(1)
अड़बड़ सुग्घर लागथे,सरग बरोबर गाँव।
नदिया नरवा ढोड़गा,बर पीपर के छाँव।
बर पीपर के,छाँव गजब हे,मन ला भाथे।
हरियर-हरियर, रुखराई मा,चिरई गाथे।
कोनो मनखे,करय नही जी, कब्भू गड़बड़।
उँकर गोठ हा,नीक लागथे,मोला अड़बड़।
(2)
काखर करे गुमान तैं,जाना हे सब छोड़।
नइ मानच तव देख ले,लगा घटाना जोड़।
लगा घटाना,जोड़ जमाले,जुच्छा जाबे।
बने करम के, दान धरम के,पुन बस पाबे।
हवय काम के,राम नाम के,ढाईआखर।
नइ समझत हच,गरजत हाबच, बल मा काखर।
रचनाकार - श्री मनीराम साहू "मितान"
ग्राम - कचलोन, जिला - बलौदाबाजार-भाटापारा छत्तीसगढ़
अड़बड़ सुग्घर लागथे,सरग बरोबर गाँव।
नदिया नरवा ढोड़गा,बर पीपर के छाँव।
बर पीपर के,छाँव गजब हे,मन ला भाथे।
हरियर-हरियर, रुखराई मा,चिरई गाथे।
कोनो मनखे,करय नही जी, कब्भू गड़बड़।
उँकर गोठ हा,नीक लागथे,मोला अड़बड़।
(2)
काखर करे गुमान तैं,जाना हे सब छोड़।
नइ मानच तव देख ले,लगा घटाना जोड़।
लगा घटाना,जोड़ जमाले,जुच्छा जाबे।
बने करम के, दान धरम के,पुन बस पाबे।
हवय काम के,राम नाम के,ढाईआखर।
नइ समझत हच,गरजत हाबच, बल मा काखर।
रचनाकार - श्री मनीराम साहू "मितान"
ग्राम - कचलोन, जिला - बलौदाबाजार-भाटापारा छत्तीसगढ़
बहुत सुग्घर अमृत ध्वनि छंद के रचना करे हव,मनीराम भैया जी।बहुत बहुत बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteआम लीम बर पीपर पहिरे,छत्तीसगढ़ के सबो गाँव
ReplyDeleteनरवा नदियाँ तीर मा बइठे, छत्तीसगढ़ के सबो गाँव।
बहुत सुघ्घर भाई जी
ReplyDeleteबड़ सुघ्घर अमृत ध्वनि छंद सिरजन करे हव मनी भाई।बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् मनी भाई सुग्घर छन्द
ReplyDeleteक्या बात हे मितान जी
ReplyDeleteक्या बात हे मितान जी
ReplyDeleteआप सब ला बहुत बहुत धन्यवाद आभार
ReplyDeleteअनमोल छंद के अनुपम सृजन हे भाई
ReplyDeleteबहुँत सुघ्घर भईया जी
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबढ़िया अमृत ध्वनि छंद भाई...
ReplyDeleteशानदार बधाई...