दोहा छन्द - श्री मोहनलाल वर्मा
नखशिख सिंगार वर्णन
पावँय नारी के जनम,जेमन पुण्य कमाय।
दाई दीदी के सबो,सुग्घर नता निभाय ।।१।।
घटा सही चूँदी दिखय,घपटे करिया जान ।
छरिया देवय तब लगय,देवी चढ़े समान ।।२।।
नागिन कस बेनी दिखय,गजरा कर सिंगार ।
माँग लाल सेंदूर हे,टिकली लगे कपार ।।३।।
काजर आँखी आँज के,खिनवा पहिरय कान ।
नथनी फुल्ली नाक के,लेवत हवे परान।।४।।
खोपा मा हे मोंगरा,दौना पान लगाय ।
बुरी नजर नइ तो लगय,सुँदरी रूप कहाय ।।५।।
मुँहरंगी लग होंठ मा,भाग अपन सँहराय ।
तेलइ गोरी गाल के,चंदा देख लजाय ।।६।।
गर मा रुपिया ला पहिर,अउ नवलखिया हार ।
ऐंठी पहुँची हाथ मा,मुँदरी अँगरी डार ।।७।।
लगे हथेरी मेंहदी,सँहरावत हे भाग ।
दर्जन भर चूरी नरी,चिनहा हवय सुहाग ।।८।।
करधन कनिहा झूलके,करय गाँव भर शोर ।
टोंड़ा लच्छा गोड़ के,पैरी बाजय तोर ।।९।।
चाँदी बिछिया पाँव मा,माहुर हवे रचाय ।
पहिरय लुगरा पोलखा,इत्तर ले महकाय ।।१०।
रचनाकार - श्री मोहनलाल वर्मा
ग्राम -अल्दा, पोस्ट - तुलसी मानपुर,
तहसील - तिल्दा, जिला -रायपुर
छत्तीसगढ़
नखशिख सिंगार वर्णन
पावँय नारी के जनम,जेमन पुण्य कमाय।
दाई दीदी के सबो,सुग्घर नता निभाय ।।१।।
घटा सही चूँदी दिखय,घपटे करिया जान ।
छरिया देवय तब लगय,देवी चढ़े समान ।।२।।
नागिन कस बेनी दिखय,गजरा कर सिंगार ।
माँग लाल सेंदूर हे,टिकली लगे कपार ।।३।।
काजर आँखी आँज के,खिनवा पहिरय कान ।
नथनी फुल्ली नाक के,लेवत हवे परान।।४।।
खोपा मा हे मोंगरा,दौना पान लगाय ।
बुरी नजर नइ तो लगय,सुँदरी रूप कहाय ।।५।।
मुँहरंगी लग होंठ मा,भाग अपन सँहराय ।
तेलइ गोरी गाल के,चंदा देख लजाय ।।६।।
गर मा रुपिया ला पहिर,अउ नवलखिया हार ।
ऐंठी पहुँची हाथ मा,मुँदरी अँगरी डार ।।७।।
लगे हथेरी मेंहदी,सँहरावत हे भाग ।
दर्जन भर चूरी नरी,चिनहा हवय सुहाग ।।८।।
करधन कनिहा झूलके,करय गाँव भर शोर ।
टोंड़ा लच्छा गोड़ के,पैरी बाजय तोर ।।९।।
चाँदी बिछिया पाँव मा,माहुर हवे रचाय ।
पहिरय लुगरा पोलखा,इत्तर ले महकाय ।।१०।
रचनाकार - श्री मोहनलाल वर्मा
ग्राम -अल्दा, पोस्ट - तुलसी मानपुर,
तहसील - तिल्दा, जिला -रायपुर
छत्तीसगढ़
बहुँत बढ़िया
ReplyDeleteधन्यवाद भैया जी
Deleteबहुँत बढ़िया
ReplyDeleteधन्यवादभैया जी
Deleteबहुत सुंदर दोहा भईया जी आपने नारी के सृंगार का वर्णन बहुत ही सुंदर ढंग से किया है बधाई हो
ReplyDeleteउत्साहवर्धन बर आभार भैया जी
Deleteसुग्हर दोहा, मोहन !
ReplyDeleteआप सबो के आशीर्वाद अउ मार्गदर्शन हे,दीदी।प्रणाम।
Deleteगुरुदेव ,प्रणाम।आपके आशीष अउ मार्गदर्शन ले लिखे
ReplyDelete"नख शिख सिंगार वर्णन "के दोहा ला छत्तीसगढ़ के अनमोल साहित्य कोठी छंद खजाना मा स्थान मिलिस।ये मोर बर परम सौभाग्य आय अउ मोर लिखना सार्थक होगे।
गुरुदेव ,प्रणाम।आपके आशीष अउ मार्गदर्शन ले लिखे
ReplyDelete"नख शिख सिंगार वर्णन "के दोहा ला छत्तीसगढ़ के अनमोल साहित्य कोठी छंद खजाना मा स्थान मिलिस।ये मोर बर परम सौभाग्य आय अउ मोर लिखना सार्थक होगे।
बहुत सुग्घर दोहा छंद मा रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteआभार ,भैया जी।
Deleteबढ़िया मोहन भाई
ReplyDeleteबधाई मोहन जी सुग्घर दोहा बर।
ReplyDeleteआप सबो केआशीर्वाद अउ मार्गदर्शन हाबय गुरुदेव।
Deleteबहुत बहुत बधाई मोहन भैया।बड़ सुन्दर दोहावली।
ReplyDeleteप्रोत्साहन बर आभार भैया जी।
Deleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteतै तो हमर छत्तीसगढ़िया बिहारी हरस भाई
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