बरवै छंद - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गाँव शहर सँग अंतस,अँगना खोर।
सुम्मत के दीया ले,होय अँजोर।
जिनगी ला अलखाथे,परब तिहार।
दुख के अँधियारी बर,दीया बार।
शुभचिंतक ले माँगे,मदद गरीब।
शुभ संदेश बधाई,नही नसीब।
दुखिया के दुख बाँटव,नाता जोड़।
भूँख गरीबी भागे,घर ला छोड़।
ज्ञान बटाई पावन,पबरित काम।
पढ़ लिख मनखे बनथे,गुन के धाम।
पढ़े लिखे मनखे के,हे पहिचान।
घर समाज ओखर ले,पाथे मान।
साफ सफाई स्वस्थ रहे के यंत्र।
स्वच्छ रहे के आदत,होथे मंत्र।
ध्यान रहै जी निकलै,गुरतुर बोल।
करम कमाई मा झन होवै झोल।
दीया जगमग जग मा,करे प्रकाश।
हिम्मत हारे के मन,जागे आस।
रचनाकार - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
बहुत सुग्घर भावपूर्ण बरवै छंद रचना करे हव ,सुखदेव भैया।बहुत बहुत बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteसादर आभार अउ धन्यवाद आदरणीय मोहन भैया।
Deleteअंतस के भाव उमड़ के भइया छन्द ला पढ़ के बधाई
ReplyDeleteसादर आभार अउ धन्यवाद आदरणीय दुर्गाशंकर भैया।
Deleteबहुत सुघ्घर बरवै सर जी
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर बरवै सर जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर जी।
Deleteबहुत सुघ्घर अहिलेश्वर भैया
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद हेम सर।
Deleteसुग्घर रचना कविवर सुखदेव सर।सादर बधाई
ReplyDeleteसुग्घर रचना कविवर सुखदेव सर।सादर बधाई
ReplyDeleteसुग्घर रचना कविवर सुखदेव सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर जी।
Deleteबहुँत सुग्घर छंद सर जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर जी।
Deleteवाह सुन्दर
ReplyDeleteवाह सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर जी।
Deleteबढ़िया बरवै बंद हे, सुन सुखदेव ।
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