सीता हरण
आघू आघू मिरगा भागे ,पाछू मा रघुबीर ,
येती ओती कूदत फांदत ,भागय जंगल तीर | 5)
टहक टहक के मुड़ी घुमावय ,फेर दुरिहा जाय ,
बाण धरे रामा हा खोजे ,मिरगा कहाँ लुकाय | 6)
कतका दूर निकलगे दूनो ,जंगल हे घनघोर
सरसर करथे पाना डारा ,करय झिंगुर मन शोर | 7)
सोचत हे माया मिरगा हा ,अब बन जाही काम
रेंगत हावय थकहा जइसे ,देखत हावय राम |8)
साधत हे अब राम निशाना ,मारत हावय बाण
मारीच बने माया मिरगा ,तड़फय ओकर प्राण |9
असल रूप मा आये मिरगा ,सिया लखन चिल्लाय
देखय रामा मायावी ला ,अबड़ अचम्भा खाय | 10
सीता ला लागत हे अइसे ,रामा करे पुकार
सुन लक्ष्मण तुँहरे भैया हा ,पारत हे गोहार | 11)
लक्ष्मण हा बोलय सीता ला ,ये सब माया चाल
मोरे प्रभु के आघू मैया ,खुदे डराथे काल | 12)
कहाँ सुनय गा बात सिया हा ,शंका मा बड़ रोय
बरपेली वोहा लक्ष्मण ला ,तुरते उहाँ पठोय | 13)
रक्षा रेखा खीच लखन हा ,दउड़त जंगल जाय
अब येती गा पर्णकुटी मा ,भारी विपदा आय | 14)
सबो खेल ला जेन रचे हे ,वो रावण अब आय
छल कपट के झोला धरके ,साधू रूप बनाय |15)
लक्ष्मण रेखा के भीतर मा ,साधू पांव मढ़ाय
उठय उहाँ आगी के ज्वाला ,रावण देख डराय |16)
भिक्षा दे दे द्वार खड़े हव ,कपटी ह गोहराय |
देखय साधू ला कुटिया मा ,सीता भिक्षा लाय | 17)
भीतर रहिके दान करत हस ,होय मोर अपमान
साधू कहत हवय सीता ला ,नइ लेवव मैं दान | 18)
साधू मान रखे बर सीता ,जइसे बाहिर आय
असल रूप में आए रावण ,देखत सिया डराय 19)
सिया हरण करके रावण हा ,बैठ विमान उड़ाय
रोवत हे अबला नारी हा ,राम राम चिल्लाय |
रचनाकार - आशा देशमुख
एन टी पी सी कोरबा, छत्तीसगढ़
अनुपम रचना दीदी।।
ReplyDeleteसादर आभार गुरुदेव
ReplyDeleteआपके उपकार ल नइ छूट सकन गुरुवर
कोटिशः नमन गुरुवर
सीता हरण के बहुत सुग्घर चित्रण ,सरसी छंद मा करे हव दीदी ।बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteसीता हरण के बहुत सुग्घर चित्रण ,सरसी छंद मा करे हव दीदी ।बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् दीदी राम चरित मानस ल पढ़त हांवव कस लागिस ,बधाई
ReplyDeleteसादर आभार भाई दुर्गा
Deleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् आशा देशमुख बहिनी जी।सरसी छंद मा अनुपम सृजन।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर आभार नमन भैया जी
Deleteआपके रामायण के तुलना म कुछ भी नही भैया जी
अनुपम सृजन दीदी।आप के रचना पढ़ के मन भाव विभोर हो जथे।
ReplyDeleteसादर आभार भाई सुखदेव
Deleteसादर आभार भाई सुखदेव
Deleteअद्वितीय रचना दीदी।सादर बधाई
Deleteअद्वितीय रचना दीदी।सादर बधाई
Deleteबहुत सुघ्घर चित्रण दीदी
ReplyDeleteबहुँत बढ़िया दीदी
ReplyDeleteबहुँत बढ़िया दीदी
ReplyDeleteबहुँत सुग्घर सरसी छंद।बधाई दीदी।
ReplyDeleteवाह वाह वाह
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