आल्हा छंद- *अमर शहीद वीर नरायण*
नमन करत हौं वो मइयाँ ला, दिस जनम नरायण वीर।
नमन करत हौं वो भुइयाँ ला, जेकर पावन माटी नीर।।
सन सत्रह सौ पँचानबे अउ, लगन घड़ी पावन शुभ वार।
जन- जन के तकलीफ हरे बर, वीर नरायण लिस अवतार।।
धाम गिरौदपुरी के मेड़ो, गाँव जुड़े हे सोनाखान।
राजा सोनाखनिहा के घर, जनम धरिस ये पूत महान।।
रहिस गोंडवाना पुरख़ा अउ, सारंगढ़ के माल गुजार।
राजगोंड ले बिंझवार बन, वीर नरायण भरे हुँकार।।
स्वतंत्रता पहिली सेनानी, छत्तीसगढ़ के मान बढ़ाय।
गैर फिरंगी से लड़-लड़ जे, जल जंगल अधिकार दिलाय।।
सात हाथ कद काठी ऊँचा, बदन गठीला बड़ मन भाय।
भुजा बँधाये पारस चमके, देखत मा बैरी थर्राय।।
वीर नरायण पराक्रमी अउ, शूरवीर गुरु बालकदास।
सँगवारी सुख दुख के दून्नों, रहय मित्रता खासमखास।।
शोभा बरनन कहत बनय जब, घोड़ा मा होवय असवार।
धर्मी राजा के होवय तब, गली-गली मा जय जयकार।।
दीन-दुखी के सदा हितैषी, मातृभूमि के रहय मितान।
जल जंगल भुइयाँ के रक्षक, समझे जे हा दर्द किसान।।
सन अट्ठारह सौ छप्पन मा, पड़े रहय जब घोर अकाल।
फटे अदरमा वीर नरायण, देख प्रजा दुख मा बेहाल।।
साथ धरे तब किसान मन ला, गये गाँव वो हा कसडोल।
लूटे अन्न जमाखोरी के, वीर नरायण धावा बोल।।
करिस शिकायत जमाखोर मन, अंग्रेजन इलियट दरबार।
पकड़ निकालव वीर नरायण, सजा दिलावव तुम सरकार।।
भनक लगिस जब वीर नरायण, पाछू पड़गे हे सरकार।
कुर्रूपाट डोंगरी मा छुपगे, जिहाँ कटाकट वन भरमार।।
खोजे निकलिस गुरु बालक तब, अपन सखा के प्राण बचाय।
रखिस छुपा भंडारपुरी मा, कुर्रूपाट डोंगरी ले लाय।।
वीर नरायण के बहनोई, बनके भारी तब गद्दार।
खुफिया बन बंधक बनवा दिस, पता बता इलियट सरकार।।
स्तम्भ चौक रायपुर शहर के, फाँसी मा तब दिस लटकाय।
वीर नरायण शहीद होगे, लिखत लिखत आँसू भर आय।।
अट्ठारह सौ सन्तावन के, काल रात्रि बनगे इतिहास।
खो के बेटा वीर नरायण, भारत भुइयाँ हवे उदास।।
✍🏻इंजी. गजानंद पात्रे 'सत्यबोध'
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 10/12/2021
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वीर नारायण
रही रही सुरता आवत हे, गाथा अमर कहानी।
मातृभूमि के खातिर देदिस, हँसत अपन बलिदानी।।
नाम वीर नारायण सिंह हे, झुलगे हाँसत फाँसी।
आथे जब जब सुरता संगी, बस आथे रोवासी।।
वीर साहसी योद्धा अड़बड़, परजा मनके हितवा।
काल बने सँउहत दुश्मन बर, जन जन के वो मितवा।।
इज्जत बेटी बहिनी ऊपर, कोनो आँख गड़ावै।
गली गली मा दउड़ा दउड़ा, ओला मार गिरावै।।
दीन हीन दुखिया गरीब के, सदा रहय सँगवारी।
आजादी ला पाये खातिर, लड़िस लड़ाई भारी।
शत शत नमन वीर योद्धा ला, हम गरीब के पागी।
रहय तोर छाती मा धधकत, दुश्मन मन बर आगी।।
ज्ञानुदास मानिकपुरी
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वीर नारायण 🙏🏻
चढ़के फाँसी झूलगे, दीस अपन बलिदान |
बेटा सोना खान के, भारत माँ के शान ||
भारत माँ के शान, रहे तैं अघवा बेटा |
थर्रागे अंग्रेज, परे जब तोर सपेटा ||
अद्भुत साहस तोर, देख वो भारी भड़के |
नारायण वो वीर, अमर हे फाँसी चढ़के ||
कमलेश प्रसाद शरमाबाबू
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: *शहीद वीरनारायण (दोहा छंद)*
छाती जब्बर तोर गा, धरे हाथ तलवार ।
रामसाय के पूत ला, शत-शत हे जोहार ।।
देश बचाए बर अपन, छोड़े घर परिवार ।
अंग्रेजी सत्ता पलट, करे अबड़ ललकार ।।
खरतर बेटा देश बर, देहे तँय हा प्रान ।
अंग्रेजन ले तँय लड़े, बनगे पूत महान ।।
रन भुइयाँ मा तँय लड़े, बइरी मन ला मार ।
मान तिरंगा के रखे, बनके गा रखवार ।।
थर-थर काँपै देख के, सिंह सहीं गा चाल ।
सउँहत आगू तँय खड़े, बनके सबके काल ।।
माखन बनिया सेठ घर, लूटे चाउँर दाल ।
बाँटे सबो किसान ला, टारे घोर अकाल ।।
देशभक्ति मन मा भरे, देहे गा बलिदान ।
काम वतन के तँय करे, जन्मे सोनाखान ।।
माटी सोनाखान के, बनगे पबरित धाम ।
बीर नरायन तोर गा, जग मा होगे नाम ।।
*मुकेश उइके "मयारू"*
ग्राम-चेपा, पाली, जिला-कोरबा(छ.ग)
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जगदीश जी: छत्तीसगढ़ के गांधी - पंडित सुन्दरलाल शर्मा
आल्हा छन्द :-
गुरु गणपति के ध्यान लगाके, मात शारदा चरन मनाँव।
करव कृपा सबझन मिल आके, हाथ जोड़ के परथंव पाँव।।
पावन भुइँया ये भारत के, वीर पुरुष जहँ ठोंके ताल।
पावन छत्तीसगढ़ माटी मा, जन्मे पंडित सुंदरलाल।।
गरियाबंद जिला मा राजिम, तीर बसे हे चमसुर गाँव।
पिता हवय जयलाल तिवारी, माता देवमती हे नाँव।।
पौष कृष्ण अमावस महीना, संवत उन्नीस सौ अड़तीस।
सन अट्ठारह सौ इक्यासी, जनम लिए पाके आशीष।।
पिता बहुत अच्छा कविवर अउ, दूर-दूर तक जेकर नाम।
वो संगीत के सुघर ज्ञाता, ज्ञानी सज्जन नेकी काम।।
पढ़े मिडिल तक वो चमसुर मा, बालक सुंदर मने लगाय।
आगू के शिक्षा बर ओकर, गुरुजी घर मा आय पढ़ाय।।
अँगरेजी सँग बंगला उड़िया, सिखय मराठी भाषा नीक।
बड़ा सुघर वो चित्र बनावय, मूरति घलो बनावय ठीक।।
कविता अउ नाटक ले ओहा, लोगन मन ला सुघर जगाय।
देश गुलामी दूर करे बर, रण भुइँया मा कूदे आय।।
ब्याह बोधनी संग रचाये, आगू जिनगी संग बिताय।
पुत्र नीलमणि विद्याभूषण, छोटे से परिवार बनाय।
जात पात ला दूर करे बर, आंदोलन वो अबड़ चलाय।
मनखे ला अधिकार दिलाये, छुआछूत ला दूर भगाय।।
छोटेलाल नहर सत्याग्रह, आंदोलन करथे कण्डेल।
साथ दिये ओला पंडित जी, संकट बाधा सब ला झेल।।
गाँधी जी ला छत्तीसगढ़ मा, पंडित सुंदरलाल ह लाय।
माँग होय पूरा तब सबके, सबो किसान बड़ा सुख पाय।।
जनहित खातिर मा पंडित जी, कतको बार जेल भी जाय।
सबझन ला अधिकार दिलाये, सब मनखे ला फेर जगाय।
साहित घलो म नाम हवय बड़, छत्तीसगढ़ के नाम जगाय।
लिखे दानलीला वो सुग्घर, बड़ा नाम जेकर ले पाय।।
दिये उपाधि मान मा ओकर, छत्तीसगढ़ के गाँधी आज।
छत्तीसगढ़ साहित के अगुवा, मन मा करे सबो के राज।।
जगदीश "हीरा" साहू (व्याख्याता)
ग्राम- कड़ार, पोस्ट.- दतरेंगी, व्हाया- भाटापारा,
जिला - बलौदाबाजार-भाटापारा (छ.ग.)
Mob. 9009128538
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[श्लेष चन्द्राकर 9: *शहीद वीर नारायण सिंह जी ला शत् शत् नमन!*🙏
*सार छंद आधारित गीत*
अंतस मा जन-जन के बस गिन, बने काम ओ कर के।
अमर वीर नारायण होगिन, ये भुँइया बर मर के।।
देश गुलामी के साँकल मा, रहिस हवय बंधाये।
अँगरेजन मन जनमानस ला, बिक्कट रोज सताये।।
बघवा हा तब सब ला बोलिन, नइ जीयन डर-डर के।
अमर वीर नारायण होगिन...
मनखे मन ला एक करिन हें, टूटे माला जोड़िन।
तुतरु बजाइन आजीदी बर, शुभ के नरियर फोड़िन।।
अँगरेजन ले टक्कर लिन हें, फरसा-भाला धर के।
अमर वीर नारायण होगिन...
महा मनुख के फोटू धर के, गली-गली मा घूमव।
जिहाँ शहादत दिन हें अगवा, वो माटी ला चूमव।।
अँधियारा ले बने लड़िन हें, दियना जइसे बर के।
अमर वीर नारायण होगिन, ये भुँइया बर मर के।।
✍️ श्लेष चन्द्राकर,
महासमुंद (छत्तीसगढ़)
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