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Monday, December 12, 2022

गुरु वंदना (लावणी छंद)

 गुरु वंदना

               (लावणी छंद)


हे गुरुवर जी  हाथ जोर के,

                तुँहरे गुन ला गावँव मँय।

भवसागर के पार करइया,

             चरनन माथ नवावँव मँय।।


अँगरी धरके तहीं सिखाए,

                 आखर चिनहा पाए हँव।

मँय अड़हा अज्ञानी गुरुवर,

              मन मा आस जगाए हँव।।

तुँहर चरन रज चंदन जइसे,

              मूड़ी  माथ  लगावँव मँय।

हे गुरुवर जी हाथ जोर के.............


ज्ञान बिना अँधियारी ये जग,

                भटकत  दुनिया सारी हे।

तहीं हाथ  धर  ज्ञान बताये,

               तन मन मा उजियारी हे।।

ज्ञान भक्ति पबरित महिमा ला,

             जन-जन मा बगरावँव मँय।

हे गुरुवर जी हाथ जोर के............


हरि  दरशन  रद्दा  देखइया,

               जिनगी सुफल बनाए हँव।

विपदा भारी कतको आए,

               मन  मा  धीर बँधाए हँव।।

तुँहरे चरन छोड़ गुरुवर जी,

             कोन डगर अब जावँव मँय।

हे गुरुवर जी हाथ जोर के...............


रचनाकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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