दोहा छंद – शकुन्तला शर्मा
छ्त्तीसगढ मा राम हें, सुन वो कर ननिहाल
गाँव - कोसला नाव हे, बनिस राम के ढाल।
कौशल्या के मायके, भानु - मन्त के राज
भानुमंत दशरथ बनिन, समधी राज समाज।
महा - नदी के तीर मा, हावय शबरी - धाम
शबरी - बोइर चिखत हे, खावत हावय राम।
भेद - भाव के नार ला, बड सुंदर तिरियाय
गाँधी हर गुरुमान लिस, तेजस ओजस पाय।
सुरता - आथे दलित के, छंद - राग के दूत
देश - प्रेम के राग मा, बन गे खुद अवधूत।
छत्तीसगडही गीत ला, पागिस साव – खुमान
जगमगाय आकाश मा, गुरतुर - गान गुमान।
छ्त्तीसगढ - अभिमान ए, तीजन - बाई नाम
पँडवानी के गायिका, लौह नगर घर – धाम।
देव दास जब नाचथे, पहिरय - पिवँरा पाग
पंथी ला बगरा - दिहिस, दुनियाँ गावय राग।
मूर्ति बनाथे – बढिया, जग जाहिर अब नाव
नेल्सन के जस हे बडे, सुनव - सबो सहँराव।
रिखी खत्री बहुते गुनी, समझय सुर अउ ताल
छ्त्तीसगढ तुरही - बजा, बन - प्रदेश के ढाल।
नारायन जय - खंभ मा, ठाढे - हावय आज
सब्बो झन ला कहत हे, करव देश हित काज।
रचनाकार - शकुन्तला शर्मा
भिलाई, छत्तीसगढ़
बड़ सुघ्घर दोहावली,दीदी।
ReplyDeleteसादर नमन
लाजवाब दोहावली दीदी।सादर बधाई
ReplyDeleteहे शारद मैया
ReplyDeleteकोटिशः नमन
बेहतरीन दोहावली दीदी । सादर बधाई
ReplyDeleteशानदार दोहावली।दीदी।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर दोहावली,दीदी।सादर प्रणाम।
ReplyDeleteसुग्घर दीदी
ReplyDeleteप्रणम्य दीदी के सुग्घर दोहावली।
ReplyDeleteप्रणम्य दीदी के सुग्घर दोहावली।
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् दीदी सुग्घर दोहावली ,नमन्
ReplyDeleteभाई - बहिनी के मया, होथे - बड अनमोल
ReplyDeleteसदा सुखी सब झन रहौ,मन से निकलय बोल।
नीक लगिस पढ़के बने,सुघ्घर दोहा तोर।
ReplyDeleteबड़ ज्ञानी हावय हमर,दीदी शकुन ह मोर।।
सुघ्घर दोहा दीदी के सत् सतू पाय लागु
वाह! दीदी सुग्घर दोहावली
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर लागिस आदरणीया
ReplyDeleteबड़ सुघ्घर दीदी जी
ReplyDeleteबड़ सुघ्घर दीदी जी
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