोरी मोरी छोड़के।

बड़े नवावौ माथ, छोटे ला आशीष दव।।


सरल नरम व्यवहार, खान पान सादा रखव।

मनखे एक समान सब, बाँटव मया दुलार।।


दुनिया भर मा राज, आडंबर पाखंड के।

कहाँ पुछन्तर आज, दया प्रेम विश्वास के।।


भोग चढ़े भगवान, भूख मरे दाई ददा।

देवय कोन धियान, रोवय देख कबीर हा।।


करै दूर अँधियार, दिव्य ज्ञान ले गुरु अपन।

भवसागर ले पार, गुरु किरपा बिन होय नइ।।


ज्ञानुदास मानिकपुरी

चंदेनी कवर्धा

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5 comments:

  1. वाह वाह सुग्घर सारगर्भित संकलन।हार्दिक बधाई।

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  2. संत कबीर के जीवन दर्शन सुग्घर छंदमय संकलन

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  3. बहुते सुघ्घर संकलन जम्मो झन ला हार्दिक बधाई

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  4. अड़बड़ सुग्ग्घर संकलन ,,आप जम्मों झन ला बधाई

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  5. वाह वाह अति सुग्घर

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