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Saturday, June 21, 2025

21 जून अंतराष्ट्रीय योग दिवस

 21 जून अंतराष्ट्रीय योग दिवस के बधाई💐


शोभन (सिंहिका) छन्द- *योग*


रोज योगा के करे ले, भागथे सब रोग।

स्वस्थ तन मन ला रखे बर, बात लौ धर लोग।।

उठ बिहनिया रेंग लौ अउ, दौड़ लौ हर रोज।

तज मसालेदार खाना, स्वल्प लौ तुम भोज।।


योग चरबी ला घटाथे, बन दवा उपचार।

उम्र बढ़थे सौ बछर ले, अउ अधिक सुन यार।।

नइ कभू सँचरय बुढ़ापा, अउ कभू नइ रोग।

येखरे सेती कहत हँव, नित करव सब योग।।


संत ऋषि मुनि मन सबो जी, योग राखिन साध।

तेखरे सेती रहिन उन, दूर हर तन ब्याध।।

कर गजानन योग रोजे, होय स्वस्थ शरीर।

दूर तन तकलीफ होही, राखही मन धीर।।


✍🏻इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 21/06/2025

[6/21, 11:45 AM] मुकेश 16: योग दिवस--- दोहा छंद



योग दिवस हे आज जी, कर लौ सब व्यायाम।

तन के रखिहौ ध्यान जब, मिलही तब आराम।।


तन मन चंगा होय जी, रोज करव सब योग।

भागे तन ले रोग हा, फल के कर लौ भोग।।


रोज बिहिनिया योग ले, मुखड़ा दमकत जाय।

जेन करय येला सदा,  काया सुग्घर पाय।।


योगा के गुण हे अबड़, सब येला अपनाव।

रखव निरोगी देह ला, निसदिन दौड़ लगाव।।


योगासन ले रोग हा, भागे कतका दूर।

झुलझुलहा उठ के सबो, योगा करव जरूर।।



मुकेश उइके "मयारू"

ग्राम- चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग.)

[6/21, 12:10 PM] विजेन्द्र: योग- चौपई छंद 

उठव बिहनिया करलव योग I 

काया बनही तभे निरोग II

चुस्ती फुर्ती अंग समाय I 

आलस तब दुरिहाते जाय II 


ना कोनों पइसा ना दाम I 

मिलथे सुग्घर गा परिणाम II

योग जउन मनखे अपनाय I 

जीवन ओहर सफल बनाय II


हावय योग फायदेमंद I 

तन बर शाक मूल अउ कंद II

मन के होथे घलो विकास I 

बीमारी नइ आवय पास II


हवय योग के बड़ उपकार  I 

मन मा गुणलव नेक विचार II

मूल मंत्र गा येला जान I

सेहत बर येहर वरदानII


करथे जे मन सुग्घर ध्यान I

 मनखे बनथे उही सुजान II

जिनगी सुखमय सदा बिताय I 

योग जेन मन हा अपनाय II  


        विजेंद्र कुमार वर्मा

 नगरगाँव धरसीवाँ

[6/21, 1:19 PM] +91 99265 58239: "" योग दिवस 21 जून ""।   आल्हा 


रोज बिहनिया योग करव सब , योग हवय जिनगी आधार ।

सब बीमारी दूर भगाही , तन ला रखही स्वस्थ हमार।।


कदम ताल ले शुरू करव सब ,अन्दर बाहर श्वास निकाल ।

धीरे धीरे अच्छा लगही ,  तन के सब खुल जाही वाल।।

निहर निहर के छू धरती ला, एक हाथ ले दूसर गोड़ ।

ऊपर नीचे उठव बईठव , बने करव सब हड्डी जोड़।।

मटका जइसे पेट हवय सब , खा खाके होगे बेकार ।

सब बीमारी दूर भगाही , तन ला रखही स्वस्थ हमार ।।


हाथ गोड़ ला मोड़ मोड़ के, नस नाड़ी ला करव सुडोल।

पेट पीठ ला ठोक ठोक के, मन के तारा ला तॅंय खोल।। 

गोल गोल तॅंय हाथ घूमा ले, जइसे फेंके क्रिकेट बाल ।

जोर जोर से हाॅंस बने तॅंय, जबर चमकही तोरे खाल ।।

बड़े बिहनिया सरलग चलथे, ठंडा ठंडा मस्त बयार ।

सब बीमारी दूर भगाही, तन ला रखही स्वस्थ हमार।। 


रोज बिहनिया योग करव सब, योग हवय जिनगी आधार ।

सब बीमारी दूर भगाही, तन ला रखही स्वस्थ हमार।।


  संजय देवांगन सिमगा 🙏

[6/21, 1:35 PM] अनुज छत्तीसगढ़ी 14: *जयकारी छंद* 

*विषय-योग*


रोज करौ सुत-उठ के योग। एकर ले नइ होवय रोग।।

आसन धरके करलौ ध्यान। मन मा सुमरौ गा भगवान।।


सब चिन्ता ला हरथे योग। हिरदे रइथे सदा निरोग।।

देथे एहा सब संस्कार। बनथे मन मा बने बिचार।।


अनुशासित रखथे जी योग। दूर भगाथे मन के रोग।।

हुष्ट-पुष्ट होथे बलवान। मनखे बनथे बने सुजान।।


करलौ सब झन प्राणायाम। येकर ले मिलथे आराम।।

बने रथे लहु के संचार। मिलथे तन ला शक्ति अपार।।


*अनुज छत्तीसगढ़िया*

*पाली जिला-कोरबा*

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