*दोहा छंद*
*🌴🌳पेड़🌳🌴*
सुनव सुनव गा पेड़ ला, बाढ़न दव झन काट।
जीव बचाथे पेड़ हा, जंगल ला झन पाट।।
ये भुइँया मा पेड़ ला, सबो डहर बगराव।
जग ला सरग बनाव गा, जुरमिल पेड़ लगाव।।
झन लेवव तुम छोट मा, होही भारी भूल।
पेड़ लगावव पेड़ जी, रहय फेर अनुकूल।।
जानव सबझन पेड़ ला, भुइँया के सिंगार।
काट काट के पेड़ जी, झन तो बनव जिमार।।
जीव जंतु सब पेड़ ले, जियत हवय संसार।
ए माटी मा पेड़ के, भारी दया अपार।।
*नागेश कश्यप*
*कुंवागाँव, मुंगेली छ.ग.।।*
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