चौपई छन्द - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
बसदेवा गीत
जय गंगान.....
बेटा ताश जुआ झन खेल।
घर मा बैठव गोड़ सकेल।
धन दौलत होथे बरबाद।
हो जाथे बेघर औलाद।
जय गंगान....
झन करिहौ गा मदिरा पान।
नाहक के झन घेपव प्रान।
कोठी के नइ बाँचय धान।
कचरा होथे घर के मान।
जय गंगान.....
फोकट घर मा आथे रार।
बिन कारन पर जाथे मार।
मदिरा ला तँय महुरा जान।
दूर रहे बर मन मा ठान।
जय गंगान.....
तंबाखू बीड़ी सिगरेट।
देथे गा घरघुँदिया मेट।
पटरी ले जिनगी के रेल।
झन तँय अपने हाँथ ढकेल।
जय गंगान....
चुगली के झन झाँकौ द्वार।
कखरो मन आगी झन बार।
ये तो दू धारी तलवार।
दूनो डहर खवाही मार।
जय गंगान.....
बेटा बन तँय मनखे नेक।
धरम करम कर धरे विवेक।
सत रद्दा धर करके चेत।
हरियाही जिनगी के खेत।
रचनाकार - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर(कवर्धा), कबीरधाम, छत्तीसगढ़
बसदेवा गीत
जय गंगान.....
बेटा ताश जुआ झन खेल।
घर मा बैठव गोड़ सकेल।
धन दौलत होथे बरबाद।
हो जाथे बेघर औलाद।
जय गंगान....
झन करिहौ गा मदिरा पान।
नाहक के झन घेपव प्रान।
कोठी के नइ बाँचय धान।
कचरा होथे घर के मान।
जय गंगान.....
फोकट घर मा आथे रार।
बिन कारन पर जाथे मार।
मदिरा ला तँय महुरा जान।
दूर रहे बर मन मा ठान।
जय गंगान.....
तंबाखू बीड़ी सिगरेट।
देथे गा घरघुँदिया मेट।
पटरी ले जिनगी के रेल।
झन तँय अपने हाँथ ढकेल।
जय गंगान....
चुगली के झन झाँकौ द्वार।
कखरो मन आगी झन बार।
ये तो दू धारी तलवार।
दूनो डहर खवाही मार।
जय गंगान.....
बेटा बन तँय मनखे नेक।
धरम करम कर धरे विवेक।
सत रद्दा धर करके चेत।
हरियाही जिनगी के खेत।
रचनाकार - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर(कवर्धा), कबीरधाम, छत्तीसगढ़
सुग्घर संदेश देवत लाजवाब चौपई छंद,अहिलेश्वर भैया।बहुत बहुत बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय मोहन भैया।
ReplyDeleteअति सुघ्घर सृजन हे भाई
ReplyDeleteसादर आभार दीदी।
Deleteअनुपम सृजन सर।सादर बधाई
ReplyDeleteसादर आभार सर जी।
Deleteअनुपम सृजन सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुतेच बढ़िया भैया जी
ReplyDeleteसादर आभार "खैरझिटिया" सर जी।
Deleteबहुंच सुघ्घर
ReplyDeleteसादर आभार जोगी सर जी।
Deleteसुग्घर सिरजाय हस भाई
ReplyDeleteसुग्घर सिरजाय हस भाई
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय "मितान"भैया।
Deleteसुग्घर सिरजन करे हव सर।बधाई।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय वर्मा सर जी।
Deleteवाह ! बड़े भैया जी वाह!
ReplyDeleteजै गंगा