शक्ति छन्द
*डाँड़ (पद) - 4*
तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ मा, आखिरी मा सगन या रगन या नगन आना चाही.
माने डाँड़ के आख़िरी मा नान्हें, नान्हें, बड़कू (112) या बड़कू,नान्हें,बड़कू (212) या नान्हें, नान्हें, नान्हें (111) आना चाही.
हर डाँड़ मा कुल मातरा – 18
हर डाँड़ मा पहिली अक्छर के मातरा नान्हें (लघु) होना चाही.
*खास - हर डाँड़ मा १, ६ ,११ अउ १६ वीं मातरा नान्हें होना चाही*
उदाहरण -
गाँव मा (शक्ति छन्द)
दया हे मया हे , सगा ! गाँव मा
चले आ कभू , लीम के छाँव मा
हवै जिंदगी का ? इहाँ जान ले
सरग आय सिरतोन , परमान ले।।
सचाई चघे हे , सबो नार मा
खिले फूल सुख के , इहाँ डार मा
सुगंधित हवा के चिटिक ले मजा
चिटिक झूम के आज माँदर बजा।।
मजा आज ले ले न , चौपाल के
भुला दे सबो दु:ख , जंजाल के
दया हे मया हे , सगा ! गाँव मा
चले आ कभू , लीम के छाँव मा।।
*अरुण कुमार निगम*
*डाँड़ (पद) - 4*
तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ मा, आखिरी मा सगन या रगन या नगन आना चाही.
माने डाँड़ के आख़िरी मा नान्हें, नान्हें, बड़कू (112) या बड़कू,नान्हें,बड़कू (212) या नान्हें, नान्हें, नान्हें (111) आना चाही.
हर डाँड़ मा कुल मातरा – 18
हर डाँड़ मा पहिली अक्छर के मातरा नान्हें (लघु) होना चाही.
*खास - हर डाँड़ मा १, ६ ,११ अउ १६ वीं मातरा नान्हें होना चाही*
उदाहरण -
गाँव मा (शक्ति छन्द)
दया हे मया हे , सगा ! गाँव मा
चले आ कभू , लीम के छाँव मा
हवै जिंदगी का ? इहाँ जान ले
सरग आय सिरतोन , परमान ले।।
सचाई चघे हे , सबो नार मा
खिले फूल सुख के , इहाँ डार मा
सुगंधित हवा के चिटिक ले मजा
चिटिक झूम के आज माँदर बजा।।
मजा आज ले ले न , चौपाल के
भुला दे सबो दु:ख , जंजाल के
दया हे मया हे , सगा ! गाँव मा
चले आ कभू , लीम के छाँव मा।।
*अरुण कुमार निगम*
वाह गुरुदेव गजब सुघ्घर
ReplyDeleteबड़ सुग्घर रचना भैया...
ReplyDeleteबहुँतेच सुग्घर शक्ति छंद हे गुरुदेव जी। सादर नमन।
ReplyDeleteसुग्घर शक्ति छ्न्द गुरुदेव
ReplyDeleteसुग्घर शक्ति छ्न्द गुरुदेव
ReplyDeleteवाहःहः गुरुदेव
ReplyDeleteअद्धभुत सृजन शक्ति छंद के
गजब के लगे शक्ति,के छंद हा।
ReplyDeleteसुहावन लगे ,सब ग ये बंद हा।
दिखावत हवय राह ,हमला बने।
बताये सबो गाँव, का हे सने।
जानदार गुरुदेव।
बहुत सुघ्घर शक्ति छंद गुरुदेव।।
ReplyDelete"गाँव गाँव मा गाँव गवाँगे, खोजत खोजत पाँव गवाँगे
ReplyDeleteअइसे लहकिस पवन दुपरिहा,छाँव छाँव मा छाँव गवाँगे।"
लाला जगदलपुरी
अब्बड़ सुग्घर जानकारी अउ शक्ति छंद गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत सुग्घर शक्ति छंद हे,गुरुदेव।सादर प्रणाम
ReplyDeleteबहुत सुग्घर शक्ति छंद हे,गुरुदेव।सादर प्रणाम
ReplyDeleteविधान सहित शक्ति छंद बहुत सुन्दर गुरुदेव।प्रणाम।
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह् बहुत सुग्घर शक्ति छंद गुरुवर।सादर प्रणाम
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह् बहुत सुग्घर शक्ति छंद गुरुवर।सादर प्रणाम
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ReplyDeleteदया हे मया हे , सगा ! गाँव मा
चले आ कभू , लीम के छाँव मा
हवै जिंदगी का ? इहाँ जान ले
सरग आय सिरतोन , परमान ले।।
बहुत जी भावभरे रचना हे गुरुदेव
सादर परनाम
अपन रचना के माध्यम ले हम सब ला एसनेहे प्रेरित करत रहव
सुरेश पैगवार
जाँजगीर