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Saturday, November 18, 2017

अमृतध्वनि छन्द - श्री मनीराम साहू

(1)
अड़बड़ सुग्घर लागथे,सरग बरोबर गाँव।
नदिया नरवा ढोड़गा,बर पीपर के छाँव।
बर पीपर के,छाँव गजब हे,मन ला भाथे।
हरियर-हरियर, रुखराई मा,चिरई गाथे।
कोनो मनखे,करय नही जी, कब्भू गड़बड़।
उँकर गोठ हा,नीक लागथे,मोला अड़बड़।

(2)
काखर करे गुमान तैं,जाना हे सब छोड़।
नइ मानच तव देख ले,लगा घटाना जोड़।
लगा घटाना,जोड़ जमाले,जुच्छा जाबे।
बने करम के, दान धरम के,पुन बस पाबे।
हवय काम के,राम नाम के,ढाईआखर।
नइ समझत हच,गरजत हाबच, बल मा काखर।

रचनाकार - श्री मनीराम साहू "मितान"
ग्राम - कचलोन, जिला - बलौदाबाजार-भाटापारा छत्तीसगढ़

13 comments:

  1. बहुत सुग्घर अमृत ध्वनि छंद के रचना करे हव,मनीराम भैया जी।बहुत बहुत बधाई अउ शुभकामना।

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  2. आम लीम बर पीपर पहिरे,छत्तीसगढ़ के सबो गाँव
    नरवा नदियाँ तीर मा बइठे, छत्तीसगढ़ के सबो गाँव।

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  3. बहुत सुघ्घर भाई जी

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  4. बड़ सुघ्घर अमृत ध्वनि छंद सिरजन करे हव मनी भाई।बधाई

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  5. वाह्ह्ह्ह्ह् मनी भाई सुग्घर छन्द

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  6. क्या बात हे मितान जी

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  7. क्या बात हे मितान जी

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  8. आप सब ला बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  9. अनमोल छंद के अनुपम सृजन हे भाई

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  10. बहुँत सुघ्घर भईया जी

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  11. बहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई

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  12. बहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई

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  13. बढ़िया अमृत ध्वनि छंद भाई...
    शानदार बधाई...

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