कज्जल छंद - श्री मनीराम साहू "मितान"
करले संगी लहू दान।
मिलही नँगते पुन्य जान।
अबड़े होही तोर मान।
बात मान गा तैं मितान।
मन मा बइठे डर निकाल।
भरम रोग झन पोस पाल।
नइ बिगड़य गा तोर हाल।
लगय नही अउ देख भाल।
थोकन तो ले तैं बिचार।
हिरदे ला गा अपन झार।
साफ रही तन लहू धार।
परच नही तैं झट बिमार
झन बतिया गा तीन पाँच।
सच काहत हँव बात जाँच।
जाही ककरो जीव बाँच।
नइ आवय तन चिटिक आँच।
रचनाकार - श्री मनीराम साहू "मितान"
करले संगी लहू दान।
मिलही नँगते पुन्य जान।
अबड़े होही तोर मान।
बात मान गा तैं मितान।
मन मा बइठे डर निकाल।
भरम रोग झन पोस पाल।
नइ बिगड़य गा तोर हाल।
लगय नही अउ देख भाल।
थोकन तो ले तैं बिचार।
हिरदे ला गा अपन झार।
साफ रही तन लहू धार।
परच नही तैं झट बिमार
झन बतिया गा तीन पाँच।
सच काहत हँव बात जाँच।
जाही ककरो जीव बाँच।
नइ आवय तन चिटिक आँच।
रचनाकार - श्री मनीराम साहू "मितान"
वाह मनीराम जी, सुग्घर कज्जल छन्द
ReplyDeleteसुग्घर संदेश मितानजी बधाई
ReplyDeleteसुग्घर संदेश मितानजी बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाह्ह् "मितान" सर जी।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई।
लहू दान बर प्रेरणा देवत सुग्घर कज्जल छंद,मनीराम भैया।बधाई।
ReplyDeleteबहुँत सुग्घर कज्जल छंद मनीराम जी।बधाई।
ReplyDeleteकरले संगी लहु दान बहुत सुघ्घर कज्जल छंद मनी भाई बधाई
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर कज्जल छंद बर मनी जी ला हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर कज्जल छंद मा रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर कज्जल छंद मा रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् मनी भइया सुंदर संदेश देत सुग्घर रचना
ReplyDeleteवाह जानदार शानदार कज्जल,
ReplyDeleteजोरदार मनीराम भैया
ReplyDeleteआप सब ला धन्यवाद आभार
ReplyDeleteवाह मितान
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कज्जल छंद
वाह
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