बरखा रानी -
करिया करिया बादर देखत, हाँसत हे जिनगानी।
सबके मन मे आस जगत हे, आही बरखा रानी।1।
रुमझुम रुमझुम पानी बरसे, खड़े किसान दुवारी।
सावन भादो महिना आगय, रात लगे अँधियारी।।2।
लुका छुपी के खेल खेलथे, चाँद सुरुज बड़ भारी।
छावय जग मा घुमड़ घुमड़ के, बदरी कारी कारी।3।
राग मेचका मन धर गावय, करय तमासा मछरी।
झूमर झूमर डोरी नाचय, पिटय केकड़ा डफरी।4।
झीगुर सोर मचावत हावय, घोघी खेलय घाँदी।
चारो मुड़ा सवागत करथे, झूम झूम के काँदी।5।
टपटप टपटप पानी गिरथे, चुहथे खपरा छाँही।
नदिया नरवा सब भर जाही, सुघ्घर जिनगी आही।6।
पहिरे धरती हरियर लुगरा, लाय नवा खुशियाली।
चिरई चुरगुन खेती घूमय, देखय बड़ हरियाली।7।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़
बधाई हो भाई
ReplyDeleteलय भी ठीक राखव।
सिर्फ मात्रा ही नही लय भी बेहतर होवय।
हव दीदी आपके सुझाव ल अमल करहूँ। सादर धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर छंद रचना हेम सर ।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद अहिलेश्वर भैया जी।
Deleteघँइ लय के पावव सही, राखौ अपन विचार।
ReplyDeleteसोला बारा के बने, जुगत लगावत सार।।
सोच तुँहर सुंदर हे सब्बो...
बधाई भाई.....
हव भैया। सादर धन्यवाद
Deleteबधाई हो हेम भाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाई राजेश
Deleteगजब सुग्घर रचना सर
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाई ज्ञानु जी
Deleteगजब सुग्घर रचना सर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हे आदरणीय।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भैया जी।
Deleteबहुत बढ़िया हे आदरणीय।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हेम भइया, लय ल देख लव
ReplyDeleteहव भैया जी। सादर धन्यवाद।
Deleteवाह, गजब सुघ्घर रचना गुरुजी
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Deleteसादर धन्यवाद नीलम दीदी
Deleteहेम भाई के सुग्घर सार छंद ।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद चोवा भैया जी।
Deleteसुग्घर सार रचे हव हेम जी।बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद वर्मा भैया जी
Deleteबहुत बढ़िया बधाई हो भइया जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भैया जी
Deleteबरखा रानी के बहुत ही सुग्घर चित्रण भइया जी, आप ला बधाई...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भैया जी
Deleteअब्बड़ सुग्घर रचना भइया बरखा के गजब वर्णन
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाई मयारू मोहन
Deleteबधाई हो गुरुजी👌💐
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आशा आजाद जी
Deleteसुग्घर सार छंद लिखे हव भैया जी। सादर प्रणाम अउ बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद मोहन भैया प्रणाम तको
Deleteसादर धन्यवाद भैया अउ प्रणाम तको।
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