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Tuesday, April 27, 2021

वीर हनुमान जयंती विशेषांक, छंदबध्द कवितायें

फोटो-गुमान साहू(छंदकार)


 वीर हनुमान जयंती विशेषांक, छंदबध्द कवितायें


जय हनुमान-कुंडलियाँ छंद


भारी आहे आपदा, सबे हवै हलकान।

हाथ जोड़ सुमिरन करौं, दुरिहावव हनुमान।

दुरिहावव हनुमान, काल बनगे कोरोना।

शहर कहँव का गाँव, उजड़गे कोना कोना।

सब होगे मजबूर, खुशी मा चलगे आरी।

का विकास विज्ञान, सबे बर हे जर भारी।।


चंदा ला लेहन अमर, लेहन सूरज जीत।

कोरोना के मार मा, तभो पड़े हन चीत।

तभो पड़े हन चीत, सिरागे गरब गुमानी।

घर भीतर हन बंद, पियत हन पसिया पानी।

मति गेहे छरियाय, लटकगे गल मा फंदा।

टार रात अँधियार, पवन सुत बन आ चंदा।।


चारो कोती मातगे, हाल होय बेहाल।

सुरसा कस मुँह फार दिस, कोरोना बन काल।

कोरोना बन काल, लिलत हे येला वोला।

अइसन आफत देख, काँप जावत हे चोला।

आजा हे हनुमान, दुखी जन के सुन आरो।

नइ आवत हे काम, नता धन बल गुण चारो।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

कोरबा(छग)

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कुंडलियाँ छ्न्द मनोज वर्मा

भारी बिपदा छाय हे, संकट हर हनुमान।   

कखरो घर दुख आय झन, सुखी रहे इंसान।।

सुखी रहे इंसान, गीत प्रभु तोरे गावय।

बॉंटत मया दुलार, बीत ये जिनगी जावय।।

स्वस्थ रहे संसार, चलय झन सुख मा आरी।

संकट हर हनुमान, छाय हे बिपदा भारी।।


संकट मोचन नाम प्रभु, पवन अंजनी लाल।

थर थर कांपे देख के, स्वयं जेन ला काल।।

स्वयं जेन ला काल, माथ जी देख नवाये।

हृदय अपन वो चीर, जानकी राम दिखाये।।

पाय कृपा प्रभु राम, भजे जे निरमल हो मन। 

दुख दरिदर ले दूर, रखे नित संकट मोचन।।


लेके जेकर नाम ला, सागर लांघत जाय।

मारे अक्षय लाल ला, लंका रहे जलाय।।

लंका रहे जलाय, राम के शक्ति बताये।

बिपत लखन ला जान, खोज संजीवन लाये।।

अंयत राम समाय, नवा जी जिनगी देके।

करे बड़े नित काम, नाम रघुवर के लेके।


मनोज कुमार वर्मा लवन बलौदा बाजार

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सार छंद - बोधन राम निषादराज

शीर्षक - जय बजरंगी

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राम भक्त बजरंगी तोरे,

                      महिमा हावै भारी।

पवन अंजनी बेटा तँय तो, 

                    बने रूद्र अवतारी।।


राम लखन सँग सुग्रीव राजा,

                    दुनों मितान बनाये।

जनक नंदिनी सीता मइया,

                मिलके खोज कराये।।

लाँघ गये सागर ला तँय तो, 

                 मारे      अतियाचारी।

राम भक्त बजरंगी तोरे..............


मसक रूप ला धर के जम्मों,

                 घूम  डरे  तँय  लंका।

निशाचरी माया के हनुमत,

                 बजा डरे तँय डंका।।

अपन दिखाए तँय ताकत ला,

                     जरगे लंका सारी।

राम भक्त बजरंगी तोरे...................


संकट तहीं हरइया सबके,

                 राम लखन के प्यारे।

लाये संजीवन बूटी ला, 

               भाई   लखन  उबारे।।

ज्ञानवान गुनवान तहीं हस,

                 दुनिया  मा  बलधारी।

राम भक्त बजरंगी तोरे.............


दानव  मारे  बड़े-बड़े सब,

                   पापी   ला   संघारे।

सियाराम अउ भरत लखन के,

                 जम्मों  काज सँवारे।।

अरज करत हे तोर "विनायक",

                 आ के शरन  तिहारी।

राम भक्त बजरंगी तोरे...............

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छंदकार  :--

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहार,कबीरधाम(छ.ग.)

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 कुण्डलिया छंद- विजेन्द्र वर्मा

जय हनुमान


सबके दुख ला जी हरय,संकट मोचन जान।

भागय विपदा के घड़ी,जपय जेन हनुमान।।

जपय जेन हनुमान,उँकर बर तारनहारी।

महिमा गावन आज,इहाँ सब्बो नर नारी।

देथे बड़ वरदान,रहव कोनों ना दबके।

सपना पूरन होय,आज दुनिया मा सबके।


पूजा करके देख लव,जिनगी होय उजास।

श्रद्धा भगती जे करय,दुख के होवय नास।।

दुख के होवय नास,भाग चमके कस लागय।

बनथे बढ़िया योग,दुष्ट मन हा जब भागय।

तारय सकल जहान,पवन सुत सा ना दूजा।

मिलही सुख के छाँव, करव भक्तन मन पूजा।


विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)

जिला-रायपुर


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कवि चोवा राम वर्मा बादल: जय हनुमान

(वीर छंद)

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पँइया लागवँ हे बजरंगी,पवन तनय अँजनी के लाल।

शंकर सुवन केशरी नंदन,भूत प्रेत के सँउहें काल।।


रामदूत अतुलित बलधारी, संकट मोचक सुमिरौं नाम।

जेकर हिरदे के मंदिर मा, सदा बिराजे सीताराम।।


अजर अमर तैं चारों जुग मा, पल मा विपदा देथच टोर।

बाधा बिघन हटा दौ हनुमत, दंडा शरण परे हँव तोर।।


 तैं कपिपति सुग्रीव सहायक,करे हवच बड़का उपकार।

रघुराई ला लान मिलाये,होगे बालि तको भवपार।।


रघुराई के संकट टारे, जग जननी के खबर बताय।

रावण के नस बल ला टोरे, गढ़ लंका ला राख बनाय।।


भक्त विभीषण के उपकारी, पागे वो लंका के राज।

तोर नाम के सुमिरन करते, बनके रहिथे बिगड़े काज।।


शक्ति बाण मा लछिमन मूर्छित, लाके बूटी प्राण बँचाय।

भरत सहीं भाई अच कहिके,रघुनंदन हा कंठ लगाय।।


तहस नहस निसचर दल करके, दाँत कटर के ठाने युद्ध।

दसकंधर हा मूर्छित होगे, मारे मुटका होके क्रुद्ध।।


अहिरावण के भुजा उखाड़े,जाके मारे लोक पताल।

भक्तन रक्षक हे बजरंगी, दुष्टन बर तैं सँउहें काल।।


देख हाल अब ये दुनिया के, माते हावय हाहाकार।

 रार मचाये हे कोरोना ,कर दे जल्दी तैं संहार।।


जै जै जै बजरंग बली जै, जै जै जै जै जै श्रीराम।

हाथ जोर के बिनती हावय, भारत भुँइया हो सुखधाम।।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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रोला छंद--आशा देशमुख

रामभगत हनुमान ,हरव प्रभु जग के पीरा।

बड़ भारी उत्पात,मचावत नानुक कीरा।

कोरोना हे नाम,लुका के घात करत हे।

मनखे मन के प्राण ,इही हा रोज हरत हे।1



भक्तन करें पुकार,सुनव बिनती बजरंगी।

तहीं हमर भगवान,तहीं स्वामी अउ संगी।

रोवत हे संसार,विपत आये हे भारी।

करव अमंगल दूर, लाव सुख मंगलकारी।2



राम दूत हनुमान,जगत  के सुध ले लेवव।

टारव गरब कलेश, भक्ति के वर दे देवव।

तहीं भजन अउ भक्ति,तहीं कलयुग के देवा।

आये तोरे द्वार,करें भक्तन मन सेवा।3



आशा देशमुख

एनटीपीसी कोरबा

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2 comments:

  1. बहुत ही सुग्घर एक ले बढ़के एक रचना हवय ,

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