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Friday, June 6, 2025

रूपमाला छन्द- *चल लगाबो पेड़ संगी*

 रूपमाला छन्द- *चल लगाबो पेड़ संगी*


चल लगाबो पेड़ संगी, माँ पिता के नाम।

जान ले संसार मा तो, नेक ये हा काम।।

छाँव देथे फूल देथे, अउ गिराथे नीर।

फेर समझत नइ मनुज हे, पेड़ के तो पीर।।


आम बरगद नीम पीपर, साल अउ सागोन।

पेड़ काटत हें सबो पर, हे लगावत कोन।।

गाँठ बाँधे बात धर लौ, दौ सुवारथ छोड़।

पेड़ के रक्षा करे बर, पाँव ला अब मोड़।।


हे तिपावत ताप तन ला, हे जरावत चाम।

पेड़ काटे ले बढ़त हे, बड़ दिनोंदिन घाम।।

जल सतह नीचे गिरत हे, हे सुखावत ताल।

नल नदी सुक्खा कुआँ हे, लोग हें बेहाल।।


आज जल पर्यावरण के, रोक लौ जी नाश।

रुक जही नइतो सुनव जी, तोर तन ले श्वांस।।

पेड़ हे आधार जिनगी, पेड़ ले संसार।

सुन गजानन पेड़ बिन तो, ब्यर्थ हे सुख सार।।


✍🏻इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 05/06/2025


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