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Friday, June 6, 2025

विश्व पर्यावरण दिवस विशेष-

 अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस विशेष-कुंडलियाँ छंद


विश्व पर्यावरण दिवस विशेष-

कुण्डलिया छंद- *जंगल पेड़ बचाव*


आवव संगी मिल सबो, जंगल पेड़ बचाव।

पाँच जून पर्यावरण, उत्सव फेर मनाव।।

उत्सव फेर मनाव, छोड़ के सबो दिखावा।

जीवन के आधार, पेड़ हे बात बतावा।।

गजानंद सुख सांस, फूल फल औषध पावव।

करिन जतन मिल आज, पेड़ जंगल के आवव।।1


होथे बड़ तकलीफ जी, कटथे जब-जब पेड़।

निज स्वारथ मा पड़ मनुज, आज उजाड़त मेड़।।

आज उजाड़त मेड़, कहाँ अब पेड़ लगाथें।

पाये जग मा नाम, गजब फोटू खिंचवाथें।।

करके पेड़ विनाश, खुदे बर काँटा बोथे।

गजानंद बिन पेड़, कहाँ सुख जीवन होथे।।2


हरियाली हे पेड़ से, पेड़ करे बरसात।

फेर कोंन समझत इहाँ, गजानंद के बात।।

गजानंद के बात, पेड़ हे पुत्र समाना।

आथे बहुते काम, फूल फल जड़ अउ पाना।।

करिन सुरक्षा आज, तभे सुख मिलही काली।

अरजी हे कर जोर, बचा लिंन हम हरियाली।।3


रोवत हे हसदेव हा, आँख भरे दुख नीर।

छत्तीसगढ़ के गोद मा, कोंन भरत हे पीर।।

कोंन भरत हे पीर, आज समझे ला परही।

कतका दिन ला फेर, हमर सुख अँगरा जरही।।

गजानंद धर ध्यान, पड़े रह झन तँय सोवत।

देख आज हसदेव, पुकारत हे जी रोवत।।4


छंदकार- इंजी. गजानंद पात्रे 'सत्यबोध'

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


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 कौशल साहू: कुंडलियाँ छंद


          *टँगिया मा झन काट*


हरियर रुखवा ला कभू ,टँगिया मा झन काट।

देही छंइहा एक दिन , कभू रेंगबे बाट ।।

कभू रेंगबे बाट ,  घाम मा बइठ थिराबे ।

सुग्घर फर अउ फूल ,टोर के मन भर खाबे।।

बिना हवा के फेर , नीर नइ होवय फरियर।

कौशल करे पुकार ,काट झन रुखवा हरियर।।



जंगल उजरत जात हे, खिरत जात हे मेड़।

काटे बर हुशियार सबो , कोन लगाही पेड़ ।।

कोन लगाही पेड़ , लीम बर आमा अमली ।

हाँसय दाँत निपोर, खोभ के  पौधा नकली ।।

मिलय नहीं सुख चैन , दिनों दिन होय अमंगल।

कौशल कहना मान ,बचालवँ रुखवा जंगल।।



काबर अइसन होत हे, बरसा कमसल होय।

महानदी सुक्खा परे, हैण्डपम्प मन रोय।।

हैण्डपम्प मन रोय, प्यास मा हँउला बाँगा।

तरिया तरसय रोज ,भुँजावय डारा ठाँगा ।।

बिना पेड़ घनघोर , कभू नइ बरसय बादर।

कवि कौशल सँग सोंच, होत हे अइसन काबर।।



रुख राई दाई ददा , जिनगी के आधार ।

सुख देथे हम ला सदा , करय नहीं निरवार।।

करय नहीं निरवार, सबो ला अपने मानय ।

करथे मया दुलार , घाम मा छाता तानय ।।

कवि कौशल के बात, मान लौ जुरमिल भाई।

भुइयाँ के सिंगार ,  लगा लौ सब रुख राई ।।


    कौशल कुमार साहू

     फरहदा (सुहेला)

     जिला - बलौदाबाजार-भाटापारा (छ.ग.)


    05/06/2025

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