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Monday, August 6, 2018

सार छंद - श्री हेमलाल साहू

         









बरखा रानी -

करिया करिया बादर देखत, हाँसत हे जिनगानी।
सबके मन मे आस जगत हे, आही बरखा रानी।1।

रुमझुम रुमझुम पानी बरसे, खड़े किसान दुवारी।
सावन भादो महिना आगय, रात लगे अँधियारी।।2।

लुका छुपी के खेल खेलथे, चाँद सुरुज बड़ भारी।
छावय जग मा घुमड़ घुमड़ के, बदरी कारी कारी।3।

राग मेचका मन धर गावय, करय तमासा मछरी।
झूमर झूमर डोरी नाचय, पिटय केकड़ा डफरी।4।

झीगुर सोर मचावत हावय, घोघी खेलय घाँदी।
चारो मुड़ा सवागत करथे, झूम झूम के काँदी।5।

टपटप टपटप पानी गिरथे, चुहथे खपरा छाँही।
नदिया नरवा सब भर जाही, सुघ्घर जिनगी आही।6।

पहिरे धरती हरियर लुगरा, लाय नवा खुशियाली।
चिरई चुरगुन खेती घूमय, देखय बड़ हरियाली।7।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़