आल्हा छंद--श्री चोवा राम "बादल "
पाँच तत्व के काया हावय,सुग्घर पाँचो देव बसाव।
आतम ज्ञान जगा के संगी, रोज रोज त्यौहार मनाव ।।
साफ़ सफाई गहना गुरिया ,दया मया के बर्तन लेय ।
धनतेरस बढ़िया हो जाथे,प्रभु धनवनतरि अमरित देय ।।
तन मन दूनों रथे निरोगी,तभे मँजा चउदस मा आय ।
खान पान मा संयम जेखर, चमकत मुखड़ा वो हर पाय ।।
छै बिकार अंतस मा बइठे,गरजत नरकासुर जी ताय ।
योग ध्यान मनमोहन पूजा, एखर बिन वो मर नइ पाय ।।
संग छोंड़ आलस बैरी के, मिहनत के नित अलख जगाय ।
माँ लछमी के करबो पूजा, आसा घी के दिया जलाय ।।
करे जतन जी गौ माता के,गोबर खातू ला अपनाय ।
गोवरधन के पूजा करबो,आवव सब झन पेंड़ लगाय ।।
मँहतारी के करके सेवा , माँतर जागे खुसी मँनाय ।
भाई दूज मनाबो सुग्घर,बहिनी मन के लाज बँचाय ।।
दोहा--
राम राज छाहित रहय, अवधपुरी सब गाँव ।
जय जय जय प्रभु राम के, परत हवँव मैं पाँव ।।
रचनाकार - श्री चोवा राम "बादल "
हथबन्ध, छत्तीसगढ़
पाँच तत्व के काया हावय,सुग्घर पाँचो देव बसाव।
आतम ज्ञान जगा के संगी, रोज रोज त्यौहार मनाव ।।
साफ़ सफाई गहना गुरिया ,दया मया के बर्तन लेय ।
धनतेरस बढ़िया हो जाथे,प्रभु धनवनतरि अमरित देय ।।
तन मन दूनों रथे निरोगी,तभे मँजा चउदस मा आय ।
खान पान मा संयम जेखर, चमकत मुखड़ा वो हर पाय ।।
छै बिकार अंतस मा बइठे,गरजत नरकासुर जी ताय ।
योग ध्यान मनमोहन पूजा, एखर बिन वो मर नइ पाय ।।
संग छोंड़ आलस बैरी के, मिहनत के नित अलख जगाय ।
माँ लछमी के करबो पूजा, आसा घी के दिया जलाय ।।
करे जतन जी गौ माता के,गोबर खातू ला अपनाय ।
गोवरधन के पूजा करबो,आवव सब झन पेंड़ लगाय ।।
मँहतारी के करके सेवा , माँतर जागे खुसी मँनाय ।
भाई दूज मनाबो सुग्घर,बहिनी मन के लाज बँचाय ।।
दोहा--
राम राज छाहित रहय, अवधपुरी सब गाँव ।
जय जय जय प्रभु राम के, परत हवँव मैं पाँव ।।
रचनाकार - श्री चोवा राम "बादल "
हथबन्ध, छत्तीसगढ़
बधाई हो बादल भैया बहुत सुंदर
ReplyDeleteसादर आभार।
Deleteधन्यवाद हेम जी।
Deleteबहुत बढ़िया सर जी
ReplyDeleteसादर आभार ।
Deleteबादल सर बहुत सुग्घर रचना।सादर बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद ज्ञानु भाई जी।
Deleteबादल सर बहुत सुग्घर रचना।सादर बधाई
ReplyDeleteसुग्घर रचना बादल भैया।
ReplyDeleteधन्यवाद दिलीप जी।
Deleteबादल जी, सुग्घर आल्हा छन्द
ReplyDeleteसादर प्रणाम गुरुदेव।आपके प्रोत्साहन अब्बड़ सहारा बनथे।
Deleteसुग्घर आल्हा छंद भइया
ReplyDeleteसादर आभार मनी भाई।
Deleteचोवाराम भाई के आल्हा छंद पढ़ेव बहुत सुघ्घर लागिस बधाई हो बादल भाई
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया ।
Deleteबहुत सुंदर आल्हा छंद में रचना भईया आप मन के बधाई हो
ReplyDeleteधन्यवाद राजेश जी।
Deleteवाह्ह् बादल सर जी।लाजवाब आल्हा छंद।
ReplyDeleteधन्यवाद अहिलेश्वर जी।
Deleteआल्हा अडबड अद्भुत हावय, अणिमा लघिमा गरिमा आय।
ReplyDeleteसादर प्रणाम दीदी। आपके आशीर्वाद पाके ए रचना सार्थक होंगे।
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