चकोर सवैया छंद - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
(1)
कातिक के महिना धरके अपने सँग मा घर लावय जाड़।
अग्घन हा बनगे जस निंदक कान भरै भड़कावय जाड़।पूस घलो सुलगावत हे बनके कुहरा गुँगवावय जाड़।
काँपत ओंठ ल देख परै तब अंतस मा सुख पावय जाड़।
(2)
घूमत हे लइका उघरा उँहला नइतो डरुहावय जाड़।
कोन जनी बुढ़वा मन के मन ला कइसे नइ भावय जाड़।
देखत हे कमिया कर जाँगर मूड़ ल ढाँक लुकावय जाड़।
काम बुता नइहे कुछु हाँथ त रोज अलाल बनावय जाड़।
(3)
धान लुवावत माढ़त जावत हे करपा बड़ हाँसय ठाँव।
हे खलिहान घलो फभथे मइया परथे तुँहरे शुभ पाँव।
देख किसानन के श्रम ला भगवान घलो सँहरावय नाँव।
राँधत पोवत खावत मानुष के सँग मा खुश हे सब गाँव।
रचनाकार - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
(1)
कातिक के महिना धरके अपने सँग मा घर लावय जाड़।
अग्घन हा बनगे जस निंदक कान भरै भड़कावय जाड़।पूस घलो सुलगावत हे बनके कुहरा गुँगवावय जाड़।
काँपत ओंठ ल देख परै तब अंतस मा सुख पावय जाड़।
(2)
घूमत हे लइका उघरा उँहला नइतो डरुहावय जाड़।
कोन जनी बुढ़वा मन के मन ला कइसे नइ भावय जाड़।
देखत हे कमिया कर जाँगर मूड़ ल ढाँक लुकावय जाड़।
काम बुता नइहे कुछु हाँथ त रोज अलाल बनावय जाड़।
(3)
धान लुवावत माढ़त जावत हे करपा बड़ हाँसय ठाँव।
हे खलिहान घलो फभथे मइया परथे तुँहरे शुभ पाँव।
देख किसानन के श्रम ला भगवान घलो सँहरावय नाँव।
राँधत पोवत खावत मानुष के सँग मा खुश हे सब गाँव।
रचनाकार - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
लाजवाब चकोर सवैया छंद मा सृजन सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर जी।
Deleteबहुते सुघ्घर चकोर सवैया हे भाई
ReplyDeleteसराहना बर आभार दीदी।सादर प्रणाम।
Deleteतोर छंद म बहुत सुग्हर शब्द चित्र अपने अपन बनत हे, सुखदेव ! सुग्हर चकोर ।
ReplyDeleteसराहना बर आभार दीदी।सादर प्रणाम।
Deleteसुग्घर चकोर सरजी।
ReplyDeleteसादर आभार सर जी।
Deleteलाजवाब चकोर सवैया सृजन बर अहिलेश्वर जी ला हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर आभार बादल भैया।प्रणाम।
Deleteबहुत सुग्घर चकोर सवैया छंद के रचना करे हव,अहिलेश्वर जी।बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर छंद लिखे हव सुखदेव भाई चकोर सवैया मा बधाई बहुत बहुत
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भइया
ReplyDeleteउम्दा चकोर भैया जी
ReplyDeleteवाह बहुँत सुघ्घर
ReplyDeleteवाह बहुँत सुघ्घर
ReplyDeleteसुग्घर चकोर हे अहिलेशवर जी
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