सरसी छन्द - शकुन्तला शर्मा
तुलसी
आशा के प्रतीक ए तुलसी धरिस एक अभियान
राम - नाव के पाइस डोगा शकुन देख अउ जान ।
रामचरित आधार बनिस हे जाग शकुन तै आज
पय-डगरी जब मिल जाथे तव सुफल होय सब काज ।
जैसे सोच समझ फल तैसे चिंतन लै आकार
शुभ चिंतन के फल भी शुभ हे देख शकुन हर बार ।
तुलसी राज-धर्म समझाइस शकुन तोर अधिकार
धर्म - अर्थ चारों ला पा ले भवसागर कर पार ।
मनखे जनम बहुत दुर्लभ हे शकुन बात ला मान
धर्म गली मा चल तुलसी कस तै मत बन अनजान ।
तुलसी - बबा बताइस धरसा शकुन तहू पहिचान
अब दिन बूडत हावै नोनी झट के तंबू तान ।
रचनाकार - शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छत्तीसगढ़
तुलसी
आशा के प्रतीक ए तुलसी धरिस एक अभियान
राम - नाव के पाइस डोगा शकुन देख अउ जान ।
रामचरित आधार बनिस हे जाग शकुन तै आज
पय-डगरी जब मिल जाथे तव सुफल होय सब काज ।
जैसे सोच समझ फल तैसे चिंतन लै आकार
शुभ चिंतन के फल भी शुभ हे देख शकुन हर बार ।
तुलसी राज-धर्म समझाइस शकुन तोर अधिकार
धर्म - अर्थ चारों ला पा ले भवसागर कर पार ।
मनखे जनम बहुत दुर्लभ हे शकुन बात ला मान
धर्म गली मा चल तुलसी कस तै मत बन अनजान ।
तुलसी - बबा बताइस धरसा शकुन तहू पहिचान
अब दिन बूडत हावै नोनी झट के तंबू तान ।
रचनाकार - शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छत्तीसगढ़
अनुपम अउ अनुकरणीय सरसी छंद,दीदी।सादर बधाई।
ReplyDeleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् दीदी शानदार रचना।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् दीदी शानदार रचना।सादर बधाई
ReplyDeleteघातेच सुघ्घर सरसी दीदी
ReplyDeleteअति सुन्दर सरसी दीदी।
ReplyDeleteवाह! अनुपमेय!
ReplyDeleteगजब मिठात हे
वाह्ह्ह्ह्ह् दीदी अब्बड़ सुग्घर रचना ,सादर प्रणाम
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